दवाइयां नहीं, उत्तराखंड का यह 'गुप्त' फल खाइए! पेट से लेकर बीपी तक, हर मर्ज की है एक दवा
नई दिल्ली: हम अपनी सेहत के लिए क्या-क्या नहीं करते... महंगे सप्लीमेंट खाते हैं, विदेशी सुपरफूड (जैसे कीवी और एवोकाडो) ऑर्डर करते हैं, और छोटी-छोटी समस्याओं के लिए भी डॉक्टर के चक्कर लगाते रहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि असली सेहत का खजाना तो हमारे अपने ही देश के पहाड़ों में छिपा हुआ है, जिसके बारे में हम में से ज्यादातर लोग जानते ही नहीं.
आज हम आपको उत्तराखंड के पहाड़ों में मिलने वाले एक ऐसे ही 'गुप्त' और चमत्कारी फल के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसे वहां के लोग 'अमेस' (Ames) के नाम से जानते हैं. यह दिखने में तो छोटे आलूबुखारे जैसा लगता है और स्वाद में खट्टा-मीठा होता है, लेकिन गुणों के मामले में यह किसी 'संजीवनी बूटी' से कम नहीं है.
यह एक ऐसा जंगली फल है, जिसकी अहमियत न जानने के कारण लोग इसे खास महत्व नहीं देते, जबकि यह पहाड़ों का असली 'सुपरफूड' है.
आखिर क्या है इस जंगली फल में ऐसा खास?
अमेस सिर्फ एक फल नहीं, बल्कि पोषक तत्वों का एक 'पावरहाउस' है. यह आपकी कई स्वास्थ्य समस्याओं का एक-स्टॉप सॉल्यूशन हो सकता है.
- विटामिन C का 'खजाना': यह फल विटामिन C से भरपूर होता है. इसका मतलब है कि यह आपकी रोग प्रतिरोधक क्षमता (Immunity) को फौलादी बना देता है, जिससे सर्दी-जुकाम और वायरल इंफेक्शन जैसी मौसमी बीमारियां आपके पास भी नहीं फटकतीं.
- चमकती त्वचा का राज: भरपूर विटामिन C होने के कारण, यह आपकी त्वचा के लिए भी किसी वरदान से कम नहीं है. यह स्किन को चमकदार बनाता है, दाग-धब्बों को कम करता है और आपको एक नेचुरल ग्लो देता है.
- दिल और बीपी का सच्चा दोस्त: अमेस में मौजूद पोषक तत्व ब्लड प्रेशर (Blood Pressure) को कंट्रोल करने में मदद करते हैं. यह खून को साफ करता है और दिल को स्वस्थ रखने में भी बहुत फायदेमंद माना जाता है.
- पेट का 'डॉक्टर': अगर आप भी कब्ज, गैस या पाचन से जुड़ी समस्याओं से परेशान रहते हैं, तो यह फल आपके लिए रामबाण है. इसमें मौजूद फाइबर आपके पाचन तंत्र को दुरुस्त करता है और पेट को पूरी तरह से साफ कर देता है.
- फटी एड़ियों के लिए भी असरदार: इतना ही नहीं, यह फटी एड़ियों जैसी आम समस्या को भी ठीक करने में मदद करता है.
कहां मिलता है यह अनमोल फल?
यह चमत्कारी फल उत्तराखंड के चकराता और टिहरी जैसे पहाड़ी इलाकों में बहुतायत में पाया जाता है. अफसोस की बात यह है कि जानकारी के अभाव में इसका व्यावसायिक उत्पादन नहीं होता. यह प्रकृति का दिया हुआ एक ऐसा अनमोल तोहफा है, जिसकी असली कीमत अभी तक हम पहचान नहीं पाए हैं.
तो अगली बार जब आप उत्तराखंड जाएं, तो इस खट्टे-मीठे 'सुपरफूड' को चखना न भूलें.
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