ऑपरेशन डिजिस्क्रैप: न्हावा शेवा बंदरगाह पर 23 करोड़ रुपये के पुराने लैपटॉप और सीपीयू जब्त, सूरत से मास्टरमाइंड गिरफ्तार

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ऑपरेशन डिजिस्क्रैप: राजस्व खुफिया निदेशालय (डीआरआई) ने नवी मुंबई के न्हावा शेवा बंदरगाह पर एक बड़ी कार्रवाई की है। 'ऑपरेशन डिजिस्क्रैप' नाम के इस अभियान में 23 करोड़ रुपये मूल्य के पुराने लैपटॉप, सीपीयू और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरण ज़ब्त किए गए हैं। इसके साथ ही सूरत स्थित तस्करी के मास्टरमाइंड को भी गिरफ्तार किया गया है।

इन पुराने इलेक्ट्रॉनिक सामानों को एल्युमीनियम स्क्रैप के रूप में देश में लाया गया था। सरकारी नियमों के अनुसार, पुराने और इस्तेमाल किए गए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का आयात प्रतिबंधित है क्योंकि इससे ई-कचरा बढ़ता है, जो पर्यावरण और जन स्वास्थ्य के लिए खतरनाक है।

क्या मिला?

डीआरआई ने चार कंटेनरों से 17,760 पुराने लैपटॉप, 11,340 मिनी/बेयरबोन सीपीयू, 7,140 प्रोसेसर चिप्स और अन्य इलेक्ट्रॉनिक सामान ज़ब्त किए हैं। इन सभी सामानों की कुल कीमत 23 करोड़ रुपये है। ये सामान सीमा शुल्क अधिनियम, 1962 की धारा 110 के तहत ज़ब्त किए गए हैं। सरकारी नीति के अनुसार, ऐसी प्रतिबंधित वस्तुओं का पुनः निर्यात किया जाना चाहिए या उन्हें कबाड़ में डाल दिया जाना चाहिए।

सरकारी नियम क्या कहते हैं?

विदेश व्यापार नीति (एफटीपी) 2023, ई-कचरा (प्रबंधन) नियम, 2022 और इलेक्ट्रॉनिक्स एवं आईटी सामान (अनिवार्य पंजीकरण) आदेश, 2021 पुराने और नवीनीकृत लैपटॉप, सीपीयू और अन्य इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के आयात पर प्रतिबंध लगाते हैं। ये नियम बीआईएस सुरक्षा और लेबलिंग आवश्यकताओं का पालन अनिवार्य बनाते हैं, ताकि जन स्वास्थ्य और पर्यावरण को होने वाले नुकसान से बचा जा सके।

तस्करी का मास्टरमाइंड गिरफ्तार

इस तस्करी की योजना बनाने और पैसों के लेन-देन में शामिल सूरत की एक फर्म के निदेशक को डीआरआई ने गिरफ्तार कर लिया है। उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है। इस तरह की ई-कचरा तस्करी न केवल पर्यावरण और लोगों के स्वास्थ्य को नुकसान पहुँचाती है, बल्कि देश के घरेलू उद्योगों को भी नुकसान पहुँचाती है।

डीआरआई की यह कार्रवाई देश को ई-कचरे के खतरे से बचाने और घरेलू उद्योगों की सुरक्षा के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

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