Punjab News : कल विधायक नहीं, छात्र चलाएंगे सरकार श्री आनंदपुर साहिब में सजने वाली है ऐतिहासिक छात्र संसद
News India Live, Digital Desk: पंजाब की धरती हमेशा से इतिहास रचने के लिए जानी जाती है। और कल यानी 26 नवंबर 2025 (संविधान दिवस) को एक और नया पन्ना इस इतिहास में जुड़ने वाला है। इस बार कोई सियासी ड्रामा नहीं होगा, बल्कि लोकतंत्र का एक खूबसूरत नजारा देखने को मिलेगा।
पंजाब विधानसभा के स्पीकर कुलतार सिंह संधवां (Kultar Singh Sandhwan) की एक बहुत ही शानदार पहल के तहत, श्री आनंदपुर साहिब में एक विशेष 'छात्र सत्र' (Student Session) आयोजित किया जा रहा है। सबसे खास बात यह है कि यह सत्र पंजाब की 'प्रोविजनल' (अस्थायी/पुरानी) विधानसभा की ऐतिहासिक इमारत में आयोजित होगा।
आइए, आसान भाषा में जानते हैं कि यह आयोजन क्यों खास है और इससे हमारे छात्रों को क्या सीखने को मिलेगा।
खालसा की धरती पर लोकतंत्र का पाठ
श्री आनंदपुर साहिब वह पवित्र धरती है जहां खालसा पंथ की स्थापना हुई थी। इसी शहर में एक ऐतिहासिक इमारत है जो आजादी के बाद (पंजाब के पुनर्गठन से पहले) कभी विधानसभा की कार्यवाही का गवाह रही थी।
स्पीकर संधवां ने तय किया है कि संविधान दिवस के मौके पर यहां के पुराने सदन को फिर से जीवंत किया जाए। लेकिन इस बार इसमें कोई मंत्री या विधायक नहीं बैठेंगे, बल्कि स्कूल और कॉलेज के छात्र-छात्राएं बैठेंगे।
क्या होगा इस सेशन में?
सोचिए कितना मजेदार नजारा होगा—
- एक छात्र मुख्यमंत्री बनेगा, तो दूसरा विपक्ष का नेता।
- कोई सवाल पूछेगा, तो कोई उसका जवाब देगा।
- स्पीकर की कुर्सी पर भी शायद कोई होनहार छात्र बैठा हो।
इस सत्र का मकसद है युवाओं को यह समझाना कि आखिर कानून कैसे बनते हैं, संविधान क्या है और सदन की कार्यवाही कैसे चलती है। अक्सर हम राजनीति को सिर्फ टीवी पर देखते हैं और गालियां देते हैं, लेकिन यह सेशन बच्चों को बताएगा कि सिस्टम को चलाने में कितनी जिम्मेदारी लगती है।
स्पीकर साहब की सोच
कुलतार सिंह संधवां का मानना है कि आज का युवा ही कल का भविष्य है। अगर उन्हें अभी से लोकतंत्र की सही जानकारी मिलेगी, तो वे भविष्य में अच्छे नेता और जिम्मेदार नागरिक बनेंगे। यह सत्र उनके अंदर से झिझक (Hesitation) निकालने और उन्हें मंच देने का एक तरीका है।
क्यों है यह गौरव की बात?
यह आयोजन न सिर्फ छात्रों के लिए, बल्कि पूरे पंजाब के लिए गर्व की बात है। पुरानी विरासतों को सहेजना और नई पीढ़ी को उससे जोड़ना यह संगम बहुत कम देखने को मिलता है। 26 नवंबर को जब यह बच्चे संविधान की बातें करेंगे, तो डॉ. अंबेडकर का सपना सच होता दिखाई देगा।
तो चलिए, हम सब मिलकर पंजाब के इन नन्हे 'विधायकों' का हौसला बढ़ाते हैं!
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