Paush Sankashti Chaturthi 2025 : एक ऐसा व्रत, जो हर दुःख और संकट को दूर करता है: जानिए पौष संकष्टी चतुर्थी के बारे में सब कुछ
- पौष संकष्टी चतुर्थी 2025: जानें सही तारीख, पूजा का समय और आसान विधि, ताकि गणपति पूरी करें हर मुराद.
- क्या है अखुरथ संकष्टी चतुर्थी और इसे क्यों मनाते हैं? आपकी हर शंका का समाधान.
Paush Sankashti Chaturthi 2025 : हमारे हिंदू धर्म में हर व्रत और त्योहार का एक गहरा मतलब होता है, जो हमें ईश्वर से जोड़ता है. ऐसा ही एक बहुत खास व्रत है 'अखुरथ संकष्टी चतुर्थी'. जैसा कि नाम से ही पता चलता है, यह व्रत जीवन के हर 'संकट' को हरने वाला माना जाता है. यह व्रत भगवान गणेश को समर्पित है और माना जाता है कि इसे करने वाले पर गणपति की विशेष कृपा होती है.
कब है अखुरथ संकष्टी चतुर्थी 2025?
हिन्दू पंचांग के अनुसार, यह व्रत पौष महीने के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. साल 2025 में, यह व्रत 7 दिसंबर, दिन रविवार को पड़ेगा.
- चतुर्थी तिथि कब शुरू होगी: 7 दिसंबर 2025, शाम 06:24 बजे
- चतुर्थी तिथि कब खत्म होगी: 8 दिसंबर 2025, शाम 04:03 बजे
- चाँद निकलने का समय: शाम 7:55 बजे
इस व्रत में चाँद का दिखना बहुत महत्वपूर्ण होता है. शाम को चंद्रोदय के बाद ही गणेश जी की पूजा करके व्रत खोला जाता है.
क्यों रखते हैं यह व्रत?
'संकष्टी' का मतलब ही है- संकटों का नाश करने वाली. मान्यताओं के अनुसार, जो भी व्यक्ति इस दिन पूरी श्रद्धा से गणपति का ध्यान करता है, उसके जीवन से मुश्किलें दूर होने लगती हैं. खासकर, माताएं अपनी संतान की लंबी उम्र, अच्छी सेहत और तरक्की के लिए इस व्रत को करती हैं. भगवान गणेश को बुद्धि, सौभाग्य और विवेक का देवता माना गया है. ऐसी आस्था है कि इस व्रत को करने से:
- जीवन के कष्ट कम होते हैं.
- धन और ज्ञान की प्राप्ति होती है.
- आत्मविश्वास और सही फैसले लेने की क्षमता बढ़ती है.
- मन की हर इच्छा पूरी होती है.
घर पर कैसे करें आसान पूजा?
इस व्रत की पूजा विधि बहुत सरल है. आप इसे आसानी से घर पर कर सकते हैं:
- सबसे पहले नहा-धोकर एक साफ चौकी पर गणेश जी की मूर्ति या तस्वीर रखें.
- उन्हें साफ कपड़े पहनाएं और चंदन का तिलक लगाएं.
- गणपति को दूर्वा (हरी घास) जरूर चढ़ाएं, क्योंकि यह उन्हें बहुत प्रिय है.
- घी का एक दीया जलाएं और फूलों की माला अर्पित करें.
- भोग के लिए मोदक या बेसन के लड्डू रखें, क्योंकि ये गणेश जी के पसंदीदा मिष्ठान हैं.
- इसके बाद, गणेश चालीसा और संकष्टी व्रत की कथा पढ़ें.
- अंत में, गणेश जी की आरती करें और उनसे अपने परिवार की सुख-शांति के लिए प्रार्थना करें.
यह व्रत हमें सिखाता है कि अगर सच्चे मन से ईश्वर को याद किया जाए, तो बड़ी से बड़ी मुश्किल भी आसान हो जाती है.
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