दिल्ली के बेसहारा जानवरों की बदलेगी किस्मत, सड़कों पर घूमते मूक-प्राणियों के लिए सरकार की नई पहल, क्या होगा मेकओवर?
दिल्ली, भारत की राजधानी, अपनी जनसंख्या और जनघनत्व के साथ-साथ बेसहारा पशुओं, विशेषकर आवारा कुत्तों और बिल्लियों की बड़ी आबादी के लिए भी जानी जाती है। यह एक जटिल समस्या है जो सार्वजनिक स्वास्थ्य, सुरक्षा और पशु कल्याण से जुड़े कई गंभीर मुद्दों को जन्म देती है। हालांकि, हालिया रिपोर्टों के अनुसार, दिल्ली सरकार और संबंधित नगरपालिका निकाय इस दिशा में एक 'मेकओवर' की तैयारी कर रहे हैं, जिसका उद्देश्य बेसहारा पशु आबादी का प्रबंधन और कल्याण सुनिश्चित करना है।
समस्या की व्यापकता और प्रभाव:
दिल्ली की सड़कों पर बेसहारा पशुओं की बढ़ती संख्या एक प्रमुख चिंता का विषय है। लाखों की संख्या में आवारा कुत्ते और बिल्लियां खुले में घूमते हैं, जिनमें से कई कुपोषित, बीमार या घायल होते हैं। इससे कई समस्याएं उत्पन्न होती हैं:
सार्वजनिक स्वास्थ्य: आवारा पशुओं, खासकर कुत्तों के कारण रेबीज जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा बना रहता है। उनके काटने की घटनाएं भी लोगों के लिए असुरक्षा का कारण बनती हैं।
सड़क सुरक्षा: अचानक सड़क पर आ जाने वाले आवारा पशु सड़क दुर्घटनाओं को आमंत्रित करते हैं, जिससे यात्रियों और पशुओं दोनों को नुकसान हो सकता है।
पशु कल्याण: ये पशु अक्सर भोजन, आश्रय और चिकित्सा देखभाल के बिना, अमानवीय परिस्थितियों में जीवन बिताते हैं। बारिश, गर्मी या ठंड के मौसम में उनकी हालत और भी दयनीय हो जाती है।
सफाई और स्वच्छता: कई बार ये पशु कूड़ेदानों को बिखेर देते हैं, जिससे शहर की साफ-सफाई पर भी असर पड़ता है।
सरकार की 'मेकओवर' योजना: एक नई दिशा
इस बहुआयामी समस्या से निपटने के लिए, दिल्ली सरकार और स्थानीय निकायों ने एक एकीकृत दृष्टिकोण अपनाने की योजना बनाई है। सूत्रों के अनुसार, इस 'मेकओवर' में कई प्रमुख पहलें शामिल हो सकती हैं:
बड़े पैमाने पर पशु जन्म नियंत्रण (ABC) और टीकाकरण: योजना का एक मुख्य स्तंभ आवारा पशुओं, विशेष रूप से कुत्तों की आबादी को नियंत्रित करने के लिए बड़े पैमाने पर पशु जन्म नियंत्रण (ABC) कार्यक्रम चलाना है। इसके तहत, अधिक संख्या में आवारा कुत्तों की नसबंदी की जाएगी और उन्हें रेबीज जैसी घातक बीमारियों से बचाने के लिए टीका लगाया जाएगा। हाल ही में, एक बड़ी परियोजना के तहत करीब 5,000 कुत्तों के टीकाकरण की खबर है, लेकिन भविष्य में इस संख्या को और बढ़ाने की योजना है।
एडॉप्शन (गोद लेने) को बढ़ावा: सरकार बेसहारा जानवरों को गोद लेने के लिए भी लोगों को प्रोत्साहित करने पर विचार कर रही है। जागरूकता अभियान चलाए जाएंगे ताकि लोग मूक-प्राणियों को अपनाने और उन्हें एक प्यार भरा घर प्रदान करने के महत्व को समझें। लक्षित गोद लेने की संख्या 10,000 तक पहुंचने की उम्मीद है।
आश्रय स्थलों का विकास: जानवरों के लिए बेहतर आश्रय स्थलों (Shelter Homes) का निर्माण और मौजूदा आश्रय स्थलों की सुविधाओं को उन्नत करने पर भी ध्यान केंद्रित किया जाएगा, ताकि बीमार, घायल या अनाथ जानवरों को सुरक्षित और चिकित्सीय देखभाल मिल सके।
जन जागरूकता अभियान: लोगों को जिम्मेदार पशु स्वामित्व (Responsible Pet Ownership) के बारे में शिक्षित करना, पालतू जानवरों को लावारिस न छोड़ने की अपील करना, और जानवरों के प्रति क्रूरता के खिलाफ सख्त कानून लागू करना भी इस 'मेकओवर' का हिस्सा होगा।
क्यों है यह पहल खास?
इस पहल की सबसे खास बात यह है कि यह सिर्फ़ समस्या को दबाने की कोशिश नहीं, बल्कि इसके मूल कारणों को संबोधित करने का एक व्यापक प्रयास है। पशु जन्म नियंत्रण, टीकाकरण और गोद लेने जैसी प्रक्रियाएं न केवल बेसहारा आबादी को प्रबंधित करेंगी, बल्कि जानवरों के जीवन स्तर में भी सुधार करेंगी। सरकारी निकायों के साथ-साथ कई पशु कल्याण संगठन (Animal Welfare NGOs) भी इस मिशन में सहयोग करने के लिए आगे आ रहे हैं।
इस 'मेकओवर' का सफल कार्यान्वयन दिल्ली को एक सुरक्षित, स्वच्छ और अधिक करुणामय शहर बनाने में मदद कर सकता है। यह दर्शाता है कि सरकार मूक-प्राणियों के प्रति अपनी जिम्मेदारी को पहचान रही है और उनके लिए बेहतर भविष्य बनाने हेतु प्रतिबद्ध है।
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