Spiritual Teachings : प्रेमानंद जी महाराज के वचन,ऐसे पहचानें सच्चा प्रेम, कहीं आपका प्यार भी झूठा तो नहीं
- by Archana
- 2025-08-18 12:27:00
News India Live, Digital Desk: Spiritual Teachings : प्रेम मानव जीवन का एक महत्वपूर्ण और गहरा पहलू है, जिसकी अनुभूति और परिभाषा प्रत्येक व्यक्ति के लिए भिन्न हो सकती है. हालांकि, वास्तविक प्रेम के कई गुण होते हैं, जिनकी चर्चा संत और गुरु अक्सर करते हैं. श्री प्रेमानंद जी महाराज के वचनों में सच्चे प्रेम के कई अनमोल संकेत बताए गए हैं, जिन्हें समझकर हम अपने रिश्तों की गहराई और सच्चाई को परख सकते हैं. अक्सर हम यह भ्रम पाले रहते हैं कि प्रेम है, जबकि असलियत कुछ और ही होती है.
प्रेम के नाम पर आज कल भौतिकवाद और स्वार्थ को काफी बढ़ावा मिल रहा है, जहां लोग एक-दूसरे से फायदा उठाने की कोशिश करते हैं. प्रेमानंद जी महाराज के अनुसार, यदि कोई व्यक्ति यह विचार कर प्रेम करता है कि "तुम मेरे नहीं होगे तो मैं मर जाऊँगा", तो यह स्वार्थ की निशानी है. उनका मानना है कि सच्चा प्रेम आत्म-बलिदान और दूसरे की खुशी में अपनी खुशी ढूंढने से जुड़ा है. प्रेम के नाम पर सामने वाले से किसी प्रकार का भी समझौता करवाना या उस पर ज़बरदस्ती दबाव डालना सच्चा प्रेम नहीं है. इस प्रकार का प्रेम वासना या सिर्फ़ भौतिक लाभ से प्रेरित हो सकता है.
महाराज प्रेमानंद कहते हैं कि अगर आप अपने प्रेमी या प्रेमिका को बस उसकी बाहरी सुंदरता या किसी भौतिक चीज के लिए प्रेम करते हैं, तो ऐसा प्रेम ज़्यादा देर तक टिकने वाला नहीं होता है. वास्तविक प्रेम हृदय की गहराई से होता है, न कि चेहरे या भौतिक चीज़ों से. उनका मानना है कि जहां वासना होती है, वहां कोई किसी से प्रेम नहीं करता, बल्कि सिर्फ अपनी इच्छा की पूर्ति के लिए दूसरे को जरिया बनाता है. ऐसा प्रेम अंततः केवल दुख ही देता है.
सच्चा प्रेम तो निस्वार्थ भाव से देना सिखाता है. वह किसी अपेक्षा के बिना, सिर्फ प्रेम के लिए प्रेम करता है. जब व्यक्ति बिना किसी शर्त और मांग के दूसरे के सुख में ही अपना सुख देखे, और उसकी कमियों को भी अपनाए, तब वह सच्चा प्रेम कहलाता है. प्रेमानंद जी महाराज के ये वचन हमें रिश्तों में पवित्रता, निष्ठा और आत्मिक संबंध स्थापित करने की प्रेरणा देते हैं, जो वास्तव में दीर्घकालिक खुशी और संतुष्टि का आधार हैं.
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