Pitra Paksha 2025: घर पर ही कैसे करें पितरों का तर्पण और श्राद्ध, जानिए सबसे सरल विधि
Pitra Paksha 2025: हिन्दू धर्म में अमावस्या की तिथि का बहुत बड़ा महत्व होता है, और जब यह भाद्रपद के महीने में आती है, तो इसे पिठोरी अमावस्या या कुशोत्पाटिनी अमावस्या कहा जाता है। यह दिन सिर्फ पूजा-पाठ के लिए ही नहीं, बल्कि अपने पूर्वजों यानी पितरों को याद करने और उनकी आत्मा की शांति के लिए श्राद्ध और तर्पण करने के लिए भी सबसे उत्तम माना गया है।
कई लोगों को लगता है कि श्राद्ध या तर्पण करने के लिए किसी पंडित जी की या किसी खास पूजा सामग्री की ज़रूरत होती है। लेकिन ऐसा नहीं है। आप चाहें तो घर पर ही बहुत ही सरल तरीके से अपने पितरों को जल अर्पित करके उनका आशीर्वाद पा सकते हैं।
क्यों खास है यह अमावस्या?
पिठोरी अमावस्या साल की उन कुछ खास तिथियों में से है, जब पितर धरती पर अपने परिवार के लोगों को देखने आते हैं। ऐसा माना जाता है कि इस दिन यदि उनके नाम से तर्पण (जल देना) या श्राद्ध (भोजन का अंश देना) किया जाए, तो वे तृप्त होते हैं और अपने परिवार को सुख-समृद्धि और खुशहाली का आशीर्वाद देकर लौटते हैं। जिनकी कुंडली में पितृ दोष होता है, उनके लिए यह दिन किसी वरदान से कम नहीं है।
घर पर तर्पण करने की सबसे आसान विधि
आपको किसी जटिल विधि की ज़रूरत नहीं है। बस सच्ची श्रद्धा और साफ मन से यह काम करें:
- सुबह स्नान करें: सबसे पहले सुबह उठकर स्नान कर लें और साफ-सुथरे वस्त्र पहनें।
- दक्षिण दिशा की ओर मुंह करें: अपने घर में किसी साफ जगह पर दक्षिण दिशा (South Direction) की ओर मुंह करके बैठ जाएं। पितरों का स्थान दक्षिण दिशा में ही माना जाता है।
- सामग्री तैयार करें: एक तांबे के लोटे में शुद्ध जल भरें। उसमें थोड़ा सा गंगाजल, काले तिल, जौ और एक सफेद फूल डाल दें। अगर ये सब न भी हो, तो सिर्फ जल और काले तिल से भी काम चल सकता है।
- पितरों को जल अर्पित करें:
- अपने हाथ में कुश (एक प्रकार की घास) या दूर्वा घास ले लें। अगर यह भी न हो, तो बिना इसके भी कर सकते हैं।
- जल से भरे लोटे को हाथ में लें और अपने पितरों का मन में ध्यान करें। उनसे प्रार्थना करें कि 'हे मेरे पितर, मैं आपको यह जल अर्पित कर रहा हूँ, कृपया इसे स्वीकार करें और तृप्त हों।'
- इसके बाद, लोटे के जल को अपने हाथ के अंगूठे के सहारे धीरे-धीरे किसी साफ बर्तन या ज़मीन पर गिराएं। याद रखें, पितरों को जल अंगूठे के माध्यम से ही दिया जाता है।
घर पर श्राद्ध कैसे करें?
- इस दिन जो भी भोजन आप अपने घर में बनाएं, उसमें से सबसे पहली रोटी गाय के लिए निकालें और आखिरी रोटी कुत्ते के लिए निकालें।
- अपने भोजन में से थोड़ा-थोड़ा अंश (जैसे रोटी, सब्जी, दाल, चावल) एक पत्ते पर निकालकर पितरों के नाम से घर के बाहर या छत पर रख दें, जहाँ कौए उसे खा सकें। माना जाता है
- कि कौए पितरों का रूप होते हैं।
बस इतनी सी सरल विधि से आप अपने पूर्वजों के प्रति अपना सम्मान प्रकट कर सकते हैं और उनका आशीर्वाद पा सकते हैं। इसके लिए न तो बहुत पैसे खर्च करने की ज़रूरत है, और न ही किसी जटिल कर्मकांड की।
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