Sudhanshu Trivedi in Lucknow : गुलामी की जंजीरें टूट चुकी हैं, अब दुनिया भारत को देखेगी, भारत दुनिया को नहीं
News India Live, Digital Desk : हम अक्सर आपस में बात करते हैं कि "यार, हमारा देश अमेरिका या चीन जैसा ताकतवर कब बनेगा?" हम सब चाहते हैं कि जब हम विदेश जाएं तो भारतीय पासपोर्ट (Indian Passport) की धमक वहां भी दिखाई दे। इसी सपने को हकीकत में बदलने का प्लान अब सामने आ रहा है।
लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान बीजेपी के तेज-तर्रार प्रवक्ता और सांसद डॉ. सुधांशु त्रिवेदी (Sudhanshu Trivedi) ने 'आत्मनिर्भर भारत' (Self-Reliant India) को लेकर कुछ ऐसी बातें कहीं, जो न सिर्फ जोश भरती हैं, बल्कि एक नई उम्मीद भी जगाती हैं।
सिर्फ सपना नहीं, 2047 का संकल्प है
सुधांशु त्रिवेदी ने साफ किया कि 2047 सिर्फ एक तारीख या साल नहीं है। यह वह समय होगा जब हम अपनी आज़ादी के 100 साल मना रहे होंगे। और उनका विजन है कि उस दिन भारत एक विकासशील (Developing) देश नहीं, बल्कि पूरी तरह से विकसित (Developed) देश होगा।
उन्होंने बड़ी सादगी से समझाया कि अब तक हम दूसरों के बनाए रास्तों पर चलते थे, लेकिन 2047 का भारत वो होगा जो दुनिया को रास्ता दिखाएगा।
गुलामी की मानसिकता से आजादी
अपने भाषणों में अक्सर इतिहास का जिक्र करने वाले सुधांशु जी ने इस बार भी एक कड़वी सच्चाई याद दिलाई। उन्होंने कहा कि हमें लंबे समय तक यह महसूस कराया गया कि हम दूसरों से पीछे हैं। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी के विजन ने उस हीन भावना (Inferiority Complex) को खत्म कर दिया है। अब भारत अपनी संस्कृति, अपनी भाषा और अपनी तकनीक पर गर्व करता है। 'विकसित भारत' की नींव यही आत्मविश्वास है।
युवाओं के हाथ में होगी कमान
बीजेपी का विजन डॉक्यूमेंट साफ कहता है कि आने वाला दौर भारत के युवाओं का है। टेक्नोलॉजी हो, स्पेस साइंस हो या स्टार्टअप्स—भारत हर जगह झंडे गाड़ रहा है। सुधांशु त्रिवेदी का कहना है कि 2047 तक हम दुनिया की अर्थव्यवस्था (Economy) का इंजन बन जाएंगे। हम सामान इंपोर्ट करने वाले नहीं, बल्कि एक्सपोर्ट करने वाले 'हब' बनेंगे।
एकजुटता ही सबसे बड़ी ताकत
हालांकि, उन्होंने यह भी इशारा किया कि इस सपने को सच करने के लिए सिर्फ सरकार का नहीं, बल्कि हर नागरिक का योगदान जरूरी है। जब 140 करोड़ लोग एक लक्ष्य के लिए काम करेंगे, तो कोई भी ताकत भारत को 'विश्व गुरु' बनने से नहीं रोक सकती।
यह सुनना कितना सुखद लगता है न? लेकिन असली सवाल यह है कि क्या हम अपनी जिम्मेदारियां निभाने के लिए तैयार हैं? 2047 का भारत वैसा ही होगा जैसा हम उसे आज बनाएंगे।
सुधांशु त्रिवेदी के इस विजन पर आपकी क्या राय है? क्या आपको लगता है कि हम सही दिशा में बढ़ रहे हैं?
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