Naxals' bloody game in Bijapur: दो बेकसूर ग्रामीणों को उतारा मौत के घाट पुलिस जांच शुरू
News India Live, Digital Desk: Naxals' bloody game in Bijapur: छत्तीसगढ़ का नक्सल प्रभावित बीजापुर जिला एक बार फिर खून-खराबे का गवाह बना है, जहाँ नक्सलियों ने दो अलग-अलग घटनाओं में दो बेकसूर लोगों को मौत के घाट उतार दिया है। इन हत्याओं ने पूरे इलाके में एक बार फिर दहशत और भय का माहौल पैदा कर दिया है, और स्थानीय पुलिस मामले की गहनता से जांच में जुट गई है। यह वारदात नक्सलियों के अमानवीय कृत्यों को दर्शाती है, जिनका उद्देश्य केवल अपनी दहशत को बनाए रखना और लोगों के बीच आतंक फैलाना है।
मिली जानकारी के अनुसार, नक्सलियों द्वारा पहली वारदात पामेड़ा थाना क्षेत्र के तहत पड़ने वाले पदामेड़ा गांव में हुई। यहाँ 40 वर्षीय कामलू पूनम को नक्सलियों ने बर्बरतापूर्वक मार डाला। कामलू पूनम का नाम उस सूची में शामिल था जहाँ उन्होंने पूर्व में मुख्यधारा में लौटे नक्सलियों को 'स्लॉन' करार दिया था। स्थानीय पुलिस का संदेह है कि कामलू पूनम की हत्या का मुख्य कारण उनका नक्सल गतिविधियों में दोबारा शामिल न होना था। पुलिस सूत्रों के मुताबिक, नक्सलियों ने कामलू को अपने दल में लौटने का दबाव बनाया होगा, और जब वह इसके लिए तैयार नहीं हुए तो उन्हें मौत के घाट उतार दिया गया, ताकि दूसरों को सबक सिखाया जा सके। यह वारदात शुक्रवार-शनिवार की दरमियानी रात को हुई थी।
नक्सलियों की दूसरी वारदात भी कम चौंकाने वाली नहीं है, जो पामेड़ा थाना क्षेत्र के पूसनार गांव में घटित हुई। यहाँ नक्सलियों ने बंडू पूनम नामक एक ग्रामीण की हत्या कर दी। यह हत्या उस समय हुई जब बंडू पूनम अपने खेत में काम कर रहे थे। सूचना मिलने पर पुलिस टीम तुरंत मौके पर पहुंची। पुलिस को संदेह है कि बंडू पूनम को नक्सली-पुलिस मुखबिर के आरोप में निशाना बनाया गया होगा। आमतौर पर, नक्सली इस तरह के 'मुखबिर' के आरोपों के तहत निर्दोष ग्रामीणों को निशाना बनाते रहते हैं ताकि पुलिस के प्रति भय बना रहे और उन्हें कोई सूचना न दे।
इन हत्याओं पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि नक्सलियों ने अपने इस क्रूर कृत्य के माध्यम से बेगुनाह ग्रामीणों की हत्या की है। उन्होंने नक्सलियों के इन कृत्यों को 'जन अदालत' कहने के चलन की कड़ी निंदा की और कहा कि यह किसी भी मायने में जनता की अदालत नहीं हो सकती, बल्कि यह पूरी तरह से अमानवीय कृत्य और आतंक फैलाना है। पुलिस ने कहा है कि नक्सलियों का मुख्य उद्देश्य ऐसे अपराधों के माध्यम से क्षेत्र में डर का माहौल पैदा करना और आम नागरिकों को धमकाना है, ताकि उन्हें स्थानीय लोगों का समर्थन न मिल पाए। पुलिस दोनों मामलों में आरोपियों को पकड़ने और न्याय सुनिश्चित करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। यह घटनाएं एक बार फिर दिखाती हैं कि छत्तीसगढ़ के इन क्षेत्रों में अभी भी सुरक्षा और शांति स्थापित करना एक बड़ी चुनौती बनी हुई है।
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