Mystery of the soul : गरुड़ पुराण का वो सच जो हर इंसान को जानना चाहिए, क्यों कुछ आत्माएं कभी मुक्त नहीं हो पातीं?
News India Live, Digital Desk: जन्म और मृत्यु जीवन का सबसे बड़ा सच है। हिंदू धर्म में, खासकर गरुड़ पुराण में, इस विषय पर बहुत गहराई से बताया गया है कि इंसान के कर्म उसकी मृत्यु के बाद की यात्रा को कैसे तय करते हैं। माना जाता है कि अच्छे कर्म करने वालों की आत्मा को सद्गति मिलती है, जबकि कुछ ऐसे भी काम हैं जिन्हें करने वालों की आत्मा मृत्यु के बाद भी इस संसार में भटकती रहती है और प्रेत योनि में चली जाती है।
यह कोई डराने वाली बात नहीं, बल्कि एक तरह की सीख है जो हमें सही रास्ते पर चलने के लिए प्रेरित करती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, आइए जानते हैं कि वे कौन सी बड़ी गलतियां हैं जिनकी वजह से एक आत्मा को शांति नहीं मिलती।
1. दूसरों का हक मारना या धोखे से संपत्ति हड़पना
गरुड़ पुराण में साफ कहा गया है कि जो व्यक्ति किसी दूसरे इंसान की जमीन, संपत्ति या धन धोखे से, बलपूर्वक या गलत तरीके से छीन लेता है, उसकी आत्मा को कभी शांति नहीं मिलती। ऐसे लोगों की आत्मा मृत्यु के बाद भी उसी संपत्ति से जुड़ी रह जाती है और उसे भोग नहीं पाती। वह एक प्रेत के रूप में उसी जगह पर भटकती रहती है, जिसे उसने गलत तरीके से हासिल किया था।
2. निर्दोष और असहाय लोगों को सताना
जो लोग अपने जीवन में कमजोर, बेसहारा, या निर्दोष लोगों पर अत्याचार करते हैं, उन्हें बिना वजह कष्ट देते हैं, या उनका अपमान करते हैं, ऐसे लोगों की आत्मा भी प्रेत बनकर भटकती है। गरुड़ पुराण के अनुसार, इन आत्माओं को अपने किए गए पापों का फल भोगना पड़ता है, और वे तब तक मुक्त नहीं हो पातीं जब तक कि उनका दण्ड पूरा न हो जाए।
3. अप्राकृतिक या अकाल मृत्यु
कभी-कभी किसी दुर्घटना, आत्महत्या या किसी के द्वारा मार दिए जाने के कारण व्यक्ति की अकाल मृत्यु हो जाती है। ऐसी स्थिति में, आत्मा अपना निर्धारित जीवन पूरा नहीं कर पाती। यह अधूरी इच्छाएं और जीवन की अधूरी यात्रा आत्मा को इस भौतिक संसार से बांधे रखती हैं। इसलिए, ऐसी आत्माएं अक्सर प्रेत यो-नि में भटकती हुई पाई जाती हैं। यही कारण है कि हिंदू धर्म में श्राद्ध, तर्पण और पिंड दान का इतना महत्व है, ताकि इन अतृप्त आत्माओं को शांति और मुक्ति का मार्ग मिल सके।
4. ईश्वर और अपने पूर्वजों का अपमान करना
जो व्यक्ति ईश्वर में आस्था नहीं रखता, धर्म-ग्रंथों का मज़ाक उड़ाता है, या अपने पितरों (पूर्वजों) का अपमान करता है और उनका विधि-विधान से श्राद्ध नहीं करता, उसे भी मरने के बाद कष्ट भोगना पड़ता है। पितरों का असम्मान करने से पितृ दोष लगता है, और माना जाता है कि ऐसे व्यक्ति की आत्मा को भी प्रेत बनकर भटकना पड़ सकता है।
गरुड़ पुराण हमें सिखाता है कि हमारा जीवन सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। हमारे हर अच्छे और बुरे काम का असर हमारी मृत्यु के बाद की यात्रा पर भी पड़ता है। इसलिए, जब तक जीवन है, हमें नेक कर्म करने चाहिए ताकि हमारी आत्मा को सद्गति मिल सके।
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