kitchen safety : क्या एल्युमिनियम के बर्तनों में खाना पकाना सही है या गलत? जान लीजिए वो सच
News India Live, Digital Desk: kitchen safety : हमारे किचन में स्टील, लोहे और नॉन-स्टिक बर्तनों के साथ-साथ एक धातु के बर्तन हमेशा मौजूद रहते हैं - एल्युमिनियम। सस्ते, हल्के और जल्दी गर्म होने की वजह से भगोने, पतीले और खासकर प्रेशर कुकर के रूप में ये हर घर की जरूरत बन गए हैं। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि जिस बर्तन में आप रोज दाल-सब्जी पका रहे हैं, वह आपकी सेहत के लिए 'सही' है या 'गलत'?
एल्युमिनियम के बर्तनों को लेकर सालों से एक बहस चली आ रही है। कुछ लोग इसे पूरी तरह सुरक्षित मानते हैं, तो कुछ इसे गंभीर बीमारियों की जड़ बताते हैं। चलिए, आज एक्सपर्ट्स की राय और वैज्ञानिक तथ्यों के आधार पर इस उलझन को सुलझाते हैं और जानते हैं कि सच्चाई क्या है।
क्या एल्युमिनियम बर्तनों से खाने में आता है?
हां, यह सच है। जब हम एल्युमिनियम के बर्तनों में खाना पकाते हैं, खासकर जब खाना एसिडिक (खट्टा) हो, तो धातु की कुछ बहुत थोड़ी मात्रा खाने में घुल जाती है। टमाटर, इमली, सिरका या नींबू जैसी खट्टी चीजें एल्युमिनियम के साथ तेजी से प्रतिक्रिया करती हैं।
लेकिन अब सवाल यह है कि क्या यह थोड़ी सी मात्रा हमारे शरीर के लिए खतरनाक है?
क्या कहता है विज्ञान?
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) समेत दुनिया की बड़ी स्वास्थ्य संस्थाओं का मानना है कि खाने के जरिए हमारे शरीर में जाने वाली एल्युमिनियम की मात्रा इतनी कम होती है कि उससे सेहत को कोई खास खतरा नहीं होता। हमारा शरीर, खासकर हमारी किडनी, इस थोड़ी मात्रा को आसानी से फिल्टर करके बाहर निकाल देती है। एक स्वस्थ व्यक्ति एक दिन में लगभग 50 मिलीग्राम तक एल्युमिनियम को सहन कर सकता है, जबकि खाना पकाने से हमारे शरीर में मुश्किल से 2-5 मिलीग्राम ही पहुंचता है।
तो फिर विवाद क्यों है?
विवाद की जड़ कुछ पुरानी स्टडीज हैं, जिनमें एल्युमिनियम को अल्जाइमर जैसी दिमाग से जुड़ी बीमारियों से जोड़ा गया था। हालांकि, बाद में हुए ज्यादातर बड़े और विश्वसनीय शोधों में इस बात का कोई पुख्ता सबूत नहीं मिला कि बर्तनों से शरीर में जाने वाला एल्युमिनियम अल्जाइमर का कारण बनता है।
लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप एल्युमिनियम के बर्तनों का इस्तेमाल करते समय लापरवाही बरतें।
इन 3 गलतियों से बचें
अगर आप एल्युमिनियम के बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं, तो आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना चाहिए:
- खट्टी चीजें न पकाएं: टमाटर की चटनी, सांभर, कढ़ी या नींबू वाली कोई भी डिश इन बर्तनों में पकाने या स्टोर करने से बचें। इससे ज्यादा एल्युमिनियम खाने में घुलता है।
- पुराने और खरोंच लगे बर्तनों को कहें 'ना': बहुत पुराने, घिसे हुए या अंदर से खरोंच लगे एल्युमिनियम के बर्तनों का इस्तेमाल बिल्कुल न करें। इन खरोंचों से एल्युमिनियम के खाने में घुलने की आशंका बढ़ जाती है।
- खाना स्टोर न करें: खाना पकाने के बाद उसे तुरंत किसी स्टील या कांच के बर्तन में निकाल लें। एल्युमिनियम के बर्तन में घंटों तक खाना रखा रहने से भी धातु के खाने में मिलने का खतरा बढ़ता है।
तो आखिरी फैसला क्या है?
एक्सपर्ट्स के अनुसार, अगर आप अच्छी क्वालिटी के और बिना खरोंच वाले एल्युमिनियम बर्तनों का इस्तेमाल करते हैं और ऊपर बताई गई सावधानियां बरतते हैं, तो यह सेहत के लिए खतरनाक नहीं है। हालांकि, अगर आप पूरी तरह से चिंता मुक्त रहना चाहते हैं, तो लोहा, स्टेनलेस स्टील और मिट्टी के बर्तनों को अपनी रसोई में ज्यादा जगह देना एक बेहतर और स्वास्थ्यवर्धक विकल्प हो सकता है।
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