ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने का सपना अब होगा आसान? भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच हुई ये बड़ी डील

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News India Live, Digital Desk : अगर आप भी उन भारतीय छात्रों में से हैं जो विदेश में जाकर, खास तौर पर ऑस्ट्रेलिया में पढ़ने का सपना देखते हैं, या फिर भारत में ही वर्ल्ड क्लास एजुकेशन चाहते हैं, तो यह खबर आपके चेहरे पर मुस्कान ला सकती है। भारत और ऑस्ट्रेलिया के रिश्ते अब किताबों और क्लासरूम तक पहुंच गए हैं, और यह रिश्ता पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गया है।

हाल ही में, तीसरी ऑस्ट्रेलिया-भारत शिक्षा और कौशल परिषद (AIESC) की बैठक हुई। यह सिर्फ एक मीटिंग नहीं थी, बल्कि दोनों देशों के भविष्य यानी आप जैसे छात्रों के लिए एक बड़ा कदम था।

चलिए, बिल्कुल आसान भाषा में समझते हैं कि इस मीटिंग में क्या खिचड़ी पकी और इसका सीधा फायदा आपको कैसे मिलने वाला है।

क्या है AIESC की यह मीटिंग?
आसान शब्दों में कहें तो यह एक ऐसा मंच है जहाँ भारत और ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री और बड़े अधिकारी बैठते हैं और चर्चा करते हैं कि कैसे दोनों देश मिलकर पढ़ाई-लिखाई और नौकरी के अवसरों को बेहतर बना सकते हैं। इस बार की बैठक में मुख्य फोकस "स्किल" यानी कौशल और रिसर्च पर था।

किन बातों पर हुआ समझौता (MOUs)?
खबर है कि इस मीटिंग के दौरान कई महत्वपूर्ण समझौतों (MOUs) पर साइन किए गए हैं।

  1. रिसर्च और इनोवेशन: अब दोनों देश मिलकर खेती (Agriculture), पानी (Water Management) और स्वास्थ्य जैसे जरूरी मुद्दों पर रिसर्च करेंगे। यानी भारतीय स्टूडेंट्स को अब ऑस्ट्रेलियन यूनिवर्सिटीज के साथ काम करने का ज्यादा मौका मिलेगा।
  2. यूनिवर्सिटी से यूनिवर्सिटी का जुड़ाव: इस समझौते का सबसे बड़ा फायदा यह होगा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया की यूनिवर्सिटीज अब एक-दूसरे के साथ मिलकर कोर्स चला सकेंगी। सोचिये, आप भारत में रहकर भी ऑस्ट्रेलिया के स्टैंडर्ड वाली पढ़ाई कर पाएंगे या एक्सचेंज प्रोग्राम के तहत वहां जाना आसान होगा।
  3. स्किल डेवलपमेंट: सिर्फ किताबी ज्ञान नहीं, बल्कि हाथ के हुनर पर भी जोर दिया जा रहा है। इसका मकसद है कि भारतीय युवा इस लायक बनें कि उन्हें न सिर्फ भारत में, बल्कि पूरी दुनिया में आसानी से नौकरी मिल सके।

क्यों खास है ऑस्ट्रेलिया?
हम सब जानते हैं कि ऑस्ट्रेलिया भारतीय छात्रों की पसंदीदा जगहों में से एक है। वहां का एजुकेशन सिस्टम प्रैक्टिकल नॉलेज पर ज्यादा जोर देता है। इस साझेदारी से दोनों देशों के बीच "आना-जाना" (Student Mobility) आसान होगा। इसका मतलब है कि वीजा और एडमिशन के प्रोसेस में पारदर्शिता और सहयोग बढ़ेगा।

आगे की राह
भारत सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि हमारी "नई शिक्षा नीति" (NEP) के तहत विदेशी संस्थान भारत में आएं। यह मीटिंग उसी दिशा में एक बड़ा कदम है।

तो दोस्तों, अगर आप हायर एजुकेशन के लिए प्लान कर रहे हैं, तो ऑस्ट्रेलिया अब पहले से ज्यादा करीब नज़र आ रहा है। यह साझेदारी आने वाले सालों में हजारों छात्रों के करियर को एक नई उड़ान देने वाली है।

तैयारी शुरू कर दीजिये, मौके आपका इंतज़ार कर रहे हैं!

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