Spiritual Guidance : आपकी कमाई का पैसा आपको सुख दे रहा है या दुख? प्रेमानंद महाराज की यह बात आंखें खोल देगी

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News India Live, Digital Desk: Spiritual Guidance : हमारी ज़िंदगी में कई बार ऐसे मोड़ आते हैं, जब हमें समझ नहीं आता कि जो काम हम अपनी रोजी-रोटी के लिए कर रहे हैं, वो सही भी है या गलत। ऐसा ही एक बड़ा सवाल लेकर एक व्यक्ति वृंदावन के संत प्रेमानंद जी महाराज के पास पहुंचा। उस व्यक्ति का सवाल इतना सीधा और सच्चा था कि उसका जवाब आज हम सबके लिए एक बड़ी सीख बन गया है।

क्या था वो सवाल?

एक व्यक्ति ने महाराज जी से पूछा, "महाराज जी, मैं अपने परिवार का पेट पालने के लिए मांस और मछली बेचने का काम करता हूं। लेकिन मैं खुद इन चीज़ों को कभी नहीं खाता। तो क्या मेरा यह काम करना सही है या गलत? क्या यह पाप है?"

प्रेमानंद महाराज ने दिया सोचने पर मजबूर करने वाला जवाब

प्रेमानंद महाराज ने बहुत ही शांत भाव से जो जवाब दिया, वह हमारे समाज की उस सोच पर एक गहरा प्रहार है, जहां हम अक्सर खुद को यह कहकर तसल्ली दे देते हैं कि "मैं तो सिर्फ अपना काम कर रहा हूं।"

महाराज जी ने समझाया, "यह मत सोचो कि तुम खाते नहीं हो तो पाप नहीं लग रहा। तुम उस जीव हत्या के भागीदार बन रहे हो। अगर तुम उस मांस को नहीं बेचोगे, तो कोई उसे खरीदेगा कैसे? और कोई खरीदेगा नहीं, तो कोई उसे काटेगा क्यों? तुम इस पाप की श्रृंखला का एक हिस्सा हो।"

उन्होंने आगे कहा, "इस तरह से कमाया हुआ पैसा जब घर आता है, तो वह अपने साथ सिर्फ अन्न नहीं लाता, बल्कि उस जीव की बद्दुआ और श्राप भी लेकर आता है। ऐसे पैसे से घर में कभी शांति नहीं रहती। बच्चों में लड़ाई-झगड़े, बीमारी और मानसिक अशांति बनी रहती है।"

तो फिर क्या करें?

उस व्यक्ति के मन में भी यही सवाल आया होगा कि अगर यह काम छोड़ दूं तो परिवार कैसे चलेगा? इस पर प्रेमानंद महाराज ने एक बहुत ही सुंदर रास्ता दिखाया।

उन्होंने कहा, "तुम कोई और काम ढूंढ लो। भले ही तुम्हें वहां कम पैसे मिलें। सूखी रोटी खाओ, लेकिन वो रोटी धर्म की और शांति की होगी। जब तुम धर्म के रास्ते पर चलकर कमाओगे, तो भगवान की कृपा भी होगी और तुम्हारे घर में जो अशांति है, वो भी खत्म हो जाएगी।"

प्रेमानंद महाराज का यह सत्संग हमें सिखाता है कि हमारी कमाई का जरिया भी उतना ही पवित्र होना चाहिए, जितना हम अपने मन को रखना चाहते हैं। क्योंकि गलत रास्ते से कमाया हुआ धन कभी भी सुख और शांति नहीं दे सकता।

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