Pitru Paksha 2025: जानें कब से शुरू क्या हैं नियम और कैसे करें पितरों का श्राद्ध, मिलेगी असीम कृपा

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News India Live, Digital Desk: हिंदू धर्म में पितृ पक्ष, जिसे श्राद्ध पक्ष के नाम से भी जाना जाता है, का अत्यधिक महत्व है। यह 16 दिनों की वह पवित्र अवधि है जब पितर धरती पर आते हैं और अपने वंशजों द्वारा किए गए श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान से तृप्त होते हैं। ऐसी मान्यता है कि यदि इन 16 दिनों में पितरों का उचित विधि-विधान से श्राद्ध न किया जाए, तो वे रुष्ट होकर अपने लोक लौट जाते हैं और पितृ दोष लग सकता है, जिससे वंश वृद्धि में बाधा, धन की कमी और पारिवारिक कलह जैसी परेशानियां आ सकती हैं। वर्ष 2025 में, पितृ पक्ष की शुरुआत बुधवार, 17 सितंबर को होगी और यह गुरुवार, 2 अक्टूबर तक चलेगा। इस दौरान पितरों को प्रसन्न करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए कुछ खास नियमों का पालन करना बेहद जरूरी माना गया है।

पितृ पक्ष में पितरों के श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान से पूर्वजों को शांति मिलती है और वे नरक के कष्टों से मुक्त होकर मोक्ष की ओर अग्रसर होते हैं। साथ ही, वे अपने वंशजों को सुख-समृद्धि, वंश वृद्धि और सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति का आशीर्वाद प्रदान करते हैं। यह अपने पूर्वजों के प्रति सम्मान व्यक्त करने और उनका कर्ज चुकाने का एक माध्यम भी है।

श्राद्ध कर्म के दौरान कुछ महत्वपूर्ण नियमों का पालन अत्यंत आवश्यक है:

सर्वप्रथम, श्राद्ध करने वाले व्यक्ति को ब्रह्मचर्य का पालन करना चाहिए। इस पूरी अवधि में तामसिक भोजन जैसे मांस, मछली, अंडे, प्याज और लहसुन का सेवन सख्त वर्जित माना गया है। शुद्ध शाकाहारी और सात्विक भोजन ही ग्रहण करना चाहिए। पितृ पक्ष में नाखून और बाल काटने से भी परहेज करना चाहिए। यह माना जाता है कि ऐसा करने से पितर रुष्ट हो सकते हैं। इस पवित्र समय में किसी भी नए और शुभ कार्य, जैसे विवाह, गृह प्रवेश या किसी नई वस्तु की खरीदारी (गाड़ी या प्रॉपर्टी) से बचना चाहिए। यदि किसी मृत पूर्वज की मृत्यु तिथि ज्ञात न हो, तो उनका श्राद्ध अमावस्या को किया जा सकता है। 

पितृ पक्ष में पितरों को जल और तिल से तर्पण करना बहुत शुभ माना जाता है। भोजन कराने के लिए योग्य ब्राह्मणों को निमंत्रित किया जाना चाहिए। साथ ही, गाय, कुत्ते, कौवे और चींटियों को भी भोजन का कुछ अंश अवश्य देना चाहिए, क्योंकि इन्हें पितरों का रूप माना जाता है। घर और आसपास की साफ-सफाई पर विशेष ध्यान देना चाहिए। इसके अलावा, अपने मन में किसी भी प्रकार का गलत विचार नहीं लाना चाहिए, ना ही किसी से झगड़ा करना चाहिए। इस दौरान वाद-विवाद से भी बचना चाहिए।

इन सभी नियमों का पालन करने से न केवल पितर प्रसन्न होते हैं बल्कि पूरे परिवार पर उनकी कृपा बरसती है, जिससे घर में सुख-शांति, समृद्धि और खुशियां आती हैं।

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