Saurabh Bhardwaj's big Statement: आप अभी INDIA गठबंधन में नहीं दिल्ली सेवा बिल पर निर्भर करेगा समर्थन

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News India live, Digital Desk : Saurabh Bhardwaj's big Statement: विपक्ष की बहुचर्चित एकजुटता, जो बेंगलुरु में INDIA गठबंधन के नामकरण के साथ आकार ले रही है, को आम आदमी पार्टी (AAP) के एक ताजा बयान से बड़ा झटका लगा है। 'आप' के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष और वरिष्ठ नेता सौरभ भारद्वाज ने साफ शब्दों में कहा है कि उनकी पार्टी फिलहाल इस नए बने INDIA गठबंधन का हिस्सा नहीं है। उनके इस बयान ने विपक्षी खेमे में चल रहे अंदरूनी मतभेदों और भविष्य की रणनीतियों पर नए सवाल खड़े कर दिए हैं।

'दिल्ली सेवा बिल' बना शर्त:
सौरभ भारद्वाज ने बताया कि आम आदमी पार्टी का अभी INDIA गठबंधन में शामिल न होने का मुख्य कारण 'दिल्ली सेवा बिल' है। उन्होंने कहा कि "आम आदमी पार्टी वर्तमान में INDIA अलायंस में नहीं है। हमारा गठबंधन दिल्ली सर्विस बिल के मामले पर राज्यसभा में मिलने वाले समर्थन पर निर्भर करेगा। एक बार जब दिल्ली सेवा बिल राज्यसभा से पारित या खारिज हो जाएगा, तब हम गठबंधन के बारे में सोचेंगे।" उनका इशारा इस बात पर है कि जब तक कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल इस बिल पर अपना स्पष्ट और ठोस समर्थन नहीं देते, तब तक 'आप' खुद को गठबंधन का हिस्सा नहीं मानती।

जुबानी आश्वासन काफी नहीं:
भारद्वाज ने यह भी खुलासा किया कि बेंगलुरु में विपक्षी दलों की बैठक के दौरान उन्हें कुछ पार्टियों, खासकर कांग्रेस, आरजेडी (राष्ट्रीय जनता दल) और सपा (समाजवादी पार्टी), से दिल्ली सेवा बिल पर 'जुबानी समर्थन' का आश्वासन मिला था। लेकिन, 'आप' अभी भी एक स्पष्ट और ठोस समर्थन की मांग कर रही है, जिसे वे औपचारिक प्रतिबद्धता के तौर पर देखना चाहते हैं। उनका बयान सीधे तौर पर उन रिपोर्टों के उलट है जिनमें बेंगलुरु बैठक के बाद आम आदमी पार्टी के भी नए बने गठबंधन का हिस्सा होने की बात कही गई थी।

बेंगलुरु बैठक की पृष्ठभूमि:
गौरतलब है कि बेंगलुरु बैठक में अरविंद केजरीवाल और पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान शामिल हुए थे। हालांकि, रिपोर्ट्स बताती हैं कि AAP ने गठबंधन के नए नाम 'INDIA' की घोषणा से ठीक पहले ही वॉकआउट कर दिया था, क्योंकि उनकी प्रमुख मांग, यानी दिल्ली सेवा बिल पर कांग्रेस का समर्थन, पूरी नहीं हो पाई थी। 'आप' लगातार इस अध्यादेश को गैर-संवैधानिक बताती रही है, जो दिल्ली सरकार से सेवाओं पर नियंत्रण छीनकर केंद्र सरकार को देता है।

यह बयान विपक्षी एकजुटता की राह में एक बड़ी चुनौती पेश करता है और दर्शाता है कि 2024 लोकसभा चुनाव से पहले भी गठबंधन के सदस्यों के बीच महत्वपूर्ण मुद्दों पर मतभेद और शर्तों का सिलसिला जारी है।

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