Mokshada Ekadashi : इस बार भद्रा और पंचक के साये में होगी पूजा ,जानिए व्रत तोड़ने का बिल्कुल सटीक मुहूर्त

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News India Live, Digital Desk: साल 2025 अब अपने अंतिम पड़ाव की ओर बढ़ रहा है और इसी के साथ आ रहा है हिंदू धर्म का वो पावन दिन, जिसका इंतज़ार हर उस इंसान को होता है जो जीवन में शांति और मोक्ष चाहता है। हम बात कर रहे हैं 'मोक्षदा एकादशी' (Mokshada Ekadashi) की। मार्गशीर्ष (अगहन) महीने की शुक्ल पक्ष की यह एकादशी सिर्फ एक व्रत नहीं, बल्कि आत्मा को शुद्ध करने का एक बड़ा अवसर है।

सबसे खास बात यह है कि इसी दिन गीता जयंती (Gita Jayanti) भी मनाई जाती है। यानी वही दिन जब कुरुक्षेत्र की धरती पर भगवान कृष्ण ने अर्जुन को जीवन का सार समझाया था।

लेकिन हर बार की तरह, इस साल भी लोगों के मन में तारीख और मुहूर्त को लेकर थोड़ी उलझन है। चलिए, बिना किसी भारी-भरकम ज्योतिषीय भाषा के, सीधे काम की बात करते हैं।

तो आखिर व्रत रखना कब है? (Date Confirmation)

देखिए, पंचांग में तिथियां बदलती रहती हैं। 2025 में एकादशी तिथि 30 नवंबर (रविवार) की रात को ही शुरू हो जाएगी। लेकिन हमारे सनातन धर्म में सूर्योदय वाली तिथि (उदयातिथि) का महत्व सबसे ज्यादा है।
इसलिए, मोक्षदा एकादशी का व्रत 1 दिसंबर 2025 (सोमवार) को रखा जाएगा। सोमवार का दिन वैसे भी बड़ा शांत और शिव-विष्णु भक्ति के लिए उत्तम माना जाता है।

भद्रा और पंचक का साया—क्या डरने की बात है?

आपने खबरों में सुना होगा कि इस बार एकादशी पर 'भद्रा' और 'पंचक' दोनों लगे हुए हैं। आम तौर पर लोग भद्रा का नाम सुनते ही डर जाते हैं। लेकिन आपको बता दें कि व्रत, पूजा-पाठ और भगवान के भजन में भद्रा कभी भी बाधा नहीं बनती।
हां, 1 दिसंबर को भद्रा रहेगी, लेकिन आप निश्चिंत होकर भगवान दामोदर (विष्णु) की पूजा करें। बस, इस दौरान कोई नया एग्रीमेंट साइन करना या निर्माण कार्य शुरू करना टाल सकते हैं। बाकी भक्ति के लिए सारे द्वार खुले हैं।

व्रत कैसे और कब खोलें? (Parana Time is Crucial)

एकादशी का व्रत जितना महत्वपूर्ण है, उसका पारण (व्रत खोलना) उतना ही जरूरी है। अगर सही समय पर पारण न किया जाए, तो व्रत का पूरा फल नहीं मिलता।

  • पारण की तारीख: 2 दिसंबर 2025 (मंगलवार)
  • पारण का शुभ समय: सुबह 06:55 बजे से 09:00 बजे के बीच।

कोशिश करें कि सुबह 9 बजे से पहले आप अन-जल ग्रहण कर लें, क्योंकि उसके बाद द्वादशी तिथि समाप्त हो सकती है।

इस दिन क्या करना सबसे अच्छा रहेगा?

  1. गीता का पाठ: चूंकि यह गीता जयंती भी है, तो अगर पूरा नहीं पढ़ सकते तो कम से कम 12वां या 15वां अध्याय जरूर पढ़ें। यह मानसिक तनाव को दूर भगाने की 'दवा' है।
  2. दान करें: ठंड का मौसम है, किसी जरूरतमंद को कंबल या ऊनी कपड़े दान करना इस दिन सोने पे सुहागा जैसा पुण्य देता है।
  3. पितरों की शांति: मोक्षदा एकादशी का व्रत अपने पितरों (पूर्वजों) को मोक्ष दिलाने के लिए भी किया जाता है। उन्हें मन ही मन प्रणाम करें।

तो दोस्तों, अपनी डायरी में 1 दिसंबर की तारीख मार्क कर लीजिए। यह दिन सिर्फ भूखे रहने का नहीं, बल्कि अपने मन को भगवान से जोड़ने का है।

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