"मम्मी, मुझे डर लग रहा है!" क्या आपका बच्चा भी अलग कमरे में सोने से डरता है? जानिये सही उम्र और तरीका

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एक बड़ा सवाल: हर माता-पिता की जिंदगी में वो वक्त जरूर आता है जब वे कशमकश में पड़ जाते हैं। दिल कहता है, बच्चे को अपने पास सीने से लगाकर सोएं, और दिमाग कहता है कि 'इसे आत्मनिर्भर बनाना जरूरी है, अब अलग कमरे में सुलाना चाहिए।' हमारे भारतीय घरों में तो बच्चे 8-10 साल तक भी माँ-बाप के बीच में ही सोते हैं। लेकिन क्या यह सही है? आखिर बच्चे को उसका 'पर्सनल स्पेस' कब देना चाहिए?

पीडियाट्रिशियन (बच्चों के डॉक्टर) सैयद मुजाहिद हुसैन ने इस नाजुक मुद्दे पर इंस्टाग्राम पर बहुत ही प्यारी और काम की सलाह दी है। अगर आप भी इसी उलझन में हैं, तो डॉक्टर की यह राय आपकी काफी मदद कर सकती है।

कोई लकीर का फकीर नियम नहीं है

सबसे पहली बात, डॉक्टर साहब साफ़ कहते हैं कि इसके लिए कोई "पत्थर की लकीर" नहीं है। हर बच्चा अलग है। किसी को जल्दी समझ आ जाती है, तो कोई ज्यादा भावुक होता है। लेकिन फिर भी, बच्चे की सुरक्षा और मानसिक विकास को देखते हुए उन्होंने एक रोडमैप बताया है।

1. पहले साल तक (0-1 साल): सिर्फ और सिर्फ माँ-पापा के पास
जन्म से लेकर पहले जन्मदिन तक, बच्चे को आपकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इस उम्र में बच्चा अपनी तकलीफ बोलकर नहीं बता सकता। चाहे रात को दूध पिलाना हो या बच्चे की साँसों पर नजर रखना हो—इस उम्र में उसे अपने कमरे में, अपनी ही आंखों के सामने सुलाना सबसे सुरक्षित है। अलग कमरे का तो इस वक्त खयाल भी मन में न लाएं।

2. चिपकू बनने की उम्र (1-3 साल)
एक से तीन साल के बीच बच्चा भावनात्मक रूप से (Emotionally) आपसे जुड़ने लगता है। उसे रात में डर लग सकता है, बुरे सपने आ सकते हैं। ऐसे में अगर वो अलग कमरे में जागेगा और आपको पास नहीं पाएगा, तो वह सहम सकता है। डॉक्टर के मुताबिक, इस उम्र में भी उसे अपने कमरे में ही जगह दें ताकि उसका भरोसा बना रहे।

3. बदलाव की तैयारी (3-6 साल): ट्रांज़िशन का दौर
यह वो समय है जब आप धीरे-धीरे बच्चे के दिमाग में यह बात डाल सकते हैं कि "अब तुम बड़े हो रहे हो।" यह उम्र 'ट्रांज़िशन' यानी बदलाव की है। डॉक्टर सलाह देते हैं कि जबरदस्ती करने के बजाय, प्यार से बात करें। हो सकता है आप उसके लिए उसी कमरे में एक अलग छोटा बेड लगा दें या फिर कभी-कभी उसे अलग सुलाने की कोशिश करें। लेकिन ध्यान रहे, कोई जोर-जबरदस्ती नहीं!

4. क्या 6 साल के बाद अलग कर दें?
डॉ. हुसैन मानते हैं कि 6 साल की उम्र के बाद, बच्चा काफी समझदार होने लगता है। अगर वह मानसिक रूप से तैयार है, तो उसे अलग कमरे में शिफ्ट करना ठीक है। इससे उसमें आत्मनिर्भरता आती है और वो अपनी प्राइवेसी समझना शुरू करता है। लेकिन यहाँ सबसे बड़ी शर्त यह है-"अगर बच्चा तैयार है तो।"

सबसे जरूरी सलाह: 'समाज' की न सुनें, 'दिल' की सुनें
अक्सर रिश्तेदार कहते हैं, "अरे, इतना बड़ा हो गया अभी भी माँ के पास सोता है?" डॉक्टर चेतावनी देते हैं कि सामाजिक दबाव में आकर बच्चे को धक्के देकर अलग न करें। यह प्रक्रिया नेचुरल होनी चाहिए। अगर अलग कमरे में सोने पर बच्चा रात-रात भर रोता है या बार-बार डरकर आपके पास भाग आता है, तो समझ जाइये उसे अभी आपके 'सुरक्षा कवच' की और जरूरत है। उसे वक्त दें, प्यार दें। वो खुद एक दिन कहेगा, “मम्मी, अब मैं अपने रूम में सोऊंगा!”

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