Mythology : उज्जैन के महाकालेश्वर में शिव का मुख दक्षिण दिशा में क्यों है, जानिए पौराणिक रहस्य

Post

News India Live, Digital Desk: देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक, उज्जैन स्थित महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग अपनी अद्वितीय दक्षिणमुखी प्रतिष्ठा के लिए विशेष महत्व रखता है. जबकि आमतौर पर सभी शिवलिंग या अन्य ज्योतिर्लिंगों का मुख उत्तर या पूर्व दिशा की ओर होता है, महाकाल का दक्षिण दिशा की ओर मुख करना कई पौराणिक रहस्यों और गहरी मान्यताओं से जुड़ा है. हिंदू धर्मशास्त्रों में दक्षिण दिशा को मृत्यु और यमराज की दिशा माना गया है. इसलिए भगवान महाकाल का इस दिशा में होना, उनकी 'काल के भी काल' होने की महिमा को दर्शाता है, यानी वे समय और मृत्यु दोनों के अधिपति हैं.

पौराणिक कथाएं और महत्व

महाकाल के दक्षिणमुखी होने के पीछे कई पौराणिक कथाएं प्रचलित हैं. एक कथा के अनुसार, उज्जैन जिसे प्राचीन काल में अवंति के नाम से जाना जाता था, वहां दूषण नामक एक अत्यंत क्रूर राक्षस रहता था जिसने पूरे नगर में हाहाकार मचा रखा था. उसके अत्याचारों से त्रस्त होकर सभी देवताओं और नगरवासियों ने भगवान शिव से प्रार्थना की. भक्तों की पुकार सुनकर भगवान शिव महाकाल के विकराल रूप में धरती फाड़कर प्रकट हुए और उस राक्षस का वध कर सभी की रक्षा की. नगरवासियों की प्रार्थना पर भगवान शिव उसी स्थान पर ज्योतिर्लिंग के रूप में विराजमान हो गए और तभी से वे उज्जैन के राजाधिराज कहलाते हैं. चूंकि शिव उस राक्षस का काल बनकर प्रकट हुए थे, इसलिए उन्हें महाकाल नाम मिला और उनका मुख दक्षिण दिशा की ओर स्थापित हुआ.

एक अन्य मान्यता यह भी है कि ब्रह्मा और विष्णु के बीच श्रेष्ठता को लेकर विवाद होने पर एक विशाल ज्योतिर्लिंग प्रकट हुआ. उस ज्योतिर्लिंग का आदि और अंत जानने के लिए ब्रह्मा ऊपर की ओर और विष्णु नीचे की ओर गए. ब्रह्मा द्वारा झूठ बोलने पर उन्हें शाप मिला. माना जाता है कि इसी ज्योतिर्लिंग का एक अंश उज्जैन में महाकाल के रूप में प्रकट हुआ, जो काल के ऊपर अपनी सत्ता स्थापित करता है.

इसके अतिरिक्त, यह भी कहा जाता है कि महाकालेश्वर स्वयंभू शिवलिंग हैं, अर्थात यह स्वयं प्रकट हुए हैं और इन्हें किसी मानव द्वारा स्थापित नहीं किया गया है, जिससे इसकी शक्ति अपने भीतर से ही उत्पन्न होती है.

मृत्युभय से मुक्ति और अकाल मृत्यु का निवारण

दक्षिणमुखी महाकाल के दर्शन और पूजन का विशेष फल अकाल मृत्यु से मुक्ति और दीर्घायु की प्राप्ति माना जाता है. भक्त ऐसा मानते हैं कि यहां सच्ची श्रद्धा से पूजा करने से यमराज प्रसन्न होते हैं और मृत्यु के उपरांत व्यक्ति को यम यातनाओं से मुक्ति मिलती है, तथा शिवलोक की प्राप्ति होती है चूंकि भगवान शिव काल (मृत्यु और समय) के भी नियंता हैं, उनकी दक्षिण दिशा की ओर दृष्टि सीधे मृत्यु को नियंत्रित करने का प्रतीक है.

उज्जैन को प्राचीन काल में काल गणना का केंद्र भी माना जाता रहा है. यहां से संपूर्ण विश्व का मानक समय निर्धारित होता था और इसे पृथ्वी का केंद्र बिंदु माना गया है, क्योंकि काल्पनिक कर्क रेखा और भूमध्य रेखा का एक महत्वपूर्ण मिलन बिंदु यहीं पर स्थित है.इस तरह महाकाल ज्योतिर्लिंग न केवल धार्मिक बल्कि खगोलीय और आध्यात्मिक दृष्टि से भी अद्वितीय महत्व रखता है.

--Advertisement--

Tags:

Ujjain Mahakaleshwar Temple Lord Shiva Dakshinmukhi South-facing Jyotirlinga Mythology Hindu pilgrimage Kaal time Death Lord Yama moksha liberation Untimely Death Avanti Dusana demon Puranas Shiva Mahapurana Swyambhu Self-manifested Brahma Vishnu Tantric practices spiritual significance Planet Earth's center Tropic of Cancer time calculation Kalidasa Kshipra River devotion Prosperity Longevity Hindu Culture Sacred Site temple architecture Religious Beliefs Shiva's power Destroyer of evil Jyotirlinga importance Ujjain king Adi Guru Cosmos cosmic energy Protection Divine Grace उज्जैन महाकालेश्वर मंदिर भगवान शिव दक्षिणमुखी ज्योतिर्लिंग. पौराणिक कथाएं हिंदू तीर्थ कला मृत्यु यमराज मोक्ष मुक्ति अकाल मृत्यु अवंति दूषण राक्षस पुराण शिव महापुराण स्वयंभू स्वतः प्रकट ब्राह्मी विषाणु तांत्रिक प्रथाएं आध्यात्मिक महत्व ग्रह पृथ्वी का केंद्र कर्क रेखा काल गणना कालिदास शिप्रा नदी भक्ति समृद्धि दीर्घायु हिंदू संस्कृति पवित्र स्थान मंदिर वास्तुकला धार्मिक मान्यताएं शिव शक्ति दुष्टों का संहारक ज्योतिर्लिंग महत्व उज्जैन के राजा आदि गुरु ब्रह्मांड ब्रह्मांडीय ऊर्जा सुरक्षा दैवीय कृपा

--Advertisement--