Natural Cures : मॉनसून और पीरियड्स की ब्लोटिंग पेट की सूजन दूर करने के 6 असरदार घरेलू उपाय
News India Live, Digital Desk: मासिक धर्म पीरियड्स एक स्वाभाविक प्रक्रिया है, लेकिन इस दौरान कई महिलाओं को पेट फूलने ब्लोटिंग की समस्या का सामना करना पड़ता है। यह पेट में गैस बनने, तरल पदार्थ जमा होने और पाचन तंत्र के धीमा होने के कारण हो सकता है। पीरियड्स से ठीक पहले और इसके दौरान होने वाली यह असुविधा जीवनशैली और खान-पान में कुछ बदलाव करके काफी हद तक कम की जा सकती है। यहां 6 ऐसे प्रभावी घरेलू नुस्खे बताए गए हैं जो पीरियड्स के दौरान पेट फूलने की शिकायत को दूर करने में आपकी मदद कर सकते हैं:
भरपूर पानी पिएं : भले ही पेट फूला हुआ महसूस हो, पर्याप्त मात्रा में पानी पीना बहुत ज़रूरी है। हाइड्रेटेड रहने से शरीर में पानी जमा नहीं होता और यह सूजन को कम करने में मदद करता है। इसके साथ ही, यह पाचन तंत्र को भी सही रखता है और कब्ज को रोकता है।
सब्जियों और फलों का सेवन करें : ताजी सब्जियां और फल फाइबर से भरपूर होते हैं, जो पाचन को बेहतर बनाते हैं और गैस की समस्या को कम करते हैं। खीरा, पालक, तरबूज, अनानास जैसे पानी से भरपूर फल और सब्जियां विशेष रूप से लाभकारी होती हैं।
प्रोबायोटिक्स लें : दही, छाछ, किमची या अन्य प्रोबायोटिक युक्त खाद्य पदार्थ पेट में स्वस्थ बैक्टीरिया को बढ़ावा देते हैं। ये अच्छे बैक्टीरिया पाचन तंत्र को मजबूत करते हैं और पेट फूलने की समस्या को दूर करने में मदद करते हैं।
नमक का सेवन कम करें : अधिक नमक का सेवन शरीर में पानी को रोक कर रखता है, जिससे सूजन और बढ़ सकती है। पीरियड्स के दिनों में प्रोसेस्ड फूड्स और पैकेट बंद नमकीन स्नैक्स से बचें और भोजन में नमक की मात्रा कम रखें।
धीरे-धीरे और कम खाएं : एक साथ ज़्यादा खाने की बजाय, छोटे-छोटे अंतराल पर थोड़ा-थोड़ा खाएं। ऐसा करने से पाचन तंत्र पर कम दबाव पड़ता है और पेट फूलने की संभावना कम होती है। भोजन को अच्छे से चबा-चबाकर खाने से भी गैस की समस्या कम होती है।
अदरक की चाय पिएं : अदरक में सूजन-रोधी गुण होते हैं जो पेट की सूजन और ऐंठन को कम करने में मदद करते हैं। एक कप गर्म अदरक की चाय आपको पेट फूलने की समस्या से तुरंत राहत दे सकती है। यह पाचन तंत्र को भी आराम देती है।
इन घरेलू नुस्खों के साथ-साथ हल्की कसरत, तनाव कम करना और पर्याप्त नींद लेना भी पीरियड्स के दौरान होने वाली असुविधा को कम करने में सहायक हो सकता है। यदि समस्या गंभीर है या लंबे समय तक बनी रहती है, तो चिकित्सक की सलाह लेना हमेशा बेहतर होता है।
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