जयपुर के SMS अस्पताल ने रचा इतिहास जटिल HIPEC सर्जरी कर मरीज को दी नई जिंदगी
News India Live, Digital Desk : अक्सर हम सरकारी अस्पतालों (Government Hospitals) को लेकर शिकायतें करते रहते हैं कभी भीड़ को लेकर तो कभी व्यवस्था को लेकर। लेकिन जयपुर के Sawai Man Singh (SMS) अस्पताल से एक ऐसी खबर आई है, जिसे पढ़कर आपका सीना गर्व से चौड़ा हो जाएगा और डॉक्टर्स के लिए दिल से सम्मान निकलेगा।
प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में डॉक्टर्स की टीम ने एक 65 वर्षीय महिला की जटिल कैंसर सर्जरी कर उसे मौत के मुंह से बाहर खींच लिया है। यह कोई साधारण ऑपरेशन नहीं था, बल्कि एक ऐसी अत्याधुनिक तकनीक थी, जिसके लिए लोग लाखों रुपए खर्च करके बड़े शहरों के चक्कर काटते हैं।
आइए, आसान भाषा में समझते हैं कि ऑपरेशन थिएटर के बंद दरवाजों के पीछे डॉक्टर्स ने क्या कमाल किया।
कैंसर फैला हुआ था, उम्मीद कम थी
मामला एक बुजुर्ग महिला का है, जो Ovarian Cancer (अंडाशय के कैंसर) के थर्ड स्टेज (3C) से जूझ रही थीं। कैंसर न केवल अंडाशय में था, बल्कि पेट की झिल्ली (Peritoneum) और आसपास के अंगों में बुरी तरह फैल चुका था। ऐसी स्थिति में कीमोथेरेपी का असर कम हो जाता है और सर्जरी बेहद रिस्की होती है।
लेकिन एसएमएस अस्पताल के सर्जिकल ऑन्कोलॉजी विभाग के हेड, Dr. Suresh Singh और उनकी टीम ने हार नहीं मानी। उन्होंने फैसला किया कि वे इस केस में HIPEC (हाइपेक) तकनीक का इस्तेमाल करेंगे।
पेट के अंदर 'गर्म दवाई' का जादू (क्या है HIPEC?)
यह सर्जरी करीब 8 से 9 घंटे तक चली। इसमें डॉक्टर्स ने दो चरणों में काम किया:
- सफाई (Cytoreductive Surgery): सबसे पहले डॉ. सुरेश सिंह और उनकी टीम ने ऑपरेशन करके उन सभी ट्यूमर और गांठों को बाहर निकाला जो आंखों से दिखाई दे रहे थे। बच्चेदानी, ओवरी और पेट की प्रभावित झिल्ली को हटा दिया गया।
- वॉर ऑन कैंसर (HIPEC Therapy): असली चमत्कार इसके बाद हुआ। चूंकि कैंसर के कुछ कण इतने सूक्ष्म होते हैं कि दिखते नहीं हैं, इसलिए डॉक्टर्स ने एक खास मशीन के जरिए करीब 42 डिग्री तापमान (हल्का गर्म) पर कीमोथेरेपी की दवा को सीधे मरीज के पेट के अंदर 90 मिनट तक घुमाया।
इस 'गर्म कीमो' ने पेट में छिपे उन कैंसर सेल्स को भी जलाकर मार दिया, जो भविष्य में दोबारा बीमारी पैदा कर सकते थे।
लाखों का काम लगभग मुफ्त में!
दोस्तों, अगर यही सर्जरी किसी बड़े प्राइवेट कॉरपोरेट हॉस्पिटल में करवाई जाती, तो इसका खर्च 8 से 10 लाख रुपये या उससे ज्यादा आता। एक आम आदमी के लिए इतना पैसा जुटाना नामुमकिन जैसा है। लेकिन चूंकि यह SMS अस्पताल में हुई, तो यह इलाज 'चिरंजीवी' या अन्य सरकारी योजनाओं के तहत लगभग नि:शुल्क या ना के बराबर खर्च में हो गया।
डॉक्टर्स का कहना है कि मरीज अब पूरी तरह स्वस्थ है और डिस्चार्ज के लिए तैयार है।
यह राजस्थान के लिए बड़ी बात क्यों है?
डॉ. सुरेश सिंह ने बताया कि इस सर्जरी का लाइव टेलीकास्ट (Live Broadcast) भी किया गया, ताकि राज्य भर के मेडिकल कॉलेजों के अन्य सर्जन और स्टूडेंट्स भी इसे सीख सकें। यह साबित करता है कि हमारा सरकारी इंफ्रास्ट्रक्चर अब वर्ल्ड क्लास तकनीकों को अपनाने में पीछे नहीं है।
अब राजस्थान के गरीब और मध्यम वर्गीय मरीजों को इस जटिल इलाज के लिए दिल्ली, मुंबई या अहमदाबाद भागने की जरूरत नहीं पड़ेगी। SMS अस्पताल, जयपुर ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वह उत्तर भारत का 'मसीहा' क्यों कहलाता है!
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