बिहार में सियासी महामुकाबला, एक तरफ मोदी की हुंकार, तो दूसरी ओर तेजस्वी-राहुल की ललकार
News India Live, Digital Desk : बिहार में विधानसभा चुनाव 2025 का मुकाबला अब अपने चरम पर पहुंच चुका है। आज, गुरुवार का दिन प्रदेश की राजनीति के लिए किसी 'महामुकाबले' से कम नहीं है। एक तरफ जहां देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एनडीए के लिए हुंकार भर रहे हैं, वहीं दूसरी ओर महागठबंधन की ओर से कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरजेडी के तेजस्वी यादव भी चुनावी मैदान में अपनी पूरी ताकत झोंक रहे हैं। आज बिहार के अलग-अलग कोने इन तीनों बड़े नेताओं की रैलियों से गूंज उठे, जिससे सियासी पारा आसमान पर पहुंच गया है।
मुजफ्फरपुर से गरजे पीएम मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज मुजफ्फरपुर की धरती से अपने चिर-परिचित अंदाज में विपक्ष पर जोरदार हमला बोला। उन्होंने अपनी सरकार की उपलब्धियां गिनाने के साथ-साथ आरजेडी के पुराने शासनकाल को 'जंगलराज' बताते हुए लोगों को आगाह किया। पीएम मोदी ने कहा कि एनडीए सरकार ने बिहार को अपराध और भ्रष्टाचार के उस दौर से बाहर निकालकर विकास की पटरी पर लाने का काम किया है। उन्होंने डबल इंजन सरकार के फायदे गिनाते हुए जनता से एक बार फिर एनडीए पर भरोसा जताने की अपील की।
दरभंगा में तेजस्वी-राहुल का जवाबी हमला
वहीं दूसरी ओर, मुजफ्फरपुर से कुछ ही दूरी पर दरभंगा में महागठबंधन के दो सबसे बड़े चेहरे, राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने संयुक्त रैली कर एनडीए सरकार को घेरा। इन दोनों नेताओं के भाषण का मुख्य केंद्र रोजगार, महंगाई और युवाओं का भविष्य रहा।
तेजस्वी यादव ने अपने 17 महीने के कार्यकाल का जिक्र करते हुए कहा कि उन्होंने लाखों युवाओं को नौकरी देने का जो वादा किया था, उसे पूरा करके दिखाया। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल किया कि उनके 10 साल के राज में बिहार को क्या मिला?
राहुल गांधी ने भी केंद्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि यह सरकार सिर्फ कुछ उद्योगपतियों के लिए काम कर रही है, जबकि देश का आम आदमी और किसान महंगाई की मार से परेशान है। उन्होंने जनता से इस बार 'बदलाव' के लिए वोट करने की अपील की।
मुद्दों की लड़ाई हुई तेज
आज के इस 'सुपर थर्सडे' ने यह साफ कर दिया है कि बिहार का यह चुनाव किन मुद्दों पर लड़ा जाएगा। एक तरफ बीजेपी और एनडीए राष्ट्रवाद, विकास और 'जंगलराज' के डर को मुद्दा बना रही है, तो वहीं आरजेडी, कांग्रेस और महागठबंधन की पूरी रणनीति रोजगार, सामाजिक न्याय और महंगाई जैसे जमीनी मुद्दों पर टिकी हुई है। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि बिहार की जनता इन दोनों में से किस narrativa पर ज्यादा विश्वास करती है और अपना फैसला सुनाती है।
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