Romantic Drama : क्यों सईयारा और आशिकी 2 में जमीन आसमान का अंतर है मोहित सूरी की इन प्रेम कहानियों के 4 बड़े भेद

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News India Live, Digital Desk: Romantic Drama : मोहित सूरी बॉलीवुड के उन निर्देशकों में से एक हैं, जो अपनी गहरे और भावनात्मक प्रेम कहानियों के लिए जाने जाते हैं। उनकी फिल्मों में अक्सर प्यार, जुनून, दर्द और रिश्तों की जटिलताएँ देखने को मिलती हैं। हाल ही में उनकी एक और फिल्म 'सईयारा' जिसके बारे में मीडिया में कुछ चर्चा है, लेकिन मुख्य फोकस आशिकी 2 और उसकी सीक्वल या वैसी कहानियों पर है) आई है, जिसकी तुलना अक्सर उनकी सुपरहिट 'आशिकी 2' से की जा रही है। लेकिन, 'आशिकी 2' और 'सईयारा' के बीच कुछ मूलभूत अंतर हैं जो इन्हें एक-दूसरे से काफी अलग बनाते हैं।

यहाँ उन चार प्रमुख अंतरों पर एक नज़र डाली जा सकती है, जो सईयार' को आशिकी 2 से अलग करते हैं:

सबसे पहले, चरित्रों की जटिलता  में अंतर है। 'आशिकी 2' में जहां राहुल (आदित्य रॉय कपूर) और आरोही श्रद्धा कपूर के किरदार अपेक्षाकृत सीधे-सादे थे, जिनका संघर्ष मुख्य रूप से राहुल के स्टारडम से गिरना और आरोही का उभरना था। 'सईयारा' में, नायक और नायिका के व्यक्तित्व और संघर्षों को अधिक परतदार दिखाया जा सकता है, जो उनके प्रेम कहानी को एक नया आयाम देता है।

दूसरा प्रमुख अंतर है कहानी की पृष्ठभूमि और थीम। 'आशिकी 2' एक संगीतमय प्रेम कहानी थी जहां राहुल के शराब की लत और आत्म-विनाश ने कहानी को मोड़ दिया। 'सईयारा' में प्रेम कहानी की पृष्ठभूमि और इसके केंद्रीय मुद्दे बिल्कुल अलग हो सकते हैं, शायद यह आधुनिक रिश्तों की चुनौतियां, सोशल मीडिया का प्रभाव या किसी और गहरे सामाजिक मुद्दे को छू सकती है।

तीसरा, संगीत और उसके प्रभाव  का अंतर है। 'आशिकी 2' अपनी धुनों के लिए प्रसिद्ध थी, जिसने फिल्म को अपार सफलता दिलाई थी। उसके गाने कहानी का अभिन्न हिस्सा थे। 'सईयारा' का संगीत अलग टोन का हो सकता है और हो सकता है कि यह उतना प्रभावशाली या भावनात्मक रूप से जुड़ा हुआ न हो जितना 'आशिकी 2' का था।

चौथा, परिणाम और संदेश का फर्क है। 'आशिकी 2' का अंत दुखद और त्याग पर आधारित था, जहां प्रेम का सर्वोच्च बलिदान दिखाया गया था। 'सईयारा' में कहानी का अंत शायद अधिक आशावादी या यथार्थवादी हो सकता है, जो बदलते समय और प्रेम के विभिन्न रूपों को दर्शाता हो। यह जरूरी नहीं कि हर प्रेम कहानी दुखद अंत पर खत्म हो।

कुल मिलाकर, भले ही दोनों फिल्में मोहित सूरी की भावनात्मक शैली की पहचान हों, पर उनके प्रस्तुतीकरण, कथानक, पात्रों के संघर्ष और अंततः दिए जाने वाले संदेश में पर्याप्त भिन्नता हो सकती है, जो 'सईयारा' को 'आशिकी 2' से अलग पहचान दिलाती है।

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