यूपी में ऑपरेशन क्लीन शुरू? BJP का ये पुराना दांव क्या फिर पलट देगा 2027 की बाजी?

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News India Live, Digital Desk: हम सब अभी उपचुनावों के नतीजों और 2024 की हलचल को देख रहे हैं, लेकिन क्या आपको पता है कि सियासी गलियारों में 2027 के 'महायुद्ध' यानी Uttar Pradesh Assembly Election 2027 की तैयारी अभी से शुरू हो चुकी है? और इस तैयारी के केंद्र में है एक शब्द 'SIR'

जी हाँ, यह कोई साधारण अंग्रेजी का शब्द नहीं है, बल्कि राजनीति का वो हथियार है जिसने यूपी में एक बार फिर गर्मी बढ़ा दी है। आइए, बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं कि ये माजरा क्या है और बीजेपी के 'पुराने मुद्दे' को इससे कैसे हवा मिल रही है।

आखिर क्या है यह 'SIR'?

सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि 'SIR' का मतलब है Special Intensive Revision (विशेष संक्षिप्त पुनरीक्षण)। सरल शब्दों में कहें तो Voter List (मतदाता सूची) की सफाई का अभियान। चुनाव आयोग हर चुनाव से पहले लिस्ट को अपडेट करता है, जिसमें नए नाम जोड़े जाते हैं और जिनकी मौत हो चुकी है या जो फर्जी वोटर्स हैं, उनके नाम हटाए जाते हैं।

लेकिन इस बार यूपी में यह रूटीन काम नहीं, बल्कि एक बड़ा राजनीतिक मुद्दा बनता जा रहा है।

बीजेपी का 'पुराना मुद्दा' और नई धार

बीजेपी हमेशा से यह आरोप लगाती रही है कि उत्तर प्रदेश के कई जिलों में एक खास समुदाय के बोगस वोट (Fake Voters) भारी तादाद में वोटर लिस्ट में घुसे हुए हैं। पार्टी का मानना है कि बांग्लादेशी घुसपैठियों और रोहिंग्याओं के नाम भी अवैध तरीके से लिस्ट में शामिल हैं, जो चुनावी नतीजों को प्रभावित करते हैं।

अब जब चुनाव आयोग ने 'SIR' यानी गहन जांच का आदेश दिया है, तो बीजेपी को अपना पुराना एजेंडा धारदार करने का मौका मिल गया है। इसे पार्टी 'वोट जिहाद' के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई के तौर पर देख रही है। संभल जैसी जगहों पर हुए विवाद के बाद यह मुद्दा और गरमा गया है।

2027 पर क्या होगा असर?

राजनीति के जानकार मानते हैं कि चुनाव सिर्फ प्रचार से नहीं, बल्कि बूथ मैनेजमेंट से जीता जाता है। अगर वोटर लिस्ट से फर्जी नाम (जिनकी आड़ में वोट डलते हैं) हटा दिए जाएं, तो कई सीटों का समीकरण पूरी तरह बदल सकता है।

बीजेपी का मानना है कि अगर यह सफाई (Screening) ठीक से हो गई, तो 2027 में विपक्ष के लिए सत्ता में वापसी करना बहुत मुश्किल हो जाएगा। इसीलिए पार्टी के कार्यकर्ता अब घर-घर जाकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि लिस्ट से "संदिग्ध" नाम हटें और उनके समर्थकों के नाम जुड़ें।

विपक्ष क्यों है परेशान?

दूसरी तरफ, समाजवादी पार्टी (SP) और कांग्रेस जैसे विपक्षी दलों को डर है कि इस 'SIR' अभियान की आड़ में कहीं उनके असली वोटर्स के नाम न काट दिए जाएं। विपक्ष का आरोप है कि प्रशासन सत्ताधारी दल के इशारे पर काम कर रहा है।

कुल मिलाकर बात यह है, दोस्तों, कि यूपी में 2027 की जंग सिर्फ भाषणों से नहीं, बल्कि कागजों पर लड़ी जा रही है। जिसके पास सही वोटर लिस्ट होगी, उसका पलड़ा भारी होगा।

इस 'SIR' के शोर में किसकी नैया पार लगेगी, यह तो वक्त ही बताएगा, लेकिन एक बात तय है यूपी का सियासी पारा जाड़ों में भी चढ़ा रहने वाला है।

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