Meat production in the lab: बिना जानवर मारे तैयार होने वाला कल्चर्ड मीट, भविष्य का प्रोटीन या महंगा सौदा

Post

News India Live, Digital Desk: Meat production in the lab: आज के समय में विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने हमारे भोजन के तरीकों को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। इसी प्रगति का एक प्रमुख उदाहरण है 'लैब-गोन मीट' या 'कल्चर्ड मीट'। यह ऐसा मांस है जिसे प्रयोगशाला में, जानवरों के शरीर से लिए गए ऊतक (tissue) के छोटे से नमूने से तैयार किया जाता है। इस प्रक्रिया में किसी भी जानवर को मारने या पालने की आवश्यकता नहीं होती।

लैब-गोन मीट कैसे बनता है?
लैब-गोन मीट का निर्माण मुख्य रूप से बायोलॉजी और बायोटेक्नोलॉजी पर आधारित होता है। इसके लिए, किसी जीवित जानवर से एक छोटा सा मसल सेल (muscle cell) या स्टेम सेल (stem cell) लिया जाता है। फिर इस सेल को एक विशेष पोषक तत्व युक्त घोल में रखा जाता है, जिसमें कोशिकाओं का विकास होता है। ये कोशिकाएं धीरे-धीरे बढ़कर मांस के तंतु (muscle fibers) का रूप ले लेती हैं। इसके बाद, इन तंतुओं को एक विशेष ढाँचे (scaffold) का उपयोग करके मांस जैसा आकार और बनावट दी जाती है। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान, कोशिकाओं को बढ़ने के लिए आवश्यक पोषक तत्व, ग्रोथ हार्मोन और कभी-कभी भ्रूण गोजातीय सीरम (fetal bovine serum - FBS) का उपयोग किया जाता है।

क्या यह असली मांस का विकल्प बन सकता है?
लैब-गोन मीट के उत्पादकों का दावा है कि यह "एथिकल" (नैतिक) विकल्प प्रदान करता है। पारंपरिक मांस उत्पादन की तुलना में, लैब-गोन मीट के निर्माण में कम जमीन, पानी और चारे की आवश्यकता होती है। साथ ही, यह ग्रीनहाउस गैसों के उत्सर्जन को भी कम करने में मदद करता है और पशु क्रूरता को समाप्त करता है।

हालाँकि, वर्तमान में यह तकनीक काफी महंगी है और बड़े पैमाने पर इसका उत्पादन सीमित है। इसकी उत्पादन लागत को कम करना और उपभोक्ताओं के लिए इसे किफायती बनाना एक बड़ी चुनौती है। इसके अलावा, कई संस्कृतियों और धर्मों के लोग इसे स्वीकार करने में हिचकिचा सकते हैं, और इसके स्वाद, बनावट और स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव को लेकर अभी और शोध की आवश्यकता है।

जब टेक्नोलॉजी अधिक उन्नत होगी और उत्पादन लागत कम होगी, तब यह आम लोगों के लिए अधिक सुलभ हो सकता है। लेकिन, यह पारंपरिक मांस का पूरी तरह से स्थान ले पाएगा या नहीं, यह भविष्य की लागत, उपभोक्ता स्वीकृति और पर्यावरणीय प्रभावों पर निर्भर करेगा।

--Advertisement--

Tags:

breaking news latest post latest Breaking post Lab Grown Meat Cultured Meat Cellular Agriculture Clean Meat Future of Food Meat Production Artificial Meat Cell-Based Meat Biotechnology Animal Cells Stem Cells Bioreactors Tissue Engineering Nutritional Value Environmental Impact sustainability Ethical Meat Animal Welfare Climate Change Greenhouse Gases Cost of Production Consumer Acceptance Food Technology Protein Source No Animal Slaughter Lab-Grown Food Meat Alternatives Traditional Meat Future Food Scientific Breakthrough Health Benefits Disadvantages Innovation Food industry Meat Processing Plant-Based Meat Food safety Energy Consumption Ethical concerns Religious Concerns Genetic Engineering Fetal Bovine Serum Agriculture Food Security Innovation in Food Sustainable Protein New Food Technology Lab Meat Production Food science लैब-गोन मीट कल्चर्ड मीट सेलुलर एग्रीकल्चर क्लीन मीट भविष्य का भोजन मांस उत्पादन कृत्रिम मांस सेल-आधारित मांस बायोटेक्नोलॉजी पशु कोशिकाएं स्टेम सेल्स बायोरिएक्टर ऊतक इंजीनियरिंग पोषण मूल्य। पर्यावरणीय प्रभाव स्थिरता नैतिक मांस पशु कल्याण जलवायु परिवर्तन ग्रीनहाउस गैसें उत्पादन लागत उपभोक्ता स्वीकृति खाद्य प्रौद्योगिकी प्रोटीन स्रोत कोई पशु वध नहीं लैब-गोन भोजन मांस विकल्प पारंपरिक मांस भविष्य का भोजन वैज्ञानिक सफलता स्वास्थ्य लाभ नुकसान नवाचार खाद्य उद्योग मांस प्रसंस्करण प्लांट-बेस्ड मीट खाद्य सुरक्षा ऊर्जा खपत नैतिक चिंताएं धार्मिक चिंताएं आनुवंशिक इंजीनियरिंग भ्रूण गोजातीय सीरम कृषि खाद्य सुरक्षा खाद्य नवाचार टिकाऊ प्रोटीन नई खाद्य प्रौद्योगिकी लैब मीट उत्पादन खाद्य विज्ञान

--Advertisement--