Kamika Ekadashi: श्रावण मास में पाप मुक्ति और पुण्य पाने का सबसे सरल तरीका
News India live, Digital Desk : Kamika Ekadashi: श्रावण मास, जो भगवान शिव को समर्पित है, वहीं यह भगवान विष्णु की कृपा पाने का भी उत्तम समय है। इसी पवित्र महीने में आती है कृष्ण पक्ष की एकादशी, जिसे "कामिका एकादशी" कहा जाता है। यह एकादशी सिर्फ पापों को धोने वाली ही नहीं, बल्कि अनगिनत पुण्यों को देने वाली मानी जाती है, जिससे जीवन के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं और हर मनोकामना पूरी होती है।
क्या है कामिका एकादशी का महत्व?
धार्मिक शास्त्रों में कामिका एकादशी के महत्व का विस्तार से वर्णन मिलता है। कहा जाता है कि इस व्रत को करने वाले को अनेक बड़े लाभ मिलते हैं:
पापों का नाश: यह एकादशी जीवन में जाने-अनजाने में हुए सभी पापों का नाश करती है। यहां तक कि ब्रह्महत्या (जो सबसे बड़ा पाप माना जाता है) जैसे महापापों से भी मुक्ति मिल जाती है।
गंगा स्नान और बड़े दान का फल: कामिका एकादशी का व्रत करने से कई यज्ञों को करने, गंगा नदी में स्नान करने और बड़े-बड़े दान जैसे गौ दान, भूमि दान, स्वर्ण दान के बराबर या उससे भी अधिक पुण्य मिलता है।
पितृ दोष से मुक्ति: यह व्रत पूर्वजों की आत्मा को शांति प्रदान करता है और पितृ दोष से मुक्ति दिलाता है।
भूत-प्रेत बाधा से रक्षा: इस एकादशी का व्रत रखने से व्यक्ति को किसी भी प्रकार की नकारात्मक शक्ति या भूत-प्रेत की बाधा से सुरक्षा मिलती है।
मनोकामना पूर्ति: सच्चे मन से यह व्रत करने पर सभी इच्छाएं पूरी होती हैं।
कैसे करें कामिका एकादशी का व्रत और पूजा (व्रत विधि):
सुबह उठें: एकादशी के दिन सुबह जल्दी उठकर ब्रह्म मुहूर्त में पवित्र स्नान करें।
पवित्र वस्त्र पहनें: स्वच्छ, हो सके तो पीले रंग के वस्त्र धारण करें।
पूजा की तैयारी: घर के मंदिर में भगवान विष्णु की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें।
भगवान को अर्पित करें: उन्हें गंगाजल से स्नान कराएं (अगर संभव हो), फिर चंदन का तिलक लगाएं। तुलसी दल (विशेष रूप से), पीले फूल, फल, धूप, दीप, और पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद, गंगाजल या शक्कर का मिश्रण) अर्पित करें।
मंत्र जाप और स्तुति: भगवान विष्णु के 'ओम नमो भगवते वासुदेवाय' मंत्र का अधिक से अधिक जाप करें। आप विष्णु सहस्त्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं।
कथा श्रवण: कामिका एकादशी की व्रत कथा जरूर पढ़ें या सुनें।
अखंड दीपक: भगवान के सामने रात भर एक अखंड दीपक (या सामान्य दीप) जलाए रखें।
दान-पुण्य: इस दिन गरीब और जरूरतमंद लोगों को अन्न, वस्त्र या धन का दान करना बहुत शुभ माना जाता है।
व्रत और पारण: पूरे दिन व्रत रखें। जल या फलाहार लेकर व्रत रह सकते हैं (निर्जल व्रत रखना अनिवार्य नहीं है)। अगले दिन, द्वादशी को शुभ मुहूर्त में व्रत का पारण करें। पारण के बाद ही भोजन ग्रहण करें।
कामिका एकादशी व्रत कथा:
पौराणिक कथा के अनुसार, प्राचीन काल में एक धर्मात्मा राजा थे, जिनका नाम महीजीत था। उनके राज्य में सब कुछ सुख-समृद्धि थी, लेकिन राजा को कोई संतान नहीं थी, जिससे वह बहुत दुखी रहते थे। उन्होंने अपनी प्रजा और विद्वानों से इसका कारण पूछा। प्रजा के कल्याण को चाहने वाले राजा, जब अपनी समस्या लेकर ज्ञानी ऋषि लोमेश के पास पहुंचे, तो ऋषि ने अपने योग बल से उनके पिछले जन्म के पापों को जान लिया।
ऋषि ने बताया कि राजा ने पिछले जन्म में एक तालाब के किनारे अपने भोजन की तलाश में बैठे भूखे ब्राह्मण पर जानबूझकर अत्याचार किया था। इसी पाप के कारण उन्हें इस जन्म में संतान सुख नहीं मिल पा रहा है।
तब ऋषि लोमेश ने राजा को पाप से मुक्ति और संतान प्राप्ति के लिए कामिका एकादशी का व्रत करने की सलाह दी। राजा महीजीत ने पूरी श्रद्धा के साथ अपनी रानी और प्रजा सहित कामिका एकादशी का व्रत किया। इस व्रत के प्रभाव से उनके सभी पाप धुल गए और उन्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई।
यह कथा इस बात का प्रमाण है कि कामिका एकादशी का व्रत मन की शुद्धि और विश्वास से करने पर सभी बाधाओं को दूर कर सकता है और बड़ी से बड़ी इच्छाओं को भी पूरा कर सकता है। यह व्रत पापों का नाश करने और असीमित पुण्य कमाने का एक सरल और शक्तिशाली तरीका है।
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