Tamil Nadu Tragedy : करूर रैली का मंजर सिर्फ भीड़ नहीं, लापरवाही ने ली 39 जानें? करूर हादसे की अंदर की कहानी
News India Live, Digital Desk: तमिलनाडु के करूर में जो हुआ, वो सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि हजारों उम्मीदों का दम घुट जाना है। लोग अपने पसंदीदा फिल्मी सितारे और नेता विजय को देखने आए थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि ये मुलाकात कई लोगों के लिए आखिरी साबित होगी। उस भयानक भगदड़ में जो लोग बच गए, उनकी बातें सुनकर दिल दहल जाता है। वो बता रहे हैं कि कैसे कुछ ही पलों में जश्न का माहौल मातम में बदल गया।
"इंसानों का सैलाब था, भागने की जगह नहीं थी"
एक survivor ने उस खौफनाक मंजर को याद करते हुए बताया, “वो कोई आम भीड़ नहीं थी, ऐसा लग रहा था जैसे इंसानों का सैलाब उमड़ आया हो।”आलम ये था कि सड़क के दोनों तरफ रस्सियों और बड़े-बड़े होर्डिंग्स से ऐसे बंद किया गया था कि भगदड़ मचने पर किसी के पास भागने की कोई जगह ही नहीं बची थी कई लोग तो होर्डिंग्स के नीचे दबकर ही घायल हो गए।
जो लोग अपने परिवार के साथ आए थे, वो पल भर में बिछड़ गए। एक महिला ने रोते हुए बताया, “हम सब एक दूसरे के ऊपर गिर रहे थे। कोई ये देखने के लिए भी नहीं उठ पा रहा था कि उनके अपने कहां हैं, क्योंकि हर एक इंसान के ऊपर दस-दस लोग पड़े थे।”एक और महिला ने बताया कि कैसे उनकी आंखों के सामने उनकी पड़ोसी भीड़ में दबकर गिर गईं। उन्होंने कहा, “हम मदद के लिए चिल्लाते रहे, पर कोई हिल भी नहीं सकता था। सांस लेना मुश्किल हो गया था।”
अव्यवस्था और घंटों के इंतजार ने बिगाड़ा खेल?
चश्मदीदों का कहना है कि इस हादसे की बड़ी वजह आयोजकों की लापरवाही और उम्मीद से कई गुना ज़्यादा भीड़ का उमड़ना था। पुलिस ने जितनी भीड़ की इजाज़त दी थी, उससे कहीं ज़्यादा लोग वहां पहुंच गए थे।ऊपर से, अभिनेता विजय को दोपहर में आना था, लेकिन वो कई घंटे देरी से शाम को पहुंचे। सुबह से भूखे-प्यासे इंतज़ार कर रही भीड़ उनके आते ही बेकाबू हो गई।
सबसे दर्दनाक: जब एम्बुलेंस के लिए भी नहीं मिला रास्ता
हादसे की भयावहता तब और बढ़ गई जब घायलों को अस्पताल ले जाने का रास्ता ही नहीं मिला। भीड़ इतनी ज़्यादा थी कि एम्बुलेंस सायरन बजाती रह गईं, लेकिन उन्हें आगे बढ़ने की जगह नहीं मिल सकी।कई लोगों ने अपनों को बचाने की आखिरी उम्मीद भी एम्बुलेंस को जाम में फंसा देखकर तोड़ दी। ये वो पल थे जब कुछ और जानें बचाई जा सकती थीं, लेकिन सब कुछ बेबस और लाचार नजर आ रहा था।
आज करूर की हवाओं में अपनों को खोने का दर्द घुला है। हर कोई यही सवाल पूछ रहा है कि आखिर इस लापरवाही का जिम्मेदार कौन है, जिसके कारण 39 जानें चली गईं, जिनमें कई महिलाएं और बच्चे भी शामिल थे।
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