Karnataka : पवन पुत्र हनुमान के जन्म का रहस्य रामायण में छिपी है ये कथा

Post

Newsindia live,Digital Desk: Karnataka :  बजरंगबली हनुमान जी का जन्म कर्नाटक से कैसे जुड़ा है यह एक बहुत ही दिलचस्प और पौराणिक कथा है जिसका वर्णन रामायण और विभिन्न धार्मिक ग्रंथों में मिलता है हालाँकि हनुमान जी को उत्तर भारत में भी बड़े भक्ति भाव से पूजा जाता है लेकिन कर्नाटक के कई हिस्सों को उनके जन्म स्थान से जोड़ा जाता है इससे जुड़ी कहानी काफी रोचक है

जन्म का स्थान अंजनाद्रि पहाड़ी

मान्यता है कि हनुमान जी का जन्म अंजनाद्रि पहाड़ी पर हुआ था यह पहाड़ी कर्नाटक के कोप्पल जिले के गंगावती तालुके में स्थित है इस पहाड़ी को आज भी श्रद्धालु पवित्र मानते हैं और इसे अंजनाद्री हनुमान जन्मभूमि के नाम से जाना जाता है यहाँ हनुमान जी और उनकी माँ अंजना देवी का मंदिर भी स्थित है हर साल हज़ारों भक्त इस स्थान के दर्शन करने आते हैं इस स्थल का सीधा संबंध हनुमान जी के जन्म से माना जाता है जो उन्हें शक्ति और ऊर्जा से भरपूर रखता था

रामायण में उल्लेख

किष्किंधा पर्वत माला जो रामायण में महत्वपूर्ण स्थान रखती है यह अंजनाद्रि के निकट स्थित है रामायण के अनुसार किष्किंधा वानर राजा सुग्रीव और हनुमान जी के साथियों का राज्य था यहीं भगवान राम की मुलाकात हनुमान जी से हुई और सीता माता को खोजने की रणनीति बनी इसी क्षेत्र में पंपा सरोवर भी स्थित है जो धार्मिक महत्व रखता है और कई पवित्र कथाओं से जुड़ा है

यह एक मत

दक्षिण भारत में यह एक प्रमुख मत है जबकि कुछ अन्य लोग अंजना पर्वत अंजनी पर्वत को उत्तराखंड में उनका जन्म स्थान मानते हैं यह उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है विभिन्न क्षेत्रों में अलग अलग मान्यताओं का होना भारतीय संस्कृति की विशेषता है जहाँ धार्मिक कथाएं विभिन्न रूपों में फैली हुई हैं

क्यों हुआ था जन्म

वायु देव का पुत्र होने के पीछे भी एक कहानी है माना जाता है कि राजा दशरथ की पत्नियों को जब पुत्र प्राप्ति के लिए हवन के बाद एक विशेष प्रसाद मिला तो उस प्रसाद का एक हिस्सा हवा के देवता वायु देव के माध्यम से अंजना देवी के पास पहुँचा अंजना देवी ने यह प्रसाद ग्रहण किया जिससे उन्हें भगवान हनुमान का पुत्र प्राप्त हुआ इसी वजह से हनुमान जी को पवन पुत्र या मारुति नंदन भी कहा जाता है इस कथा से हनुमान जी का कर्नाटक और वायु देव से संबंध और मजबूत होता है

हनुमान जी को चिरंजीवी भी कहा जाता है यानी वह अमर हैं और युगों युगों से पृथ्वी पर विद्यमान हैं उनकी शक्ति भक्ति और निःस्वार्थ सेवा भावना अतुलनीय है रामायण में भगवान राम की सहायता करने में उनकी भूमिका और लंका दहन जैसे कार्यों ने उन्हें सबसे प्रमुख देवताओं में से एक बना दिया है इस प्रकार कर्नाटक का अंजनाद्रि पहाड़ी और किष्किंधा क्षेत्र हनुमान जी के जन्म और उनके जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं से गहरे तौर पर जुड़ा हुआ है

 

--Advertisement--

Tags:

Hanuman Ji Karnataka birth story Anjanadri hill Koppal district Gangavathi taluk Ramayana Kishkindha Sugriva Lord Rama Sita Mata Pampa Sarovar Sacred Site Anjana Devi Anjana Parvat Uttarakhand Chamoli district Vayu Dev Pawan Putra Marutinandan King Dasharatha Prasad Immortality Chiranjeevi Divine Power Selfless Service devotion Lanka Dahan Hindu mythology Religious Texts Pilgrimage spiritual significance Cultural Heritage Ancient tales Traditional Beliefs Indian Culture Historical Connection worship Temples local legends हनुमान जी कर्नाटक जन्म कथा अंजनाद्रि पहाड़ी कोप्पल जिला गंगावती तालुके रामायण किष्किंधा सुग्रीव भगवान राम सीता माता पंपा सरोवर पवित्र स्थल अंजना देवी अंजना पर्वत उत्तराखंड चमोली जिला वायु देव पवन पुत्र मारुति नंदन राजा दशरथ प्रसाद अमरत्व चिरंजीवी दिव्य शक्ति निस्वार्थ सेवा भक्ति लंका दहन हिंदू पौराणिक कथाएं धार्मिक ग्रंथ तीर्थयात्रा आध्यात्मिक महत्व सांस्कृतिक विरासत प्राचीन कथाएं पारंपरिक मान्यताएं भारतीय संस्कृति ऐतिहासिक संबंध पूजा मंदिर स्थानीय किंवदंतियां रहस्य

--Advertisement--