Rahul Gandhi surrenders in Lucknow court: मानहानि मामले में ली जमानत, जेसीबी खुदाई वाले मामले से जुड़ी थी शिकायत
News India Live, Digital Desk: कांग्रेस के दिग्गज नेता राहुल गांधी ने आज (यानी जिस दिन यह खबर बनी) उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की एक स्थानीय अदालत में नाटकीय रूप से सरेंडर किया, जिसके बाद उन्हें जमानत मिल गई। यह मामला कुछ साल पहले उनके एक विवादित बयान से जुड़ा है, जहाँ उन्होंने आरोप लगाया था कि प्रधानमंत्री मोदी, उद्योगपति अडानी और भाजपा के अध्यक्ष अमित शाह मिलकर एक सरकारी योजना से लाभान्वित हो रहे थे, जिसके तहत सड़क खोदने वाली जेसीबी (JCB) मशीनें उनके पक्षकारों को बेची जा रही थीं। यह आरोप मूल रूप से एक चुनावी रैली के दौरान लगाया गया था, जिसने तब भी काफी विवाद खड़ा किया था।
अदालत में, राहुल गांधी के वकीलों ने उनकी तरफ से जमानत याचिका दाखिल की। कोर्ट ने सभी दलीलों को सुनने के बाद उनकी जमानत को स्वीकार कर लिया। हालांकि, अदालत ने राहुल गांधी को एक पर्सनल बॉन्ड भरने के लिए कहा, जिसका मूल्य 25,000 रुपये निर्धारित किया गया है, और साथ ही उसी राशि के लिए दो जमानतियों को भी पेश करने का निर्देश दिया। इसके बाद, राहुल गांधी को इस मानहानि के मुकदमे में जमानत मिल गई, जिससे फिलहाल उन्हें तत्काल राहत मिली है।
यह मामला मूल रूप से साल 2018 का है, जब राहुल गांधी कांग्रेस पार्टी के अध्यक्ष हुआ करते थे। एक रैली के दौरान उन्होंने तत्कालीन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को लेकर टिप्पणी की थी, जिसके जवाब में एक शिकायतकर्ता ने उनके खिलाफ लखनऊ की एक कोर्ट में मानहानि का मुकदमा दर्ज करवाया था। इस शिकायत में आरोप लगाया गया था कि राहुल गांधी ने 'कंबाइन' (Combine) नामक कंपनी का उपयोग करके एक धोखाधड़ी की बात कही थी, जिसके तहत जेसीबी मशीनें बेचकर सरकार के नाम पर करोड़ों रुपये का गबन किया गया। शिकायतकर्ता का तर्क था कि राहुल गांधी के इस बयान से सार्वजनिक रूप से उनकी और अन्य लोगों की प्रतिष्ठा को ठेस पहुंची थी, क्योंकि उन्होंने सीधे-सीधे प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री और भाजपा अध्यक्ष के नाम लिए थे।
राहुल गांधी अक्सर अपने राजनीतिक विरोधियों के खिलाफ तीखी टिप्पणियां करते रहते हैं, जिससे उन पर कई मानहानि के मुकदमे दर्ज होते रहे हैं। हालांकि, वे इस तरह के मुकदमों को अभिव्यक्ति की आजादी पर हमले के तौर पर देखते हैं और उन्हें राजनीतिक द्वेष का परिणाम मानते हैं। यह ताजा मामला फिर से अदालत में उनकी उपस्थिति की वजह बना है और यह दिखाता है कि किस तरह भारतीय राजनीति में बयानबाजी और उसके कानूनी परिणाम आपस में गुंथे हुए हैं। राहुल गांधी के समर्थक इस कार्रवाई को राजनीतिक रूप से प्रेरित मानते हैं, जबकि उनके विरोधी इसे न्याय प्रक्रिया का सामान्य हिस्सा बताते हैं।
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