बिहार में बेरोज़गारी का इलाज'? जानिए 25 लाख नौकरियों के वादे के पीछे का पूरा गणित
News India Live, Digital Desk: बिहार के चुनावी मैदान में इस बार वादों की ऐसी आंधी चली है कि नौजवान भी चकरा गए हैं. एक तरफ तेजस्वी यादव 10 लाख सरकारी नौकरियों का दांव चल रहे हैं, तो वहीं कांग्रेस ने एक छलांग में सीधे 25 लाख सरकारी नौकरियां देने का ऐलान कर दिया है. 25 लाख! यह आंकड़ा इतना बड़ा है कि सुनने में ही किसी चुनावी जुमले जैसा लगता है.
लोगों के मन में, सोशल मीडिया पर, और चाय की दुकानों पर बस एक ही सवाल गूंज रहा है - "भाई, यह कैसे मुमकिन है? इतनी नौकरियां आएंगी कहाँ से? क्या ये सिर्फ़ हवा-हवाई बातें हैं?"
इन सभी सवालों और शंकाओं के बीच, अब कांग्रेस पार्टी ने खुद सामने आकर अपनी इस महत्वाकांक्षी योजना का पूरा कच्चा-चिट्ठा जनता के सामने रख दिया है. उनका कहना है कि यह कोई जादू की छड़ी से नहीं होगा, बल्कि इसके पीछे एक ठोस और जमीनी प्लान है.
तो क्या है कांग्रेस का 25 लाख नौकरियों वाला 'गणित'?
कांग्रेस का कहना है कि इस मिशन का सबसे बड़ा राज़ बिहार के सरकारी दफ्तरों की 'खाली पड़ी कुर्सियों' में छिपा है. पार्टी ने साफ किया है कि वह 25 लाख 'नए' पद बनाने की बात नहीं कर रही. इस मिशन का पहला और सबसे बड़ा कदम उन लाखों पदों को भरना है, जो सालों से खाली पड़े हैं और जिन पर मौजूदा सरकार ने कोई भर्ती ही नहीं की.
कांग्रेस के मुताबिक, हिसाब कुछ ऐसा है:
- 10-12 लाख तो पहले से हैं खाली: पार्टी का दावा है कि बिहार के अलग-अलग सरकारी महकमों में अभी 10 से 12 लाख पद पहले से ही स्वीकृत हैं, लेकिन खाली पड़े हैं. इनमें शामिल हैं:
- शिक्षा विभाग: लाखों शिक्षकों और प्रोफेसरों के पद खाली हैं.
- स्वास्थ्य विभाग: डॉक्टरों, नर्सों, और स्वास्थ्यकर्मियों की भारी कमी है.
- पुलिस विभाग: आबादी के हिसाब से पुलिस बल में भी हजारों पद खाली हैं.
- अन्य विभाग: सचिवालय से लेकर पंचायत तक, हर जगह हजारों पद भरे जाने का इंतज़ार कर रहे हैं.
तो बाकी की 13 लाख नौकरियां कहाँ से आएंगी?
कांग्रेस का कहना है कि पहले चरण में इन 10-12 लाख खाली पदों को भरा जाएगा. इसके बाद बाकी बची 13 से 15 लाख नौकरियां नए पद बनाकर दी जाएंगी. पार्टी का तर्क है कि बिहार जैसी बड़ी आबादी वाले राज्य को सही तरीके से चलाने के लिए और जितने सरकारी कर्मचारियों की ज़रूरत है, उतने हैं ही नहीं.
पार्टी का यह भी कहना है कि पिछले कई सालों से सरकार ने न तो पुरानी भर्तियां कीं और न ही ज़रूरत के हिसाब से नए पद बनाए, जिससे बिहार के युवाओं को रोज़गार के लिए दूसरे राज्यों में भटकना पड़ रहा है.
अब यह वादा कितना खोखला है और कितना ठोस, इसका फैसला तो बिहार की जनता करेगी. लेकिन कांग्रेस ने अपना पूरा हिसाब-किताब सामने रखकर यह तो साफ कर दिया है कि इस बार के चुनाव में 'रोज़गार' ही सबसे बड़ा मुद्दा है.
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