Spiritual Guru Controversy : दिल्ली के इस आध्यात्मिक गुरु पर लगा छात्राओं के यौन उत्पीड़न का आरोप, हुए गिरफ़्तार
News India Live, Digital Desk: Spiritual Guru Controversy : दिल्ली से एक ऐसी ख़बर आई है, जिसने सबको चौंका दिया है और यह आध्यात्म के नाम पर चल रहे संस्थानों पर कई सवाल खड़े करती है. वसंत कुंज (Vasant Kunj), दिल्ली में एक प्राइवेट इंस्टिट्यूट चलाने वाले 'स्वामी' चैतन्यांदा सरस्वती (Swami Chaitanyananda Saraswati) को अपनी ही महिला छात्राओं के साथ कथित तौर पर यौन उत्पीड़न (molestation) करने के आरोप में गिरफ़्तार कर लिया गया है. यह मामला सामने आने के बाद दिल्ली पुलिस हरकत में आई और आरोपी 'स्वामी' को पकड़ लिया.
यह घटना जिसने भी सुनी, उसे यक़ीन नहीं हो रहा कि अध्यात्म का ज्ञान देने वाले एक गुरु पर ऐसे संगीन आरोप लग सकते हैं. दरअसल, पुलिस को चैतन्यांदा सरस्वती के इंस्टिट्यूट में पढ़ने वाली कुछ छात्राओं की तरफ से शिकायतें मिली थीं. छात्राओं का आरोप था कि चैतन्यांदा सरस्वती ने उनके साथ छेड़छाड़ की है. पुलिस ने मामले की गंभीरता को देखते हुए फौरन एक्शन लिया.
पुलिस ने आरोपी 'स्वामी' चैतन्यांदा सरस्वती के ख़िलाफ पोक्सो एक्ट (POCSO Act) और आईपीसी (IPC) की धारा 354ए (यौन उत्पीड़न) के तहत मामला दर्ज़ कर लिया है. पोक्सो एक्ट लगने से पता चलता है कि शिकायतों में कुछ नाबालिग छात्राओं से संबंधित मामले भी शामिल हो सकते हैं, हालांकि पुलिस अभी इस बारे में ज़्यादा जानकारी जुटा रही है.
कौन हैं स्वामी चैतन्यांदा सरस्वती?
जिन चैतन्यांदा सरस्वती पर ये आरोप लगे हैं, वह खुद को 'गुरुजी' कहते हैं. उनके पास खुद का एक निजी संस्थान है, जहाँ वह छात्रों को विभिन्न विषय पढ़ाते हैं. उनका 'अकादमियों' नाम का एक YouTube चैनल भी है, जिस पर वह ध्यान (meditation) और अन्य आध्यात्मिक विषयों पर लोगों से बातचीत करते और सत्र (sessions) आयोजित करते दिखते हैं. हैरानी की बात यह भी है कि उनके आश्रम में 'आचार्य कॉलेज ऑफ नेचुरोपैथी' (Acharya College of Naturopathy) नाम से एक संस्थान भी चलाया जाता है, जहाँ प्राकृतिक चिकित्सा से संबंधित पढ़ाई होती है. यह आरोप ऐसे समय में लगे हैं, जब वह अपने इंस्टिट्यूट के ज़रिए कई लोगों से जुड़ चुके थे.
पुलिस इस मामले में अभी और जाँच कर रही है और ज़्यादा जानकारी जुटाने की कोशिश कर रही है. सभी सबूतों और बयानों को परखा जा रहा है, ताकि सच्चाई सामने आ सके. इस घटना ने आध्यात्मिक संस्थानों की विश्वसनीयता और उनमें छात्रों की सुरक्षा को लेकर एक गंभीर बहस छेड़ दी है.
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