Mazar controversy deepens in Jaipur's Maharani College: हनुमान चालीसा और गंगा जल छिड़कने पर पुलिस का हस्तक्षेप

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News India Live, Digital Desk: राजस्थान की राजधानी जयपुर स्थित प्रतिष्ठित महारानी कॉलेज में एक पुराना 'मज़ार' इन दिनों विवाद का केंद्र बन गया है, जिसने परिसर के शांतिपूर्ण माहौल को धार्मिक तनाव में बदल दिया है। बुधवार को बजरंग दल और कुछ अन्य हिंदुत्ववादी संगठनों से जुड़े युवाओं ने इस मज़ार को हटाने की मांग को लेकर कॉलेज परिसर में हनुमान चालीसा का पाठ किया और गंगा जल भी छिड़का, जिसके बाद पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा।

दरअसल, यह विवाद काफी पुराना है। कॉलेज प्रशासन ने कई बार यह स्पष्ट किया है कि यह कोई 'मज़ार' नहीं है, बल्कि कुछ अज्ञात 'बाबा' का एक खाली समाधिस्थल है। कॉलेज का दावा है कि इसका इस्तेमाल दशकों से केवल सांस्कृतिक या आध्यात्मिक प्रयोजनों के लिए होता आया है और इससे पहले कभी कोई धार्मिक तनाव उत्पन्न नहीं हुआ। कुछ लोगों का कहना है कि यह कॉलेज की विरासत का हिस्सा है, जबकि कुछ का मानना है कि ऐसे स्थलों की शैक्षणिक संस्थानों में कोई जगह नहीं होनी चाहिए।

इस बीच, बुधवार सुबह करीब 10.30 बजे, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के लगभग 15 सदस्य एक छोटी सी विरोध रैली के साथ कॉलेज परिसर में घुस गए। उन्होंने हनुमान चालीसा का पाठ करना शुरू कर दिया, जो खुले तौर पर इस ढांचे को 'मज़ार' मानकर विरोध जताने का तरीका था। परिसर में गंगाजल भी छिड़का गया, जिसे शुद्धिकरण की प्रक्रिया माना गया। उनकी इस गतिविधि से माहौल और गरमा गया, जिसके बाद तुरंत कॉलेज प्रशासन ने पुलिस को सूचित किया।

मौके पर पहुँची पुलिस ने स्थिति को नियंत्रित किया और प्रदर्शन कर रहे छात्रों को परिसर से बाहर निकाला। पुलिस ने सुरक्षा व्यवस्था मजबूत कर दी है ताकि आगे कोई अनचाही घटना न हो। छात्रों के इस समूह का तर्क है कि शैक्षणिक संस्थानों में किसी भी विशेष धर्म से जुड़ी ऐसी धार्मिक संरचनाओं का होना 'सेक्युलर' ढांचे के खिलाफ है। वे चाहते हैं कि कॉलेज प्रशासन इस कथित मज़ार को तुरंत हटाए और सुनिश्चित करे कि भविष्य में ऐसा कोई विवाद उत्पन्न न हो।

यह मामला अब शैक्षणिक परिसर की सीमाओं और धार्मिक सहिष्णुता पर एक नई बहस छेड़ रहा है। देखना होगा कि कॉलेज प्रशासन, पुलिस और संबंधित संगठन इस मुद्दे को कैसे सुलझाते हैं ताकि शांतिपूर्ण शैक्षणिक वातावरण बना रहे और किसी की भावनाओं को ठेस न पहुंचे।

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