Sawan Monday and Periods: क्या महिलाएं व्रत रख सकती हैं समझिए पूरी बात

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News India live, Digital Desk : Sawan Monday and Periods:  सावन का पवित्र महीना चल रहा है और चारों तरफ शिवभक्ति का माहौल है। महादेव के भक्त उनकी कृपा पाने के लिए सोमवार का व्रत रखते हैं। लेकिन, कई महिलाओं के मन में अक्सर यह सवाल उठता है: अगर पीरियड्स (मासिक धर्म) चल रहे हों, तो क्या सावन सोमवार का व्रत रखा जा सकता है और पूजा-पाठ की जा सकती है? इस विषय पर सदियों से बहस होती रही है, और यहाँ हम परंपराओं और व्यावहारिक सोच दोनों को मिलाकर इसकी पूरी जानकारी दे रहे हैं।

परंपराएं क्या कहती हैं?
कुछ प्राचीन मान्यताओं और परंपराओं के अनुसार, मासिक धर्म के दौरान महिलाओं को 'अशुद्ध' माना जाता है। इस दौरान उन्हें मंदिर में प्रवेश करने, भगवान की मूर्ति को छूने, पूजा-पाठ करने या पवित्र ग्रंथों को पढ़ने से मना किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस शारीरिक अवस्था में महिलाएं पूर्ण रूप से शुद्ध नहीं होतीं, इसलिए वे किसी धार्मिक कार्य में सीधे भाग नहीं ले सकतीं। इस नियम के पीछे अक्सर शरीर को आराम देने और स्वच्छता बनाए रखने का भी कारण बताया जाता है।

आधुनिक सोच और आस्था का मर्म:
हालांकि, अब समय के साथ लोगों की सोच में भी बदलाव आया है। आज बहुत से धर्मगुरु और आधुनिक सोच रखने वाले लोग यह मानते हैं कि आस्था और भक्ति का संबंध मन से होता है, शरीर से नहीं। पीरियड्स एक प्राकृतिक शारीरिक प्रक्रिया है, न कि कोई बीमारी या 'अशुद्धि' जिससे आपकी भक्ति कम हो जाए।

अगर आपका शरीर साथ दे रहा है और आप सहज महसूस करती हैं, तो मन से भगवान का ध्यान करने या व्रत रखने में कोई हर्ज नहीं।

तो पीरियड्स के दौरान सावन सोमवार का व्रत कैसे करें?
अगर आपके पीरियड्स चल रहे हैं और आप व्रत रखना चाहती हैं, तो आप इन बातों का ध्यान रख सकती हैं:

मानसिक पूजा: आप मंदिर भले न जा पाएं या भगवान की मूर्ति को न छू पाएं, लेकिन मन ही मन भगवान शिव का ध्यान करें।
मंत्र जाप: 'ओम नमः शिवाय' या किसी भी शिव मंत्र का मन में या धीरे-धीरे उच्चारण करती रहें।
कथा या आरती सुनें: खुद से पूजा-पाठ न कर पाएं, तो घर में परिवार का कोई सदस्य पूजा करे तो उसकी आरती या व्रत कथा सुन सकती हैं।
फल या दूध ग्रहण करें: अगर शारीरिक रूप से असहज महसूस न करें, तो फलाहार या दूध का सेवन कर सकती हैं।
आराम को प्राथमिकता: सबसे ज़रूरी है अपने शरीर का ध्यान रखना। अगर आप शारीरिक रूप से असहज महसूस कर रही हैं या कमजोरी लग रही है, तो व्रत करने से बचें और आराम को प्राथमिकता दें। भगवान हमेशा अपने भक्तों की भावनाओं को समझते हैं।
निष्कर्ष:

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