Misuse of POCSO proved costly: यूपी के गोंडा में झूठे केस पर 3 दिन की सज़ा और 10,000 का जुर्माना
News India Live, Digital Desk: उत्तर प्रदेश के गोंडा जिले से एक बेहद महत्वपूर्ण और नजीर पेश करने वाला फैसला सामने आया है, जो बताता है कि महिलाओं को सुरक्षा देने वाले सख्त कानूनों का गलत इस्तेमाल करने पर कितनी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है। पॉक्सो (POCSO) एक्ट के तहत एक झूठा मुकदमा दर्ज कराने के आरोप में एक महिला और एक युवक को तीन दिन के कारावास और दस-दस हजार रुपये के जुर्माने की सजा सुनाई गई है। यह फैसला उन लोगों के लिए एक बड़ी चेतावनी है जो गंभीर कानूनों का दुरुपयोग अपने निजी दुश्मनी निकालने या दूसरों को फंसाने के लिए करते हैं।
मामला लगभग पांच साल पहले, 25 मार्च 2019 का है। पुलिस द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, रानी उर्फ रीता नामक एक महिला ने अपने एक रिश्तेदार रामबदन के साथ मिलकर विनोद यादव नामक व्यक्ति के खिलाफ नाबालिग को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने और बलात्कार करने के आरोप में पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज कराया था। यह एक बेहद गंभीर आरोप था, और पॉक्सो एक्ट के तहत ऐसे मामलों में कड़ी सजा का प्रावधान है।
इस शिकायत के बाद पुलिस ने तत्काल कार्रवाई करते हुए मामले की जांच शुरू की। पुलिस ने विनोद यादव को गिरफ्तार किया और फिर नाबालिग लड़की को भी बरामद किया। जांच के दौरान, पुलिस के सामने चौकाने वाले तथ्य सामने आए। लड़की के मेडिकल परीक्षण में बलात्कार की पुष्टि नहीं हुई। साथ ही, लड़की ने खुद भी अदालत और पुलिस को दिए अपने बयानों में बताया कि उसे किसी ने नहीं बहकाया था और उसने स्वेच्छा से ही विनोद यादव के साथ जाने का फैसला किया था। उसके बयान से स्पष्ट हो गया कि पूरा मामला झूठा और मनगढ़ंत था, जिसका उद्देश्य विनोद यादव को फंसाना था।
सभी साक्ष्यों और गवाहों के बयानों को ध्यान में रखते हुए, जिला अपर सत्र न्यायाधीश/पॉक्सो न्यायालय द्वितीय रवि कांत ने इस मामले की गहन सुनवाई की। अदालत ने पाया कि रामबदन और रीता (रानी) ने जानबूझकर और गलत इरादे से पॉक्सो एक्ट जैसे महत्वपूर्ण कानून का दुरुपयोग किया है, ताकि किसी बेगुनाह को झूठे केस में फंसाया जा सके। ऐसे गंभीर मामले का झूठा उपयोग न केवल न्यायपालिका का समय बर्बाद करता है, बल्कि उस कानून की गंभीरता को भी कम करता है, जो वास्तविक पीड़ितों की सुरक्षा के लिए बनाया गया है। अदालत ने इसे समाज के लिए एक गलत उदाहरण माना और दोनों आरोपियों को पॉक्सो कानून के दुरुपयोग के आरोप में तीन दिन की जेल और दस हजार रुपये प्रति व्यक्ति जुर्माने की सजा सुनाई। जुर्माने की राशि जमा न करने पर अतिरिक्त सजा का भी प्रावधान है।
यह फैसला समाज में एक सख्त संदेश देता है कि महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा के लिए बने कानूनों का गलत इस्तेमाल करने वालों को बख्शा नहीं जाएगा। यह पुलिस और न्यायपालिका के उस दृढ़ संकल्प को भी दर्शाता है कि न्याय की रक्षा के लिए वे झूठे मुकदमे दर्ज कराने वालों पर भी नकेल कसेंगे।
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