Supreme Court's big Decision: अब स्कूलों कोचिंग में नंबरों के आधार पर छात्रों का बंटवारा नहीं
News India Live, Digital Desk: Supreme Court's big Decision: भारत के सुप्रीम कोर्ट ने एक बड़ा और महत्वपूर्ण निर्णय लेते हुए देशभर के स्कूलों और कोचिंग सेंटरों में अंकों के आधार पर छात्रों के विभाजन या समूह बनाने पर तत्काल प्रभाव से रोक लगा दी है। यह कदम देशभर में बढ़ती छात्र आत्महत्याओं की घटनाओं को रोकने और शिक्षा के क्षेत्र में तनाव कम करने के उद्देश्य से उठाया गया है।
न्यायालय ने अपनी सुनवाई के दौरान पाया कि छात्रों को उनके अकादमिक प्रदर्शन के आधार पर अलग-अलग वर्गों, सेक्शनों या 'मेरिट' और 'नॉन-मेरिट' बैचों में बांटना उनके मानसिक स्वास्थ्य पर गहरा नकारात्मक प्रभाव डालता है। अक्सर देखा जाता है कि बेहतर अंक लाने वाले छात्रों को अलग 'अरिस्टोक्रेटिक' सेक्शन में रखा जाता है, जबकि कम अंक लाने वालों को 'जनरल' सेक्शन में धकेल दिया जाता है। इस तरह का वर्गीकरण छात्रों में हीन भावना, तनाव और अनुचित प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देता है, जिसका सीधा असर उनके समग्र व्यक्तित्व विकास और मानसिक कल्याण पर पड़ता है। न्यायालय का मानना है कि ऐसे विभाजन से छात्रों पर अवांछित दबाव पड़ता है और कई बार वे चरम कदम उठाने को मजबूर हो जाते हैं।
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का भारतीय शिक्षा प्रणाली पर व्यापक प्रभाव पड़ेगा। यह अब शिक्षण संस्थानों की जिम्मेदारी होगी कि वे सभी छात्रों के लिए एक समावेशी और समान सीखने का माहौल सुनिश्चित करें। इसका अर्थ यह है कि अब बच्चों को उनके परीक्षा परिणामों के आधार पर न तो अलग कक्षाओं में बैठाया जाएगा और न ही विशेष 'बैचों' में डाला जाएगा, जो अक्सर कोचिंग सेंटरों में भी होता आया है।
इस फैसले से शिक्षा व्यवस्था में एक सकारात्मक बदलाव आने की उम्मीद है, जहाँ हर बच्चे को उसकी क्षमता और रुचि के अनुसार विकसित होने का अवसर मिलेगा, न कि केवल अंकों के आधार पर उसकी पहचान बनेगी। यह निर्णय इस बात पर ज़ोर देता है कि शिक्षा केवल अच्छे अंक प्राप्त करने तक ही सीमित नहीं है, बल्कि यह छात्रों के सर्वांगीण विकास और उनके मानसिक कल्याण को प्राथमिकता देने के बारे में भी है। सुप्रीम कोर्ट का यह कदम भारतीय शिक्षा प्रणाली को अधिक मानवीय और छात्र-केंद्रित बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित हो सकता है।
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