Medical colleges increased: भारत में डॉक्टरों की अब नहीं रहेगी कमी स्वास्थ्य मंत्रालय ने संसद में जो बताया, उससे चौंक जाएंगे आप
News India Live, Digital Desk: Medical colleges increased: भारत के स्वास्थ्य क्षेत्र के लिए एक बेहद महत्वपूर्ण और उत्साहजनक खबर सामने आई है। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय ने राज्यसभा में यह जानकारी दी है कि पिछले एक दशक में देश में मेडिकल कॉलेजों की संख्या में अविश्वसनीय वृद्धि हुई है। जहां 2014 में देश में कुल 387 मेडिकल कॉलेज थे, वहीं अब यह आंकड़ा बढ़कर 780 तक पहुंच गया है। यह आंकड़े न केवल मेडिकल शिक्षा के क्षेत्र में भारत की प्रगति को दर्शाते हैं, बल्कि देश में डॉक्टरों की संख्या बढ़ाने और स्वास्थ्य सेवाओं तक पहुँच बेहतर बनाने की सरकार की प्रतिबद्धता को भी उजागर करते हैं। इस वृद्धि का सीधा असर एमबीबीएस और पीजी सीटों की संख्या पर पड़ा है, जिससे मेडिकल की पढ़ाई करने का सपना देखने वाले हजारों छात्रों को बड़ा मौका मिला है। इसके अतिरिक्त, स्नातकोत्तर (PG) सीटों की संख्या भी 31,185 से बढ़कर 74,306 हो गई है, जिससे डॉक्टरों को विशेषज्ञता हासिल करने के अधिक अवसर मिल रहे हैं।
राज्यसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे. पी. नड्डा ने यह जानकारी साझा की, जिसमें बताया गया कि सरकार ने इन वर्षों में मेडिकल कॉलेजों और यूजी-पीजी सीटों की संख्या बढ़ाने पर विशेष ध्यान दिया है। दिल्ली में भी कॉलेजों की संख्या 7 से बढ़कर 10 और एमबीबीएस सीटों की संख्या 900 से बढ़कर 1,497 हुई है। तेलंगाना जैसे राज्यों ने तो उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की है, जहां 2014 में एक भी मेडिकल कॉलेज नहीं था, अब वहां 65 कॉलेज और 9040 एमबीबीएस सीटें हैं।
मेडिकल कॉलेजों की संख्या में यह वृद्धि सीधे तौर पर भारत में डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात (Doctor-Patient Ratio) को बेहतर बनाने में सहायक है। स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार, देश में डॉक्टर-जनसंख्या अनुपात लगभग 1:811 होने का अनुमान है, जो विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा सुझाए गए 1:1000 के मानक के करीब है।देश भर में 13 लाख से अधिक पंजीकृत एलोपैथिक डॉक्टर और 7.5 लाख से अधिक आयुष चिकित्सा पद्धति के डॉक्टर उपलब्ध हैं। सरकार ने विभिन्न योजनाओं के माध्यम से ग्रामीण और दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य सेवाओं में कमी को दूर करने के लिए भी कदम उठाए हैं। उदाहरण के तौर पर, परिवार दत्तक कार्यक्रम (FAP) को एमबीबीएस कोर्स में शामिल किया गया है, जिसके तहत मेडिकल कॉलेज गांवों को गोद लेते हैं और एमबीबीएस छात्र उन गांवों के परिवारों को गोद लेते हैं। इससे न केवल छात्रों को ग्रामीण स्वास्थ्य परिवेश को समझने का मौका मिलता है, बल्कि यह परिवारों को सरकारी स्वास्थ्य कार्यक्रमों के बारे में शिक्षित करने में भी मदद करता है।
यह उल्लेखनीय वृद्धि केंद्र सरकार की 'चिकित्सा शिक्षा सुधार' की नीति का एक स्पष्ट परिणाम है। पिछले 9 सालों में, सरकार ने 262 नए मेडिकल कॉलेजों के निर्माण को मंजूरी दी है, जिनमें से 108 कॉलेज अब कार्यरत हैं। कॉलेजों के निर्माण की योजना तीन चरणों में मंजूर की गई है और इसमें केंद्र तथा राज्य सरकारों के बीच फंडिंग साझा की गई है।[उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में भी 27 मेडिकल कॉलेजों को मंजूरी मिली है, जिनमें से 13 वर्तमान में कार्य कर रहे हैं। इस विस्तार का उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों तक गुणवत्तापूर्ण चिकित्सा शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं को पहुंचाना है। यद्यपि कुछ मेडिकल कॉलेजों में अभी भी फैकल्टी, इंफ्रास्ट्रक्चर और क्लिनिकल सुविधाओं में कमियों को लेकर नेशनल मेडिकल कमीशन (NMC) द्वारा नोटिस जारी किए जा रहे हैं (जैसे पश्चिम बंगाल के 71 कॉलेजों को हाल ही में नोटिस मिला है), फिर भी समग्र वृद्धि एक सकारात्मक संकेत है। यह भारत को दुनिया के सबसे ज्यादा डॉक्टर तैयार करने वाले देशों में से एक बना रहा है, जो देश के भविष्य की स्वास्थ्य जरूरतों को पूरा करने के लिए एक मजबूत नींव प्रदान करता है।
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