रूस में फिर पुतिन शासन, नाटो डरा, यूक्रेन भी चिंतित

रूस में आम चुनाव हो चुके हैं. रविवार को तीसरे और आखिरी दिन वोटिंग हुई. चुनाव नतीजे भी आने शुरू हो गए हैं, जिससे ये तय हो गया है कि व्लादिमीर पुतिन एक बार फिर जीत रहे हैं. पुतिन की दोबारा राष्ट्रपति पद पर ताजपोशी होगी. रूस के इतिहास में स्टालिन ने 29 वर्षों तक शासन किया। अब अगर पुतिन अगला कार्यकाल पूरा कर लेते हैं तो वह 30 साल तक शासन करने वाले एकमात्र राष्ट्रपति होंगे। उधर, रूस में पुतिन सरकार की वापसी से नाटो में एक बार फिर डर पैदा हो गया है। इसके अलावा यूक्रेन भी तनाव में है.

 

 

नाटो को डर है कि पुतिन ने 2 साल पहले जो युद्ध शुरू किया था उसका नतीजा क्या होगा. कीव पर युद्ध, जिसे पुतिन ने सैन्य अभियान कहा था, कितने बड़े हमले में परिणित होगा? क्योंकि चुनाव जीतने के बाद पुतिन और भी ताकतवर हो जाएंगे. पिछले 2 सालों में इस युद्ध में बहुत बदलाव आया है. इस युद्ध ने दुनिया को दो हिस्सों में बांट दिया है.

इस युद्ध ने दुनिया को युद्ध के नए तरीके दिखाए हैं। इस युद्ध ने दो महाशक्तियों को सबसे बड़ा दुश्मन बना दिया है, लेकिन क्या ये युद्ध रुकने वाला है? क्या अब यूक्रेन में थमने वाला है महाविनाश का ये मंजर? पुतिन ने अमेरिका समेत नाटो को सबसे बड़ा सबक सिखाने की कसम खाई थी, लेकिन क्या पुतिन की वो कसम पूरी होगी, क्या पुतिन सत्ता में बने रहेंगे? ये एक बड़ा सवाल है.

11 करोड़ लोगों ने वोटिंग में हिस्सा लिया

रूस में 11 करोड़ लोगों ने अपना नेता चुन लिया है. रूस की जनता उस नेता को चुन रही है जो उनकी आवाज़ बनेगा, उनके अधिकारों के लिए लड़ेगा और उनके दुश्मनों को जवाब देगा. जब वह नेता ताली बजाएगा और राष्ट्रपति की गद्दी पर बैठेगा तो वह रूस के स्वाभिमान का प्रतीक होगा। दावेदार तो कई थे, लेकिन सबकी निगाहें व्लादिमीर पुतिन पर थीं. पुतिन पिछले 24 साल से रूस की सत्ता पर काबिज हैं. 4 बार रूस के राष्ट्रपति रह चुके हैं. वह एक बार रूस के प्रधानमंत्री बन चुके हैं और पांचवीं बार रूस के राष्ट्रपति का पद संभालने के लिए तैयार हैं. जब उन्होंने वोट देने की अपील की तो जीत का आत्मविश्वास उनके चेहरे पर साफ झलक रहा था.

 

पुतिन ने कहा था, हम वही करेंगे जो हम चाहेंगे. इसलिए, मैं आपसे अपील करता हूं कि आप अपने नागरिक अधिकारों का प्रयोग करके देशभक्ति का परिचय दें। अपनी पसंद का उम्मीदवार चुनें. जो रूस और रूस के लोगों के सफल भविष्य के लिए काम करते हैं।

पुतिन का भविष्य को आकार देने का वादा

पुतिन ने अपने लोगों से रूस के भविष्य को आकार देने का वादा किया और सभी विशेषज्ञों का भी मानना ​​था कि चुनाव में पुतिन की जीत लगभग तय है। हैरानी की बात ये थी कि इस चुनाव मैदान में पुतिन के खिलाफ खड़े उम्मीदवार खुद पुतिन के बड़े समर्थक थे.

पुतिन के सामने निकोलाई खारितोनोव थे, जो रूसी संसद के निचले सदन स्टेट ड्यूमा के सदस्य हैं। 2004 में उन्हें 14 फीसदी से कम वोट मिले थे, इस बार उन्हें 4 फीसदी से ज्यादा वोट मिलने की उम्मीद है. इसके अलावा लियोनिद स्लटस्की भी पुतिन के खिलाफ मैदान में हैं. लियोनिद रूस की लिबरल डेमोक्रेटिक पार्टी के नेता हैं और पुतिन की तरह पश्चिमी देशों के विरोधी हैं। इस बार उन्हें 5 फीसदी वोट मिलने की उम्मीद है. तीसरे नंबर पर डिसलाव दावानकोव हैं, जो स्टेट ड्यूमा के उपाध्यक्ष हैं और राष्ट्रपति पद के लिए सबसे कम उम्र के उम्मीदवार भी हैं। उन्हें 5 फीसदी वोट मिलने की उम्मीद है.

तीन विरोधी आधार, लेकिन वो भी पुतिन के समर्थन में

पुतिन के ख़िलाफ़ खड़े तीनों उम्मीदवार पुतिन की नीतियों और यूक्रेन के ख़िलाफ़ युद्ध के समर्थक हैं. इसलिए रूस में पुतिन की ताजपोशी लगभग तय मानी जा रही थी. इसका मुख्य कारण पुतिन का राष्ट्रवाद है. यूक्रेन के ख़िलाफ़ युद्ध पुतिन के लिए सिर्फ़ ज़मीन का एक टुकड़ा हासिल करने की लड़ाई नहीं है, बल्कि पुतिन इसे अपनी पहचान से जोड़ते हैं. अपनी पहचान की लड़ाई में पुतिन ने पिछले दो सालों में यूक्रेन के कई शहरों को श्मशान में बदल दिया है और ये भी साफ है कि पुतिन अब रुकने वाले नहीं हैं. चुनाव से कुछ घंटे पहले पुतिन ने एक इंटरव्यू दिया.

 

पुतिन को ये भी पता था कि ये इंटरव्यू सिर्फ रूस के लोग ही नहीं देखेंगे. बल्कि नाटो देशों के साथ-साथ बाइडेन भी इस इंटरव्यू को ध्यान से सुनेंगे और पुतिन ने अपना काम कर दिया है. पश्चिम को परमाणु धमकी देकर बता दिया गया कि यूक्रेन में बारूदी विनाश नहीं रुकेगा. पुतिन ने दो टूक कहा कि वह परमाणु हमले से पीछे नहीं हटेंगे, दरअसल उनके पास अमेरिका से भी ज्यादा ताकतवर परमाणु हथियार हैं.