Mulayam Singh Jayanti : धरती पुत्र की याद में मेरठ ने पेश की नज़ीर, हवन के साथ महादान कर मनाया नेताजी का जन्मदिन
News India Live, Digital Desk: आज (22 नवंबर) उत्तर प्रदेश की राजनीति और देश के इतिहास का एक बहुत बड़ा दिन है। यह दिन उस शख्सियत को याद करने का है जिन्हें हम और आप प्यार से 'नेताजी' कहते थे। जी हाँ, आज मुलायम सिंह यादव (Mulayam Singh Yadav) की जयंती है। भले ही आज वो हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनकी विचारधारा और कार्यकर्ताओं का प्यार बताता है कि 'धरती पुत्र' आज भी दिलों में जिंदा हैं।
आज इस मौके पर पूरे देश में उन्हें याद किया जा रहा है, लेकिन पश्चिमी यूपी के मेरठ (Meerut) में सपा कार्यकर्ताओं ने जिस तरह से अपने नेता का जन्मदिन मनाया, उसने सबका दिल जीत लिया है। यहाँ कोई बड़ा जश्न या दिखावा नहीं था, बल्कि 'सेवा' का भाव था।
हवन से हुई दिन की शुरुआत
मेरठ में आज सुबह से ही समाजवादी पार्टी (SP) के दफ्तर और कई जगहों पर कार्यकर्ताओं का जमावड़ा लग गया था। दिन की शुरुआत वैदिक मंत्रों और हवन-पूजन (Havan Pujan) के साथ हुई। नेताओं और कार्यकर्ताओं ने हवन कुंड में आहुति देकर नेताजी की आत्मा की शांति की प्रार्थना की और उनके दिखाए रास्ते पर चलने की कसम खाई। माहौल पूरी तरह भक्तिमय और सम्मानजनक था।
असली श्रद्धांजलि: रक्तदान महादान
लेकिन सबसे खूबसूरत नज़ारा तब दिखा जब हवन के बाद युवाओं ने केक काटने की जगह दूसरों की जिंदगी बचाने का फैसला किया। नेताजी के जन्मदिन के खास मौके पर एक विशाल रक्तदान शिविर (Blood Donation Camp) लगाया गया।
कहा जाता है कि मुलायम सिंह यादव हमेशा गरीबों और ज़रूरतमंदों की मदद के लिए खड़े रहते थे। इसी सोच को आगे बढ़ाते हुए मेरठ के सपा कार्यकर्ताओं ने अपना खून देकर अपने नेता को 'सच्ची श्रद्धांजलि' दी। उनका कहना था कि— "नेताजी ने हमें सिखाया है कि राजनीति का मतलब सिर्फ़ सत्ता नहीं, बल्कि समाज की सेवा करना है। और किसी मरीज को नया जीवन देने से बड़ी कोई सेवा नहीं हो सकती।"
मिठाई भी बंटी और नारे भी लगे
रक्तदान के बाद लोगों में प्रसाद और मिठाइयां बांटी गईं। इस दौरान "मुलायम सिंह यादव अमर रहें" के नारों से पूरा इलाका गूंज उठा। पुराने लोगों ने नेताजी से जुड़े किस्से सुनाए, तो नए कार्यकर्ताओं ने जोश के साथ पार्टी को मजबूत करने का संकल्प लिया।
सच कहें तो, जन्मदिन मनाने का यह तरीका हमें सिखाता है कि हम अपने महापुरुषों को सिर्फ़ मूर्तियों में नहीं, बल्कि अच्छे कामों में ज़िंदा रख सकते हैं। मेरठ वालों के इस जज़्बे को सलाम
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