Odisha on Red Alert : जानिए कैसे एक राज्य ने अपनी सबसे बड़ी त्रासदी को अपनी सबसे बड़ी ताकत में बदल दिया

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News India Live, Digital Desk: Odisha on Red Alert : ओडिशा के तटवर्ती इलाकों में एक बार फिर डर और दहशत का माहौल है। 26 साल पहले आए 'महाचक्रवात' की वो भयानक यादें फिर से ताजा हो गई हैं, जिसने पूरे राज्य को हिलाकर रख दिया था। इस बार इस डर का नाम है चक्रवाती तूफान 'मोंथा', जो तेजी से ओडिशा के तट की ओर बढ़ रहा है। मौसम विभाग (IMD) ने इसके खतरनाक रूप को देखते हुए कई जिलों में 'रेड अलर्ट' जारी कर दिया है और राज्य सरकार युद्धस्तर पर तैयारियों में जुट गई है।

यह तूफान उस अक्टूबर महीने की याद दिला रहा है, जब 1999 में आए 'सुपर साइक्लोन' ने ओडिशा में तबाही का ऐसा मंजर दिखाया था, जिसे आज भी लोग भूल नहीं पाए हैं।

क्या था 1999 का वो 'महाविनाश'?

29 अक्टूबर, 1999... यह ओडिशा के इतिहास का वो काला दिन है, जब एक महाचक्रवात ने राज्य में मौत का तांडव मचाया था। उस समय न तो आज की तरह आधुनिक चेतावनी प्रणाली थी और न ही आपदा से निपटने की कोई खास तैयारी। नतीजा यह हुआ कि 250 किलोमीटर प्रति घंटे से भी तेज हवाओं और विशाल समुद्री लहरों ने सबकुछ तहस-नहस कर दिया।

सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, इस आपदा में 10,000 से ज़्यादा लोगों की जानें गईं थीं और लाखों लोग बेघर हो गए थे। न बिजली थी, न संचार का कोई साधन। कई दिनों तक तो यह भी पता नहीं चल पाया था कि किस इलाके में कितना नुकसान हुआ है। यह भारत की सबसे भीषण प्राकृतिक आपदाओं में से एक थी, जिसने ओडिशा की कमर तोड़कर रख दी थी।

1999 के जख्मों से सबक लेकर आज कितना तैयार है ओडिशा?

उस महाविनाश ने ओडिशा को एक ऐसा सबक सिखाया, जिसे उसने अपनी ताकत बना लिया। आज ओडिशा चक्रवात जैसी आपदाओं से निपटने के मामले में दुनिया भर में एक मिसाल कायम कर चुका है। 1999 और आज के ओडिशा में जमीन-आसमान का फर्क है:

  1. 'जीरो कैजुअल्टी' का लक्ष्य: 1999 की तबाही के बाद, राज्य सरकार ने 'जीरो कैजुअल्टी' (शून्य मृत्यु) की नीति अपनाई। अब हर तूफान का सामना इसी लक्ष्य के साथ किया जाता है कि किसी भी इंसान की जान न जाए।
  2. एडवांस वार्निंग सिस्टम: आज ओडिशा के पास सैटेलाइट और डॉप्लर राडार का एक मजबूत नेटवर्क है, जो किसी भी तूफान के आने की सटीक जानकारी 3-4 दिन पहले ही दे देता है। लोगों को SMS, टीवी, रेडियो और सायरन के जरिए समय रहते सावधान कर दिया जाता है।
  3. चक्रवात शेल्टर का नेटवर्क: राज्य के पूरे तटीय इलाके में 800 से ज़्यादा बहुउद्देश्यीय चक्रवात शेल्टर बनाए गए हैं। इन शेल्टरों में लाखों लोगों के रहने, खाने और मेडिकल सुविधा का इंतजाम होता है।
  4. NDRF और ODRAF की मुस्तैदी: राज्य की अपनी विशेष आपदा प्रतिक्रिया बल (ODRAF) और राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (NDRF) की टीमें तूफान के आने से पहले ही संवेदनशील इलाकों में तैनात कर दी जाती हैं। वे अत्याधुनिक उपकरणों से लैस होती हैं और राहत-बचाव कार्य में माहिर होती हैं।

'मोंथा' को लेकर सरकार की मौजूदा तैयारी

'मोंtha' के खतरे को देखते हुए ओडिशा सरकार पूरी तरह से अलर्ट मोड पर है:

  • तटीय जिलों के कलेक्टरों को निचले इलाकों से लोगों को सुरक्षित निकालने का निर्देश दिया गया है।
  • NDRF की 12 और ODRAF की 20 से ज़्यादा टीमें तैनात की जा चुकी हैं।
  • मछुआरों को अगले आदेश तक समुद्र में न जाने की सख्त चेतावनी दी गई है।
  • संवेदनशील जिलों में सरकारी कर्मचारियों की छुट्टियां रद्द कर दी गई हैं।

भले ही 'मोंथा' का खतरा 1999 की यादें ताजा कर रहा हो, लेकिन आज का ओडिशा उस त्रासदी से सबक लेकर एक मजबूत और आत्मविश्वासी राज्य के रूप में इस नई चुनौती का सामना करने के लिए सीना तानकर खड़ा है।

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