Shani ki Sade Sati : शनि देव को क्यों मिला वक्र दृष्टि का शाप, जानिए पौराणिक रहस्य
- by Archana
- 2025-08-22 11:00:00
News India Live, Digital Desk: Shani ki Sade Sati : हिंदू धर्म में शनि देव को न्याय का देवता और कर्मफल दाता माना जाता है. उनका हर व्यक्ति के जीवन पर गहरा प्रभाव पड़ता है, जिसे अक्सर "शनि की साढ़े साती" और "ढैया" के रूप में देखा जाता है. जब शनि की दशा आती है, तो जीवन में कई तरह के उतार-चढ़ाव देखने को मिलते हैं. हालांकि, यह जानना दिलचस्प है कि शनि देव की वक्र (टेढ़ी) दृष्टि क्यों है और उन्हें ऐसा शाप कैसे मिला? इसका रहस्य पौराणिक कथाओं में छिपा है.
पौराणिक कथा के अनुसार, शनि देव का विवाह चित्रा नाम की कन्या से हुआ था, जो एक तपस्विनी थी और भगवान विष्णु की भक्त थी. एक बार शनि देव को भगवान शिव के तांडव का दृश्य देखना था. इसी बीच उनकी पत्नी ने संतान प्राप्ति की इच्छा व्यक्त की, जिससे क्रोधित होकर शनि देव ने उसे अस्वीकार कर दिया और तांडव देखने चले गए. शिव तांडव में लीन होने के कारण उन्हें यह ज्ञात नहीं रहा कि उनके लौटने पर पत्नी उनका इंतजार कर रही थी. अपनी तपस्या को भंग करने पर चित्रा क्रोधित हो गईं और शनि देव को शाप दिया कि उनकी दृष्टि में जिसके लिए प्रेम की भावना नहीं होगी, उस पर जब उनकी सीधी दृष्टि पड़ेगी तो उसका अनिष्ट होगा. तभी से शनि की दृष्टि वक्र हो गई.
एक और प्रसिद्ध कथा में बताया गया है कि रावण जब अपनी भुजाओं से कैलाश पर्वत को उठाने का प्रयास कर रहा था, तब वह अत्यधिक अहंकार से भर गया था. भगवान शिव ने उसे यह समझाकर चेतावनी दी थी कि उसकी यह हरकत ठीक नहीं है. जब रावण नहीं माना तो शिव ने उसे शाप दिया कि उसे धरती पर शनि की ढैया का प्रकोप झेलना होगा. कहा जाता है कि तब रावण को यह ज्ञात हुआ कि शनि की दृष्टि उस पर पड़ेगी और वह उसके जीवन में बुरा समय लाएगी. रावण को यह पता चला कि शिव ने उसकी मृत्यु के लिए भी एक भविष्यवाणी की थी कि उसका नाश शिव भक्त हनुमान के कारण होगा. इसी कारण से, कहा जाता है कि जब भी शनि देव किसी पर वक्र दृष्टि डालते हैं, तो उस व्यक्ति के जीवन में कठिनाइयां आती हैं और रावण जैसा शक्तिशाली भी शनि की साढ़े साती के प्रभाव से नहीं बच पाया.
ये पौराणिक कथाएं शनि देव की वक्र दृष्टि के पीछे के रहस्य और उनके न्यायपूर्ण स्वभाव को दर्शाती हैं, जो हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल देते हैं.
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