राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर जानकारी छिपाने का आरोप लगाया, एक दशक के मतदाता रिकॉर्ड और वीडियो साक्ष्य मांगे
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने चुनाव आयोग (EC) पर गंभीर आरोप लगाते हुए इसे वोट चोरी की साजिश में शामिल बताया है। उन्होंने EC पर आरोप लगाया है कि वह भाजपा के साथ मिलकर चुनावी मतदान सूची (वोटर लिस्ट) में बड़े पैमाने पर गड़बड़ी कर रहा है। राहुल गांधी ने पिछले 10 वर्षों के इलेक्ट्रॉनिक वोटर रिकॉर्ड और पोलिंग बूथ के वीडियो सबूतों की मांग की है ताकि वे इस कथित धोखाधड़ी को उजागर कर सकें।
राहुल गांधी ने कर्नाटक के महादेपुरा विधानसभा क्षेत्र की वोटर लिस्ट का छह महीने तक विस्तार से विश्लेषण कर बताया है कि वहां लगभग 1 लाख से अधिक फर्जी वोटर शामिल हैं। उन्होंने 11,965 डुप्लिकेट वोटर, 40,009 नकली या अमान्य पते, 10,452 एक ही पते पर जमा वोटर समूह, 4,132 अमान्य फोटो वाले वोटर और बड़ी संख्या में फॉर्म 6 के गलत उपयोग जैसी विसंगतियों की जानकारी दी है। उन्होंने आरोप लगाया कि चुनाव आयोग ने मशीनीय रूप से पढ़ने योग्य वोटर लिस्ट मुहैया कराने से इनकार कर दिया है, जिससे जांच मुश्किल हो रही है।
राहुल गांधी का कहना है कि भाजपा को सत्ता में बने रहने के लिए इन गड़बड़ियों का सहारा लेना पड़ता है, जो भारतीय लोकतंत्र के लिए खतरा है। उन्होंने कहा कि यदि चुनाव आयोग उनकी मांगों पर नहीं चलता है, तो वे इसे पूरे देश में वोट चोरी की मानेंगे। राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की कड़ी आलोचना करते हुए कहा है कि यह संस्था संविधान और जनता के साथ धोखा कर रही है।
चुनाव आयोग ने राहुल गांधी को आरोपों के संबंध में कागजी पुष्टि करने और गलत वोटर नाम बताने के लिए नोटिस भी जारी किया है। इस मामले में राजनीतिक और कानूनी लड़ाई चल रही है, जबकि राहुल गांधी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस, रैलियों और सोशल मीडिया के माध्यम से इस मुद्दे को जोर-शोर से उठाया है।
संक्षेप में, राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर वोटर रिकॉर्ड छिपाने और भाजपा के साथ मिलीभगत के गंभीर आरोप लगाए हैं, साथ ही पिछले एक दशक के वोटर डेटा और वीडियो सबूत जारी करने की मांग की है, जिससे भारत के चुनावी प्रक्रिया की पारदर्शिता और निष्पक्षता पर सवाल खड़ा हुआ है। इस मामले ने देश में चुनाव संबंधी चर्चा और विवादों को हवा दी है।
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