Success Story : खेत की मिटटी से निकलकर DRDO की कुर्सी तक आदित्य पटेल ने गरीबी को ऐसे हराया
News India Live, Digital Desk : हम अक्सर कहते हैं कि "गुडदड़ी के लाल" महलों में नहीं, मिट्टी के घरों में ही मिलते हैं। आज हम जिस शख्स की बात करने जा रहे हैं, उनकी कहानी सुनकर शायद आपकी आंखों में नमी आ जाए और सीना गर्व से चौड़ा हो जाए। यह कहानी है उत्तर प्रदेश के फतेहपुर जिले के एक छोटे से गाँव से निकले आदित्य पटेल (Aditya Patel) की।
वह लड़का, जिसके पास बचपन में पहनने के लिए शायद एक ही ढंग की शर्ट हुआ करती थी, आज देश की शान DRDO (रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन) में डिप्टी डायरेक्टर की जिम्मेदारी संभाल रहा है। यकीन नहीं होता न? पर यह सच है।
चलिए, आपको इस अद्भुत और भावुक सफर पर ले चलते हैं।
एक शर्ट, किसान पिता और हौसले की उड़ान
आदित्य का जन्म एक बेहद गरीब किसान परिवार में हुआ। पिता जी दिन-रात खेतों में कमर तोड़ मेहनत करते थे ताकि परिवार का पेट भर सके। आर्थिक तंगी का आलम यह था कि आदित्य बचपन में अक्सर एक ही शर्ट पहनकर महीनों गुजार देते थे। सुविधाएं न के बराबर थीं, लेकिन एक चीज भरपूर थी 'पढ़ाई का जज्बा'।
आदित्य के पिता भले ही गरीब थे, लेकिन उनकी सोच बहुत अमीर थी। उन्होंने अपने बच्चों को साफ़ कह रखा था, "हम भले ही आधी रोटी खाएंगे, लेकिन तुम्हारी पढ़ाई नहीं रुकने देंगे।"
जब पिता ने कहा— "मास्टर नहीं, कलेक्टर बनो!"
आदित्य पढ़ने में होशियार थे। मेहनत रंग लाई और वो एक सरकारी टीचर (Assistant Teacher) बन गए। एक मध्यम वर्गीय परिवार के लिए सरकारी नौकरी मिल जाना मतलब 'गंगा नहा लेना' होता है। आदित्य भी खुश थे कि अब घर के हालात सुधरेंगे।
लेकिन कहानी में असली मोड़ तब आया जब पिता ने बेटे की पीठ थपथपाई, मगर साथ में एक सपना भी दे दिया। पिता ने कहा"बेटा, टीचर बन गए हो, अच्छी बात है। लेकिन मेरा मन तुम्हें 'जिलाधिकारी' (DM) की कुर्सी पर देखने का है।"
पिता की यह बात आदित्य के दिल में तीर की तरह लगी। उस वक़्त तक उन्हें यह भी नहीं पता था कि IAS बनने के लिए क्या पढ़ना पड़ता है। लेकिन जब बाप का सपना हो, तो बेटा पहाड़ भी खोद देता है।
रातों की नींद और 919वीं रैंक
आदित्य ने टीचर की नौकरी के साथ-साथ तैयारी शुरू की। रास्ता आसान नहीं था। न महंगी कोचिंग के पैसे थे, न ज्यादा गाइडेंस। बड़े भाई, जो खुद तैयारी कर रहे थे, उन्होंने रास्ता दिखाया। आदित्य ने अपनी नींद और चैन त्याग दिया।
और साल 2017 में वो घड़ी आ ही गई। आदित्य पटेल ने UPSC की परीक्षा पास कर ली और 919वीं रैंक हासिल की। जो लोग कहते थे कि गरीब किसान का बेटा बड़ा अफसर नहीं बन सकता, यह उनकी जुबान पर ताला लगाने जैसा था।
हवाओं से लेकर मिसाइलों तक
सिलेक्शन के बाद आदित्य का सफर बहुत रोमांचक रहा। पहले उन्होंने भारतीय वायु सेना (Indian Air Force) के हेडक्वार्टर में सेवाएं दीं और अब वे DRDO में अपनी काबिलियत दिखा रहे हैं। आज वो देश के रक्षा क्षेत्र में अहम् भूमिका निभा रहे हैं।
सिर्फ अफसर नहीं, 'इंसान' भी हैं
लेकिन रुकिए, आदित्य की कहानी यहाँ ख़त्म नहीं होती। अपनी गरीबी को उन्होंने कभी भुलाया नहीं। आज भी दिल्ली के मुखर्जी नगर में, जहाँ लाखों छात्र IAS बनने का सपना लेकर आते हैं, आदित्य पटेल अपना वक्त निकालकर छात्रों को फ्री में गाइड करते हैं।
वो फिजिक्स और साइंस पढ़ाते हैं, ताकि कोई और गरीब बच्चा सिर्फ 'पैसे की कमी' के कारण अपने सपनों को न मारे। इसे कहते हैं जमीन से जुड़ा हुआ आदमी!
आप क्या सीखते हैं?
दोस्तों, आदित्य पटेल की ज़िंदगी एक ही बात सिखाती है—हालात चाहे जितने भी बुरे हों, अगर आपके इरादों में जान है, तो गरीबी आपकी कामयाबी नहीं रोक सकती। आदित्य के पास सुख-सुविधाएं नहीं थीं, पर पिता का आशीर्वाद और खुद का हौसला बेशुमार था।
आप क्या सोचते हैं?
क्या आपके आसपास भी ऐसी कोई छिपी हुई प्रतिभा है जो हालातों से लड़ रही है? कमेंट में 'जय हिन्द' लिखकर ऐसे नायकों को सलाम करें!
--Advertisement--