Political Leaders : लखनऊ में स्वामी प्रसाद मौर्य के घर के बाहर हंगामा कांवड़ियों पर बयान को लेकर हुआ जोरदार प्रदर्शन

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News India Live, Digital Desk: Political Leaders :  उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर धार्मिक मुद्दों को लेकर बयानबाजी और उस पर तीखी प्रतिक्रिया का दौर शुरू हो गया है। हाल ही में समाजवादी पार्टी के प्रमुख नेता स्वामी प्रसाद मौर्य के एक बयान ने खासा बवाल मचा दिया है, जिसके बाद लखनऊ स्थित उनके सरकारी आवास के बाहर हिंदू संगठनों के कार्यकर्ताओं ने जमकर विरोध प्रदर्शन किया। इस विरोध प्रदर्शन की खास बात यह रही कि प्रदर्शनकारियों ने उनके घर के सामने 'शुद्धिकरण' के लिए गंगाजल का छिड़काव किया और 'जय श्री राम' के नारे लगाए।

पूरा मामला तब शुरू हुआ जब स्वामी प्रसाद मौर्य ने कांवड़ियों को लेकर एक आपत्तिजनक टिप्पणी की थी। उन्होंने कहा था कि अगर पुलिस अपनी ड्यूटी अच्छे से निभाए तो 'आतंकी' भी भगवा चोला पहनकर घूम सकते हैं और 'आतंकवादी गतिविधियां' भी हो सकती हैं। उनका यह बयान भगवान शिव के भक्तों, विशेष रूप से कांवड़ियों पर सीधा हमला माना गया, जिन्होंने श्रावण मास में कठिन यात्राएं करके शिव मंदिरों में पवित्र जल चढ़ाया। इस टिप्पणी से धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचने की बात कहते हुए विभिन्न हिंदू संगठनों, खासकर बजरंग दल और अन्य धर्म रक्षक समूहों ने कड़ी आपत्ति जताई।

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि स्वामी प्रसाद मौर्य जैसे नेता लगातार सनातन धर्म और उससे जुड़ी परंपराओं का अपमान कर रहे हैं। कांवड़ यात्रा आस्था और भक्ति का प्रतीक है और ऐसे में इसे आतंकवाद से जोड़ना बेहद निंदनीय है। प्रदर्शनकारी चाहते थे कि स्वामी प्रसाद मौर्य अपनी टिप्पणी के लिए माफी मांगें, और उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। कार्यकर्ताओं ने 'स्वामी प्रसाद मौर्य मुर्दाबाद' के नारे लगाते हुए उनकी गिरफ्तारी की भी मांग की। उन्होंने अपने हाथों में 'सनातन विरोधी' जैसे बैनर और पोस्टर भी थाम रखे थे।

यह पहली बार नहीं है जब स्वामी प्रसाद मौर्य अपने धार्मिक बयानों को लेकर विवादों में फंसे हैं। इससे पहले भी वह रामचरितमानस, बागेश्वर धाम और हिंदू त्योहारों को लेकर विवादित टिप्पणियां कर चुके हैं, जिससे लगातार उन्हें और उनकी पार्टी को धार्मिक संगठनों और भाजपा जैसी पार्टियों से कड़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है। हिंदू संगठनों के इस ताजा विरोध प्रदर्शन से यह साफ है कि आने वाले समय में धार्मिक और आस्था से जुड़े मुद्दे यूपी की राजनीति में प्रमुखता से उठाए जाते रहेंगे और नेता ऐसे बयानों से और अधिक निशाने पर आ सकते हैं। यह घटना सामाजिक सद्भाव और राजनीतिक मर्यादा पर भी सोचने को मजबूर करती है।

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