Karnataka CM Race : क्या कर्नाटक को मिलने वाला है नया बॉस? सिद्धारमैया और डीके शिवकुमार के बीच कुर्सी की फाइनल जंग शुरू
News India Live, Digital Desk : बेंगलुरु से लेकर दिल्ली तक, कांग्रेस पार्टी में इस वक़्त जबरदस्त सन्नाटा खिंचा हुआ है, लेकिन अंदरखाने बड़ा तूफ़ान चल रहा है। बात हो रही है कर्नाटक के मुख्यमंत्री पद की। आज यानी 26 नवंबर 2025 की तारीख कर्नाटक की राजनीति के लिए ऐतिहासिक हो सकती है।
आपको याद होगा मई 2023, जब कर्नाटक में कांग्रेस की सरकार बनी थी? उस वक्त भी मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर बड़ा ड्रामा हुआ था। और अब ठीक ढाई साल (2.5 Years) बाद, वही जिन्न फिर से बोतल से बाहर आ गया है।
क्या मौजूदा सीएम सिद्धारमैया (Siddaramaiah) अपनी कुर्सी बचा पाएंगे या फिर 'संकटमोचक' डीके शिवकुमार (DK Shivakumar) अब राज्य की कमान संभालेंगे? आइए, आसान शब्दों में समझते हैं कि कांग्रेस के अंदर क्या खिचड़ी पक रही है।
वो 'सीक्रेट डील' जो अब बन गई मुसीबत
सियासी गलियारों में चर्चा है कि जब 2023 में सरकार बनी थी, तब हाईकमान (मल्लिकार्जुन खड़गे और गांधी परिवार) ने एक 'समझौता' कराया था। इसे "ढाई-ढाई साल का फॉर्मूला" कहा जाता है।
- डील यह थी: पहले 30 महीने (ढाई साल) सिद्धारमैया मुख्यमंत्री रहेंगे।
- बाकी का समय: बचे हुए ढाई साल डीके शिवकुमार को सीएम बनाया जाएगा।
अब चूँकि वो 30 महीने पूरे होने को आए हैं, तो डीके शिवकुमार ने अपना हक़ मांगना शुरू कर दिया है। उनका कहना साफ़ है"मैंने तब पार्टी के लिए त्याग किया था, अब मेरा नंबर है।"
दिल्ली में बैठकों का दौर
दोनों दिग्गज नेता इस वक़्त अपनी लॉबिंग करने में जुटे हैं। डीके शिवकुमार और सिद्धारमैया, दोनों की नज़रें कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे और राहुल गांधी पर टिकी हैं।
- सिद्धारमैया का पक्ष: उनके खेमे का कहना है कि वो राज्य के सबसे लोकप्रिय ओबीसी (OBC) नेता हैं। उनकी 'गारंटी योजनाओं' की वजह से सरकार की अच्छी छवि बनी है। उन्हें बीच में हटाने से पार्टी को नुकसान हो सकता है।
- डीके शिवकुमार का पक्ष: शिवकुमार पार्टी के वफादार और मेहनती सिपाही हैं। उन्होंने मुश्किल वक़्त में पार्टी को खड़ा किया है। अगर वादाखिलाफी हुई, तो उनका और उनके समर्थकों का सब्र टूट सकता है।
आलाकमान के लिए 'धर्मसंकट'
खड़गे साहब खुद कर्नाटक से आते हैं, इसलिए यह फैसला उनके लिए दोधारी तलवार जैसा है।
- अगर सिद्धारमैया को हटाते हैं, तो अहिंदा (AHINDA) वोट बैंक नाराज हो सकता है।
- अगर शिवकुमार को नहीं बनाते हैं, तो वोक्कलिगा समुदाय (Vokkaliga Community) और संगठन के लोग बागी हो सकते हैं।
सूत्रों की मानें तो दिल्ली में एक बीच का रास्ता निकालने की कोशिश हो रही है। क्या शिवकुमार को डिप्टी सीएम के साथ और पावर दी जाएगी? या वाकई में सिद्धारमैया से इस्तीफ़ा लिया जाएगा?
क्या आज खत्म होगा सस्पेंस?
फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी। राजनीति में जो दिखता है, वो होता नहीं। हो सकता है कि 'म्यूजिकल चेयर' का यह खेल कुछ दिन और चले। लेकिन एक बात तय है कर्नाटक कांग्रेस में "ऑल इज़ वेल" तो बिल्कुल नहीं है।
अब देखना दिलचस्प होगा कि राहुल गांधी किसकी झोली में खुशियां डालते हैं अनुभव (सिद्धारमैया) या वफादारी (शिवकुमार)?
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