Remedies for Ancestors : पितरों को मुक्ति कैसे मिलेगी? जानें प्रेमानंद महाराज ने क्या बताया सरल उपाय

Post

News India Live, Digital Desk: Remedies for Ancestors : हर साल आने वाला पितृ पक्ष हमारे पूर्वजों को याद करने और उनके प्रति अपना सम्मान जताने का एक विशेष समय होता है हिंदू धर्म में मान्यता है कि इन 15 दिनों के दौरान हमारे पितर धरती पर आते हैं और अपने परिवार से तर्पण और श्राद्ध की उम्मीद करते हैं. ऐसा करने से उनकी आत्मा को शांति मिलती है. लेकिन इस भागदौड़ भरी जिंदगी में कई बार लोग सवाल करते हैं कि अगर विधि-विधान से पूजा-पाठ न कर पाएं, तो पितरों की मुक्ति कैसे होगी? इस सवाल पर वृंदावन के संत प्रेमानंद गोविंद शरण जी महाराज ने बहुत सरल और गहरा रास्ता दिखाया है.

कर्मकांड से बढ़कर है भगवान का नाम

प्रेमानंद महाराज जी कहते हैं कि पितरों की शांति और मुक्ति के लिए श्राद्ध और पिंडदान जैसे कर्मकांड अपनी जगह पर महत्वपूर्ण हैं यदि किसी के पास समय और साधन हैं, तो उसे गया जी जैसे पवित्र स्थानों पर जाकर विधि-विधान से पिंडदान जरूर करना चाहिए यह हमारे पूर्वजों के प्रति हमारा कर्तव्य है.

लेकिन, महाराज जी इस बात पर भी जोर देते हैं कि अगर कोई व्यक्ति इन कर्मकांडों को करने में सक्षम नहीं है, तो उसे निराश होने की बिल्कुल भी जरूरत नहीं है. उनके अनुसार, सबसे बड़ा उपाय भगवान के नाम का जप है.

प्रेमानंद महाराज बताते हैं कि जब कोई व्यक्ति सच्चे मन से भगवान का भजन या उनके नाम का जप करता है और उस पुण्य को अपने पितरों को समर्पित कर देता है, तो इससे पितरों का सबसे बड़ा कल्याण होता है. भगवान के नाम में इतनी शक्ति है कि वह सभी ऋणों और बंधनों से मुक्ति दिला सकता है, जिसमें पितृ ऋण भी शामिल है.

कैसे करें नाम-जप का पुण्य पितरों को समर्पित?

इसका तरीका बहुत ही सरल है. आप हर रोज जब भी भगवान का नाम जपें, कीर्तन या भजन करें, उसके बाद हाथ जोड़कर भगवान से प्रार्थना करें, "हे प्रभु, आज मैंने जो भी आपका नाम लिया है, उसका सारा पुण्य मैं अपने पितरों की शांति और मुक्ति के लिए उन्हें समर्पित करता हूँ. आप कृपा करके उन्हें स्वीकार करें और उन्हें सद्गति प्रदान करें."

महाराज जी के अनुसार, आपकी यह सच्ची भावना और प्रार्थना किसी भी बड़े कर्मकांड से बढ़कर फल दे सकती है. भगवान भाव के भूखे हैं, दिखावे के नहीं. अगर आपके मन में अपने पूर्वजों के लिए सच्चा सम्मान और प्रेम है, तो आपका किया हुआ नाम-जप उन तक जरूर पहुंचता है और उनकी आत्मा को तृप्ति मिलती है.

तो इस पितृ पक्ष, भले ही आप बड़े आयोजन न कर पाएं, लेकिन अपने पितरों के निमित्त हर रोज थोड़ा समय निकालकर भगवान का नाम जपें और उसका पुण्य उन्हें अर्पित करें. यह उनकी मुक्ति का सबसे सरल और शक्तिशाली मार्ग हो सकता है.

--Advertisement--