Pleasant monsoon season: क्या आप भी हैं इस खतरनाक धोखे का शिकार बारिश की ये बूंदें छीन न लें आपकी आँखों की रोशनी

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News India Live, Digital Desk: Pleasant monsoon season: बरसात का मौसम आते ही प्रकृति अपने हरे-भरे रूप में लौट आती है और मन को शीतलता और आनंद से भर देती है। रिमझिम फुहारें, ठंडी हवाएं और भीनी-भीनी खुशबू... लेकिन इस मनमोहक मौसम के साथ ही कई ऐसी चुनौतियाँ भी आती हैं जिन पर हमारा ध्यान कम जाता है। इन्हीं में से एक है हमारी आँखों का स्वास्थ्य। क्या आप जानते हैं कि मानसून के दौरान आपकी आँखें सामान्य से कहीं अधिक खतरे में होती हैं? यह सिर्फ मौसम का बदलाव नहीं, बल्कि हवा में नमी का बढ़ना, धूल, गंदगी और सूक्ष्मजीवों की संख्या में अप्रत्याशित वृद्धि आपकी आँखों के लिए अदृश्य शत्रु बन जाती है। चाहे आप किसी भी उम्र के हों  मासूम बच्चा, युवा या अनुभवी बुजुर्ग आपकी आँखें मानसून में कई संक्रमणों जैसे कंजंक्टिवाइटिस (आँख आना), स्टाई (गुहेरी), कॉर्नियल अल्सर और अन्य एलर्जिक रिएक्शंस की चपेट में आ सकती हैं। यदि समय रहते इन खतरों को पहचाना न जाए और सावधानियां न बरती जाएं, तो इसका परिणाम न सिर्फ असहनीय दर्द और परेशानी हो सकता है, बल्कि कुछ मामलों में यह दृष्टि को स्थायी नुकसान भी पहुंचा सकता है। अपनी आँखों को स्वस्थ और सुरक्षित रखने के लिए यह जानना अत्यंत आवश्यक है कि मानसून के दौरान किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए।

मानसून की उमस भरी हवा और बारिश के बाद जगह-जगह जमा होने वाला पानी, बैक्टीरिया, वायरस और फंगस जैसे सूक्ष्मजीवों के पनपने के लिए स्वर्ग बन जाता है। ये कीटाणु आसानी से हमारी आँखों तक पहुँच जाते हैं और विभिन्न प्रकार के संक्रमणों का कारण बनते हैं। कंजंक्टिवाइटिस या 'आँख आना' इस मौसम में सबसे आम समस्या है, जिसे अक्सर लोग हल्के में ले लेते हैं। इसके लक्षण आँखों का लाल होना, तेज खुजली और जलन, पानी का लगातार बहना, सुबह सोकर उठने पर पलकों का आपस में चिपक जाना, और कभी-कभी आँखों से गाढ़ा सफेद या पीला स्राव निकलना हो सकते हैं। यह अत्यधिक संक्रामक होता है और एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है। इसके अलावा, आँखों में स्टाई जैसी दर्दनाक फुंसियाँ भी आम हैं, जो पलक के किनारे पर बनती हैं। गंभीर मामलों में कॉर्नियल अल्सर भी हो सकता है, जिससे दृष्टि को गंभीर नुकसान पहुँच सकता है। इसलिए, लक्षणों को पहचानना और समय रहते एहतियात बरतना हमारी आँखों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है।

अपनी आँखों को मानसून के संक्रमणों से बचाना मुश्किल नहीं है, बस कुछ सरल लेकिन महत्वपूर्ण सावधानियों का पालन करना होगा। सबसे पहला और सबसे महत्वपूर्ण नियम है हाथों की स्वच्छता। अपने हाथों को बार-बार साबुन और पानी से धोएं, विशेषकर जब आप बाहर से आएं या किसी ऐसी वस्तु को छू लें जो सार्वजनिक स्थल पर हो। बिना हाथ धोए अपनी आँखों को बिलकुल न छुएं, चाहे आपको कितनी भी खुजली या जलन क्यों न महसूस हो। हमारे हाथ कीटाणुओं के सबसे बड़े वाहक होते हैं। दूसरा महत्वपूर्ण नियम है निजी सामान साझा न करना। अपने रुमाल, तौलिया, चश्मा, सनग्लास, आई ड्रॉप और मेकअप उत्पादों जैसी चीजों को किसी के साथ भी साझा करने से बचें। यदि आपके परिवार में किसी को आँखों का संक्रमण है, तो उनके सामान को पूरी तरह अलग रखें और उनसे सीधा संपर्क या हाथ मिलाने से परहेज करें।

तीसरा, गंदे या दूषित पानी के संपर्क से बचें। बारिश के जमा पानी या मिट्टी भरे पानी के सीधे संपर्क में अपनी आँखों को न आने दें। घर से बाहर निकलते समय यदि संभव हो तो सुरक्षा के लिए चश्मे का उपयोग करें। यदि आप तैरने का शौक रखते हैं, तो मानसून के दौरान सार्वजनिक स्विमिंग पूल से दूर रहें, क्योंकि इनमें अक्सर पानी की शुद्धता को लेकर लापरवाही बरती जाती है, जो आँखों में संक्रमण का बड़ा कारण बन सकता है। चौथा नियम शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत रखना है। स्वस्थ और पौष्टिक आहार लें जिसमें विटामिन ए, सी और ई से भरपूर चीजें हों। पर्याप्त नींद लें और नियमित रूप से व्यायाम करें। एक मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली आपको विभिन्न प्रकार के संक्रमणों, जिनमें आँखों के संक्रमण भी शामिल हैं, से लड़ने में मदद करती है।

इन सामान्य सावधानियों के अतिरिक्त कुछ विशिष्ट बातें भी हैं जिनका ध्यान रखकर आप अपनी आँखों को और सुरक्षित रख सकते हैं:

आई मेकअप से दूरी: मानसून के मौसम में जहाँ तक संभव हो आई मेकअप से बचें या उसे बहुत कम इस्तेमाल करें। गंदे या पुराने मेकअप ब्रश, लाइनर और मस्कारा सीधे आपकी आँखों में कीटाणु पहुँचा सकते हैं। रात में सोने से पहले मेकअप को पूरी तरह से हटाना न भूलें।

कॉन्टैक्ट लेंस के उपयोग में सतर्कता: यदि आप कॉन्टैक्ट लेंस पहनते हैं, तो इस मौसम में अतिरिक्त सतर्कता बरतें। लेंस पहनने और उतारने से पहले अपने हाथों को बहुत अच्छी तरह साफ करें। उन्हें हर बार साफ और ताजे घोल में रखें और उनकी निर्धारित बदलने की अवधि का कड़ाई से पालन करें। यदि आपको अपनी आँखों में हल्की सी भी लालिमा, दर्द या बेचैनी महसूस हो, तो तुरंत लेंस उतार दें और आँखों को आराम दें। हो सके तो कुछ दिनों के लिए चश्मा पहनना शुरू कर दें और विशेषज्ञ से सलाह लें।
बच्चों पर विशेष ध्यान: छोटे बच्चों को गंदे पानी या मिट्टी में खेलने से रोकें, क्योंकि वे अक्सर हाथों को आँख तक ले जाते हैं जिससे संक्रमण तेजी से फैलता है

आँखों को मलने से बचें: आँखों में किसी भी तरह की खुजली, जलन या चिपचिपापन महसूस होने पर आँखों को सीधे रगड़ने या मलने से बचें। इसके बजाय, अपनी आँखों को साफ और ठंडे पानी से धीरे-धीरे धोएं।

तुरंत विशेषज्ञ की सलाह: यदि आपकी आँखों में लालिमा, तेज दर्द, सूजन, धुंधलापन या कोई भी असामान्य डिस्चार्ज दिखे, तो तुरंत किसी नेत्र विशेषज्ञ (आँखों के डॉक्टर) से मिलें। स्वयं दवा लेने या बिना सलाह के आई ड्रॉप्स का इस्तेमाल करने से बचें। आँखों का मामला बेहद संवेदनशील होता है, और किसी भी प्रकार की लापरवाही आपकी दृष्टि को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती है।
इन सरल और प्रभावी सावधानियों का पालन करके आप मानसून के सुहावने मौसम का पूरी तरह से आनंद ले सकते हैं और अपनी कीमती आँखों को हर प्रकार के संक्रमण से बचाकर उन्हें स्वस्थ और सुरक्षित रख सकते हैं। आपकी आँखें आपकी दुनिया हैं, उनकी सुरक्षा आपकी जिम्मेदारी है।

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