Lok Sabha Elections : बिहार में महागठबंधन में फंसा सीटों का पेंच सीपीआई ने बढ़ाई तेजस्वी यादव की मुश्किल
News India Live, Digital Desk: Lok Sabha Elections : बिहार की राजनीति में इन दिनों लोकसभा चुनाव से पहले सीट बंटवारे को लेकर गहमागहमी का माहौल गर्म है। 'इंडिया' गठबंधन में शामिल सभी दल अपनी-अपनी स्थिति मजबूत करने की जुगत में हैं, और इसी कड़ी में भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी सीपीआई ने राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के नेता तेजस्वी यादव पर सीटों के लिए नया दबाव बनाया है। सीपीआई ने स्पष्ट रूप से 24 लोकसभा सीटों की एक सूची सौंपते हुए यह मांग रखी है कि इस बार उन्हें भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी मार्क्सवादी-लेनिनवादी) लिबरेशन यानी सीपीआईएमएल से अधिक सीटें मिलनी चाहिए।
यह बात सीपीआई की तरफ से काफी मजबूती से कही गई है। दरअसल, सीपीआई का मानना है कि पिछली बार के बिहार विधानसभा चुनाव में सीपीआईएमएल को भले ही ज्यादा सीटें मिली हों और उसने अच्छा प्रदर्शन किया हो, लेकिन भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी शुरू से ही महागठबंधन का हिस्सा रही है। सीपीआईएमएल बाद में महागठबंधन में शामिल हुई थी। सीपीआई के महासचिव बिनय विश्वम और राज्य सचिव रामनरेश पांडे सहित अन्य नेताओं ने तेजस्वी यादव से मुलाकात की और अपनी इस दावेदारी को बेहद पुरज़ोर तरीके से सामने रखा।
सीपीआई के नेताओं का कहना है कि वे न केवल सीटों पर चुनाव लड़ने के इच्छुक हैं, बल्कि पूरे राज्य की सभी 40 सीटों पर 'इंडिया' गठबंधन की जीत को लेकर पूरी तरह से आश्वस्त भी हैं। उन्होंने बताया कि उनकी पार्टी लंबे समय से जमीनी स्तर पर काम कर रही है और उनकी पैठ उन सीटों पर भी है जहाँ वे अपनी दावेदारी पेश कर रहे हैं। नेताओं ने तेजस्वी यादव से आग्रह किया है कि वे उनकी इस मांग पर गंभीरता से विचार करें।
पिछली बार के विधानसभा चुनावों की बात करें तो, 2020 के विधानसभा चुनाव में सीपीआई को महागठबंधन के तहत सिर्फ 6 सीटें मिली थीं, जिनमें से वे 2 सीटों पर जीत हासिल करने में कामयाब रहे थे। इसके विपरीत, सीपीआईएमएल ने 19 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 12 पर शानदार जीत दर्ज की थी। सीटों की संख्या के हिसाब से सीपीआईएमएल ने पिछली बार महागठबंधन के भीतर एक बड़ा प्रभाव छोड़ा था। यही वजह है कि अब सीपीआई इस बार अपनी स्थिति और भूमिका को बेहतर करने की जुगत में लगी है।
राजद और सीपीआई दोनों ने ही 'इंडिया' गठबंधन के मजबूत भविष्य को लेकर आत्मविश्वास जताया है, लेकिन यह अंदरूनी सीट बंटवारे की चुनौतियाँ अक्सर गठबंधन के भीतर खटास पैदा कर सकती हैं। अब देखना यह होगा कि तेजस्वी यादव सीपीआई की इस मांग को कैसे देखते हैं और सीट बंटवारे का अंतिम फार्मूला क्या तय होता है, जिससे बिहार में महागठबंधन की एकता भी बनी रहे और सभी दल अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को भी साध सकें।
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