Sunil Gavaskar Statement : मर्द कभी फाइनल तक भी नहीं पहुंचे थे गावस्कर ने बताया, क्यों लड़कियों की वर्ल्ड कप जीत 1983 जैसी नहीं है

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News India Live, Digital Desk: Sunil Gavaskar Statement : भारतीय महिला क्रिकेट टीम ने वनडे वर्ल्ड कप 2025 जीतकर इतिहास रच दिया. इस ऐतिहासिक जीत के बाद पूरे देश में जश्न का माहौल है और टीम की जमकर तारीफ हो रही है. कई लोग इस जीत की तुलना कपिल देव की टीम द्वारा 1983 में जीती गई पहली पुरुष वर्ल्ड कप ट्रॉफी से कर रहे हैं. हालांकि, भारतीय क्रिकेट के दिग्गज और 1983 की उस वर्ल्ड कप विजेता टीम के सदस्य सुनील गावस्कर इससे पूरी तरह सहमत नहीं हैं.

गावस्कर का मानना है कि दोनों जीतों में एक बड़ा और बुनियादी फर्क है. उन्होंने यह स्पष्ट किया है कि वह लड़कियों की उपलब्धि को कम नहीं आंक रहे हैं, बल्कि दोनों जीतों के संदर्भ (context) को समझा रहे हैं.

क्या है गावस्कर का तर्क?

सुनील गावस्कर ने एक इंटरव्यू में बताया कि 1983 में जब पुरुष टीम वर्ल्ड कप खेलने गई थी, तो किसी को भी उनसे जीत की उम्मीद नहीं थी.

उन्होंने कहा, "फर्क यह है कि 1983 से पहले, पुरुष टीम कभी भी वर्ल्ड कप के फाइनल, यहाँ तक कि सेमीफाइनल में भी नहीं पहुँची थी. हम नॉकआउट स्टेज तक भी कभी नहीं गए थे. हम पूरी तरह से अंडरडॉग थे."

गावस्कर ने आगे महिला टीम की तारीफ करते हुए कहा कि वे इस वर्ल्ड कप में प्रबल दावेदारों में से एक थीं. उन्होंने कहा, "हमारी लड़कियों को देखिए. वे पिछले कई सालों से लगातार अच्छा प्रदर्शन कर रही हैं. वे पिछले वर्ल्ड कप के फाइनल में भी पहुंची थीं. वे इस बार favorites में से एक थीं और उन्होंने उम्मीदों के मुताबिक प्रदर्शन करते हुए ट्रॉफी जीती."

जीत का जश्न कम नहीं, संदर्भ अलग है

गावस्कर के कहने का सार यह है कि 1983 की जीत एक ऐसी जीत थी जिसने भारतीय क्रिकेट की दुनिया में एक नई क्रांति ला दी थी. उस जीत से पहले किसी ने सोचा भी नहीं था कि भारत वर्ल्ड चैंपियन बन सकता है. यह एक अप्रत्याशित और चौंकाने वाली जीत थी.

वहीं, महिला टीम की जीत उनकी सालों की मेहनत, निरंतरता और बढ़ते दबदबे का परिणाम है. यह टीम पिछले कुछ सालों से वर्ल्ड क्रिकेट की टॉप टीमों में गिनी जाती रही है और इस बार उन्होंने अपनी काबिलियत को साबित करते हुए कप अपने नाम किया.

सुनील गावस्कर ने यह भी कहा कि हरमनप्रीत कौर की टीम की यह जीत भी भारतीय क्रिकेट में एक नया अध्याय लिखेगी और देश की लाखों लड़कियों को क्रिकेट खेलने के लिए प्रेरित करेगी. उन्होंने साफ़ किया कि दोनों ही जीतें अपनी-अपनी जगह पर महान और बेहद महत्वपूर्ण हैं, लेकिन उनके पीछे की परिस्थितियां और उम्मीदें बिल्कुल अलग थीं.

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