कानूनी सवाल: महिलाओं को संपत्ति से जुड़े इन अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए
आजकल महिलाएं अपने अधिकारों को लेकर काफी जागरूक हैं। हालाँकि, कभी-कभी ऐसा होता है कि कोई दूसरा व्यक्ति अवैध रूप से संपत्ति का अधिकार हासिल कर लेता है, जिसके बाद उन महिलाओं को कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है।
आपको बता दें कि अगर आप महिला हैं, तो आपको अपनी संपत्ति से जुड़े अधिकारों के बारे में पता होना चाहिए। अगर आपको इसके बारे में पता होगा, तो कोई भी आपको धोखा देकर आपकी संपत्ति पर कब्ज़ा नहीं कर पाएगा। अगर आप इन अधिकारों के बारे में जानना चाहती हैं, तो आज हम विस्तार से बात करेंगे।

विवाहित महिला संपत्ति अधिनियम 1874 आपको बता दें कि, विवाहित महिला संपत्ति अधिनियम 1874 की धारा 6 के अनुसार, अगर किसी महिला का पति उसकी बचत, वेतन या संपत्ति पर अपना अधिकार जताता है, तो यह कानूनी अधिकार नहीं है। इसके साथ ही, आपको यह भी बता दें कि अगर पत्नी को संपत्ति से किसी भी तरह का ब्याज मिलता है, तो भी पति का उसमें कोई कानूनी अधिकार नहीं होगा, लेकिन अगर पत्नी अपनी इच्छा के अनुसार उसे अधिकार देती है, तो यह कानून के खिलाफ नहीं है।

अगर पति-पत्नी कोई संपत्ति खरीद रहे हैं, तो हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 14 के अनुसार, अगर संपत्ति की रजिस्ट्री में नाम पत्नी का है, तो उस पर पत्नी का पूरा अधिकार है। इससे कोई फ़र्क़ नहीं पड़ता कि दोनों ने इस संपत्ति को खरीदने में निवेश किया है या नहीं। अगर संपत्ति के दस्तावेज़ में सिर्फ़ पत्नी का नाम है, तो वही क़ानूनी मालिक है।

आपको बता दें कि हिंदू उत्तराधिकार अधिनियम 2005 के अनुसार, अगर किसी परिवार का बंटवारा नहीं हुआ है, तो बेटी और बेटे को पिता की संपत्ति में बराबर का अधिकार होता है। अगर किसी कारणवश पिता की मृत्यु हो जाती है, तो बेटी अपने पिता की संपत्ति में हिस्सा मांग सकती है और अगर उसे हिस्सा नहीं मिलता है, तो वह पुलिस में शिकायत भी दर्ज करा सकती है।

अगर किसी महिला ने अपने पैसों से कोई संपत्ति खरीदी है, तो वह उसकी ही संपत्ति होगी। वह अपनी इच्छानुसार इस संपत्ति को बेच भी सकती है। इसके साथ ही, अगर किसी महिला ने किसी और द्वारा खरीदी गई संपत्ति (साझेदारी) में अपना पैसा लगाया है, तो उस संपत्ति में भी उसका हिस्सा होगा।

(अस्वीकरण: यदि आपके पास कोई विशिष्ट मामला है, तो कानूनी विशेषज्ञ (वकील) से परामर्श करना उचित है। यहां दी गई जानकारी केवल अदालती फैसलों और लेखों पर आधारित है। यदि आप किसी भी मामले के बारे में जानना चाहते हैं, तो आप एक उपयुक्त वकील से परामर्श कर सकते हैं।)
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