Russian Citizen : मेरी बेटी भारतीय है रूसी मां और भारतीय पिता के बीच बच्ची की नागरिकता और कस्टडी को लेकर हाई कोर्ट में जंग
News India Live, Digital Desk: दिल्ली हाई कोर्ट में एक अनोखा और संवेदनशील मामला सुर्खियां बटोर रहा है, जहाँ एक रूसी मां और भारतीय पिता के बीच अपनी दो नाबालिग बेटियों के भविष्य और नागरिकता को लेकर कानूनी जंग छिड़ी हुई है। मामला बेटियों को उनकी रूसी मां एलेनौरा गन्यूकोवा द्वारा रूस ले जाने की इच्छा और उनके भारतीय पिता संतोष सिंह के बच्चों को यहीं भारत में रखने की पुरजोर अपील से जुड़ा है।
संतोष सिंह का मुख्य दावा है कि उनकी बड़ी बेटी अमा का जन्म भारत में हुआ है और उसके पास भारतीय पासपोर्ट भी है, जो उसे एक भारतीय नागरिक बनाता है। उनका दृढ़ विश्वास है कि अमा भारतीय नागरिक है और यहीं रहनी चाहिए, जहां उसका पूरा जीवन और पढ़ाई स्थापित हुई है। हालांकि, उनकी शादी अब समाप्त हो चुकी है, जिसके बाद दोनों बेटियों को रूसी मां के पास रखने का फैसला हुआ था। रूसी मां अब अपनी बेटियों को रूस ले जाना चाहती हैं, जिसके खिलाफ पिता ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है।
एकल पीठ ने पहले रूसी मां के पक्ष में फैसला सुनाया था, लेकिन अब यह मामला दिल्ली हाई कोर्ट की डिवीजन बेंच के समक्ष चल रहा है, जहाँ पिता अपनी बच्चियों, खासकर अमा को लेकर रूस ले जाने के फैसले को चुनौती दे रहे हैं। संतोष सिंह का कहना है कि उनकी बड़ी बेटी अमा की पहचान भारत से जुड़ी है और रूस का कानून विदेशी माता-पिता से जन्मे बच्चों के लिए नागरिकता के संबंध में अलग है, जो उसके भविष्य को अनिश्चित बना सकता है।
संतोष ने अपनी चिंताएं जाहिर करते हुए आरोप लगाया है कि बच्चों की मां एलेनौरा गन्यूकोवा वित्तीय रूप से अस्थिर हैं और मानसिक रूप से स्वस्थ नहीं हो सकती हैं। उन्होंने यह भी दावा किया कि एलेनौरा ने पहले बच्चों को उचित देखभाल नहीं दी और उन्हें नुकसान पहुंचाने की धमकी भी दी है। उन्होंने अपनी छोटी बेटी की रूसी नागरिकता में बदलाव को भी 'अवैध' बताया है। संतोष का कहना है कि वे केवल अपनी बेटियों की शिक्षा और समग्र भलाई में सक्रिय भूमिका चाहते हैं, और उनकी जिंदगी भारत में स्थापित है।
यह मामला अंतर्राष्ट्रीय पारिवारिक कानूनों, बच्चों के कल्याण और उनकी नागरिकता से जुड़े जटिल सवालों को उठाता है, जिसका फैसला भारतीय न्यायपालिका के लिए एक मिसाल बन सकता है।
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