सुप्रीम कोर्ट ने POCSO अधिनियम के दुरुपयोग पर चिंता व्यक्त की: किशोर संबंधों और वैवाहिक विवादों में इसका दुरुपयोग हो रहा
पॉक्सो अधिनियम सुप्रीम कोर्ट: सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पॉक्सो (यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण) अधिनियम के दुरुपयोग पर गंभीर चिंता व्यक्त की। न्यायमूर्ति बी. वी. नागरत्ना और न्यायमूर्ति आर. महादेवन की पीठ ने कहा, “वैवाहिक विवादों और नाबालिगों के बीच सहमति से बने संबंधों में पॉक्सो अधिनियम का दुरुपयोग हो रहा है।”
पीठ ने आगे कहा, "हमें लोगों, खासकर लड़कों और पुरुषों को इस कानून के प्रावधानों के बारे में जागरूक करना होगा।" अदालत इस मामले में एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी। याचिका में सरकार को बलात्कार विरोधी कानूनों और पॉक्सो अधिनियम के बारे में लोगों को जागरूक करने का निर्देश देने की मांग की गई थी।
अदालत ने क्या कहा?
- वैवाहिक विवादों में POCSO का दुरुपयोग किया जा रहा है।
- किशोरों के बीच सहमति से बनाए गए संबंधों को भी इस कानून के तहत गलत तरीके से फंसाया गया है।
लड़कों और पुरुषों में जागरूकता की जरूरत है।
अदालत ने इस मामले की अगली सुनवाई 2 दिसंबर तक के लिए स्थगित कर दी है। ऐसा इसलिए क्योंकि कुछ राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों ने अभी तक अपना जवाब दाखिल नहीं किया है।
आवेदन में क्या मांग है?
वरिष्ठ अधिवक्ता अबद हर्षद पोंडा द्वारा दायर इस याचिका में कुछ महत्वपूर्ण मांगें की गई हैं:
1. शिक्षा मंत्रालय को निर्देश दें कि वह 14 वर्ष तक की आयु के बच्चों को पढ़ाने वाले स्कूलों में महिलाओं और बच्चों के विरुद्ध अपराधों से संबंधित कानूनों की जानकारी उपलब्ध कराए।
2. नैतिक शिक्षा विषय का परिचय दें - जिससे लैंगिक समानता, महिला अधिकारों और सम्मानजनक जीवन के बारे में जागरूकता बढ़े।
3. निर्भया कांड के बाद हुए कानूनी बदलावों के बारे में जनता को जानकारी देना।
अदालत इस याचिका पर पहले ही केंद्र सरकार, शिक्षा मंत्रालय, सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय और केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड (सीबीएफसी) को नोटिस जारी कर चुकी है।
यह महत्वपूर्ण क्यों है?
पॉक्सो कानून बच्चों को यौन शोषण से बचाने के लिए बनाया गया है। लेकिन इसका दुरुपयोग मासूमों की ज़िंदगी पर भारी पड़ता है। सुप्रीम कोर्ट की यह टिप्पणी कानून के सही इस्तेमाल और जागरूकता की दिशा में एक बड़ा कदम साबित हो सकती है।
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